प्रेसवार्ता में निगम की कार्यशैली पर बीरू सरपंच ने उठाये गम्भीर सवाल . 38 गाँव को निगम में शामिल करने के विरोध में मुख्यमंत्री के नाम डीसी को सौपेंगे ज्ञापन गुड़गांव जिले के 38 गांवों को निगम में शामिल करने के विरोध में अब 38 गांव संघर्ष समिति की कमेटी विरोध करने के लिए पूरी तरह से मैदान में उतर चुकी है। जिसको लेकर प्रथम बैठक वजीरपुर में विरोध संघर्ष के रूप में 20 सितम्बर को आयोजित की गई थी। जिसकी अध्यक्षता बीरू सरपंच के नेतृत्व में की गई थी। आज गुड़गांव के समा रेस्टोरेंट में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान बीरू सरपंच व कमेटी के सदस्यों ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि वह किसी भी हाल में 38 गांवों को निगम में शामिल नहीं होने देंगे, जिसके लिए वह गुरुवार को सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री के नाम डीसी को ज्ञापन भी सोपेंगे। उन्होंने कहा कि 2009 से लेकर अब तक 11 सालों में शामिल किए गए 35 वार्ड के गांवों में कोई विकास कार्य नहीं हो सके हैं। इन गांवों का विकास तथा आसपास में सेक्टर को विकास बिल्डरों द्वारा किया गया है। निगम द्वारा अब तक किसी प्रकार के चिकित्सालय स्कूल व अन्य सरकारी संस्थाएं नहीं बनाई गई जिससे कि लोगों का विकास हो सके। इन सब पर निगम की कार्यशैली पर तमाम तरीके सवालिया निशान खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि निगम प्रशासन द्वारा इन सभी वार्ड में केवल टैक्स के रूप में अवैध उगाही करने का कार्य किया गया है, जबकि किसी भी प्रकार की व्यवस्था तथा सुविधाएं देने का कार्य लोगों को नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि 38 गॉव की 7 हजार 21 एकड़ जमीन की 900 करोड़ पर निगम की नजर है। उन्होंने कहा कि किसी भी पंचायत द्वारा सामूहिक प्रस्ताव देकर निगम में शामिल करने के लिए कोई सहमति नहीं जताई गई है। वही जल्द वे इलाके के सभी विधायक व सांसदों से मिलकर अपनी मांगों को रखेंगे और निगम में शामिल किए जाने वाले 38 गांवों का फैसला वापस कराने की मांग करेंगे। इस मौके पर सुंदर सिंह सरपंच चकरपुर, राजेन्द्र पूर्व सरपंच धर्मपुर, पहलाद सरपंच बाँसकुसला, समुंदर पहलवान ढाणा, संजय राघव पूर्व सरपंच भोंडसी, राजन राघव पूर्व पंच, तिलकराज चौहान वजीरपुर, दीपक राघव पूर्व पंच, जय प्रकाश राघव सहित विभिन्न लोग मौजूद थे। Post navigation कोविड की चुनौतियों के बावजूद लक्ष्य से अधिक बच्चों को पिलाई गई पोलियोरोधी दवा IPL क्रिकेट मैच पर सट्टा लगाकर जुआ खिलाने/खेलने वाले रंगेहाथ काबू।