कोरोना महामारी के कारण अंतिम वर्ष परीक्षा पर छात्रों और सरकार के बीच जारी तनाव आखिरकार समाप्त हो गया। हरियाणा के बड़े विश्वविद्यालयों में से एक महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय अनिवार्य ऑफ़लाइन परीक्षा कराने के फैसले से पीछे हट गया है। विश्वविद्यालय ने सोमवार को नोटिस जारी करते हुए छात्रों को ऑनलाइन और ऑफ़लाइन मोड में से एक चुनने और उसी आधार पर परीक्षा देने की छूट दी है। इससे कोरोना काल में कॉलेज में एग्जाम न कराने की मांग कर रहे छात्रों को राहत मिली है साथ ही संसाधन के अभाव में ऑनलाइन परीक्षा न दे सकने वाले विद्यार्थी भी कॉलेज में परीक्षा दे सकते हैं। अधिकतर विद्यार्थी ऑनलाइन परीक्षा के पक्ष में हैं।

ऑफ़लाइन परीक्षा के विरोध में आंदोलन कर रहे छात्र संगठन वर्ल्ड स्टूडेंट यूनियन ने कहा कि ऑनलाइन मोड से परीक्षा कराने पर विश्वविद्यालय का मजबूर होना, हमारे आन्दोलन की जीत है। पिछले तीन माह से सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक और बातचीत से लेकर वर्चुअल रैली तक जारी संघर्ष के बल पर ही यह कार्य पूरा हुआ है। संगठन परीक्षाओं को ओपन बुक, रिपोर्ट मेकिंग या असाइनमेंट द्वारा कराने की मांग कर रहा था जिसमे से ओपन बुक तरीका विश्वविद्यालय ने चुना है।

संगठन अध्यक्ष आशीष राजपूत ने बताया कि गुरुग्राम में दस हजार से अधिक छात्रों के सामने परीक्षा बड़ी समस्या थी। हमने राज्य सरकार के समक्ष जब बात रखी तो सरकार ने प्रमोशन का एलान किया लेकिन यूजीसी रिवाइज्ड गाइडलाइन्स ने इस पर रोक लगा दी। इसके बाद भारत की पहली छात्रों की वर्चुअल रैली का आयोजन करके छात्रों की आवाज सरकार तक पहुंचाई और इसी का नतीजा है कि एमडीयू ऑनलाइन परीक्षा करा रहा है।

एमडीयू द्वारा छात्रों से परीक्षा मोड जानने का सर्वे 29 अगस्त तक जारी रहेगा। इसके बाद परीक्षाओं की तिथि घोषित कर दी जायेगी। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट भी परीक्षाओं पर फैसला सुना सकता है, उसका भी छात्र इंतज़ार कर रहे हैं।

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