किसान विधेयक को लेकर असमंजस की स्तिथि बन गई मुखर होकर भूमिपुत्रों ने अपनी आवाज बुलंद कर रखी है संक्रमणकाल में भी जान का जोखिम उठाकर अपनी बात रखने के लिए सड़कों पर हज्ज़ारो की तादाद में किसान निकला हुआ है असंतुष्टि के चलते , जब उन शंकाग्रस्त ( भयभीत ) किसानों की बातों को अभी ही नहीं सुना जा रहा है तो भविष्य में उनकी बातों को सुना जाएगा इसकी क्या जवाबदेही है ? सरकार के नुमाइंदे मंत्री व वरिष्ठ पदाधिकारीगण तो केंद्र की मोदी सरकार की बातों को ही सही ठहरा उन्हें खुश करने में लगे हुए हैं फिर चाहें मुख्यमंत्री जी हो याँ गृहमंत्री अनिल विज साहब और चाहें भाजपा के कृषिमंत्री जेपी दलाल हों याँ प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ जी सभी मोदी जी का पक्ष ले रहे हैं जब्कि किसानों का पक्ष कोई नहीं रख रहा उनके विषयों को गंभीरता से कोई नहीं रख रहा , उनकी चिंताओं को किसी ने भी दूर करने की बातें नहीं की बल्कि अपनी राजनैतिक पकड़ मजबूत करने में तमाम नेता बयान देने में लगे हुए हैं ! स्व.चौधरी देवीलाल जी के पौत्र और जजपा से उपमुख्यमंत्री के पद पर आशीन श्री दुष्यंत चौटाला जी व उनके अनुज दिग्विजय सिंह चौटाला जी ने भी प्रधानमंत्री मोदी जी पर भरोसा रखने की बात कही ! भाजपा से अलग नई सोच और विचारधारा के साथ आगे बढ़ने वाले दुष्यंत चौटाला जी लफ्फाजी करने वाले और जुमलेबाज बताकर मोदी जी को विपरीत बातें करते थे और युवाओं को रोजगार व किसानों के हक़ की बातें करके सत्ता तक पहुंचने के बाद यूँ कहें कि मोदी सरकार के सहयोगी बनने के बाद जनता के हक़ों को दरकिनार कर आज उन्हीं मोदी जी के द्वारा किसानों के लिए लाए जा रहे विधयेक को लेकर बयान दे रहे हैं कि मोदी जी पर विश्वास करें ! दुष्यंत चौटाला जी पिपली पहुंचे किसानों पर जो लाठीचार्ज हुआ उसकी जाँच कराने की बात आपने कही मगर राज्य के गृहमंत्री जी अपने बयानों में कहते हैं कि लाठीचार्ज हुआ ही नहीं नेता भृमित कर रहे हैं मिथ्या बातें कर रहे हैं अर्थात झूठ फैला रहे हैं – इसका अर्थ तो यह हुआ कि आपने जाँच की मांग की वह भी झूठी है याँ सीधे मायने में आपको झूठा साबित कर दिया गया – किसान नेता चौधरी देवीलाल जी व ओ,पी, चौटाला जी का खूब मान बड़ा रहे हैं ऐसे अपमानित होकर तो , जिन्होनें किसानों के हित में अपना जीवन खपा दिया उन्हीं अपने किसानों का हित साधने की बजाय आप उनकी अंदेखियाँ कर सत्ता में बने रहना चाहते हैं , पंजाब से सांसद सुश्री हरसिमरत कौर जी जिन्होंने मोदी जी के सहयोगी दल होने के बावजूद भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने में देर नहीं लगाई किसानों के हित में – यदि आप सच्चे किसान हितैषी नेता हैं तो क्यों नहीं देते इस्तीफा ? हरियाणा प्रदेश में प्रजातंत्र भाजपा सरकार में तो दिखाई दे नहीं रहा चुने हुए जनप्रतिनिधियों की बातें सुनी नहीं जा रही और जो सत्ताधारी हैं याँ श्रेष्ठ पद जिन्हें प्राप्त हैं उन्हें पहले केंद्र सरकार चला रहे मोदी जी की बातें सुननी पसंद हैं , उनका गुणगान करने में लगा है सारा मंत्रिमंडल , जिन लोगों को जनता के द्वारा जनता के लिए चुना गया था उन्होंने आमजन को ही राम भरोसे छोड़ दिया , तो ऐसे में किसपर विश्वास करें देश और प्रदेशवासी यह समझ से परे हो चला है ।सरकार लाख दावे कर रही है मगर एक किसान नेता गुरनाम सिंह चटुनी ने 20 सितंबर को प्रदेश बंद करके अपनी मांगे रखने व प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज करने का दावा किया है और सरकार नहीं मानती है किसानों की मांगों को तो उनके द्वारा 25 तारीख को भारत बंद का एलान किया है – अब देखने वाली बात यह है सरकार कहती है कि किसानों के अधिकांश सँगठन सरकारी नीतियों से सहमती रखते हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन होने की बातें और दावे किए जा रहे हैं – तो किसकी बात सच है इसका फैंसला किसानों की मौजूदगी तय करेगी कि वह किसपर विश्वास करेंगें किसान नेताओं पर याँ सरकार पर ? Post navigation मेयर मधु आजाद ने अधिकारियों के साथ किया गौशालाओं का दौरा कोविड-19 अपडेट……6 दिन में 12 मौत और 2174 पॉजिटिव केस दर्ज हुए