किसान विरोधी, कारपोरेट व विदेशी कम्पनी पक्षधर 3 कानून वापस लो.
एमएसपी सी2 व 50 फीसदी पर तथा सरकारी खरीद का कानून पेश करो

एआईकेएससीसी ने कई फसलों के एमएसपी की घोषणा को केन्द्र सरकार द्वारा लोगों का ध्यान बांटने का कदम बताया है। यह राज्य सभा में विदेशी कम्पनियों व कार्पोरेट पक्षधर, किसान विरोधी 2 कानूनों का नियम विरूद्ध ढंग से जबरन पारित घोषित कराने के अपने कुकृत्य को छिपाने के लिये किया गया है।

सरकार ने मात्र 2.6 फीसदी की वृद्धि घोषित की है जबकि जीवन के खर्च इससे कहीं ज्यादा तेजी से बढ़े हैं। गेहूं का वर्तमान एमएसपी 1925 रू0 प्रति क्विंटल है पर वह बाजार में 1400 रू0 प्रति क्विंटल का बिक रहा है और किसान भारी घाटे का सामना कर रहे हैं। अगर सरकार ईमानदारी से किसानों के पक्ष में है तो उसे गेहूं की खरीद तुरंत 1925 रू0 प्रति क्विंटल पर खरीदने की पेशकस करनी चाहिए।

2 कदम ऐसे हैं जिनसे आरएसएस भाजपा की मोदी सरकार ने सीधे तौर पर मंहगाई को तेजी से बढ़ाया है। ये हैं डीजल व पेट्रोल के दाम में वृद्धि जिसमंे कोविड काल के दौरान सरकार ने खुद 11 रू0 प्रति लीटर की वृद्धि की है। दूसरा है बिजली का खर्च जो नये कानून 2020 के तहत सभी उपभोगताओं के लिये 10 रू0 20 पैसे प्रति यूनिट से खर्च होगा। खाद्य पर सब्सिडी घटाकर उसके दाम बढ़ाये गये हैं और इसमें कालाबाजारी भी बढ़ी है। इसके अलावा जीवन चलाने के खर्चे, परिवहन, शिक्षा, स्वाथ्य आदि निजीकरण के बढ़ने से बढ़ गये हैं। किसान को अपने सभी खर्च जमीन की आमदनी से ही निकालने हैं। यह 2.6 फीसदी की वृद्धि किसान के साथ एक क्रूर मजाक है।

सरकार द्वारा इस एमएसपी की घोषणा कमजोर तो है ही, यह किसान आंदोलन के दबाव में की गई है पर सरकार ने जानबूझकर ऐसा कोई कानूनी प्रावधान घोषित नहीं किया है जिससे सरकार इस घोषित एमएसपी पर किसानों की फसल खरीदने पर बाध्य हो।

सारी समस्या की जड़ यहीं फंसी है। जो सरकार अपने को धर्म के आधार पर राष्ट्रवादी घोषित करती है उसमें भारत के ग्रामीण इलाकों में विदेशी कम्पनियों व कार्पोरेटों को मंडियां स्थापित करने की अनुमति दे दी है। अब ये कम्पनियां वहां फसलें खरीदेंगी, किसानों को अनुबंधों में बांधकर उन्हें सस्ते में फसल देने के लिए बाध्य करेंगी। चिंता की बात यह है कि न तो फसल के रेट की रक्षा का कानून है और न ही उस रेट पर खरीदारी करने का।

एआईकेएससीसी ने मांग की है कि यह तीनों कानून वापस लिये जायें। और नया कानून बनाकर सरकार को बाध्य किया जाय कि वह एमएसपी की घोषणा स्वामीनाथन आयोग के हिसाब पर सी-2 $ 50 फीसदी पर घोषित करे और उसपर खरीद करे।

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