जलभराव से जुड़े विभिन्न पहलूओं पर निगम पार्षद आरएस राठी ने जीएमडीए के सीईओ को पत्र लिखकर भेजे अपने सुझाव

गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण द्वारा बाढ़ सुरक्षा समिति में एचएसवीपी विभाग के पूर्व इंजीनियर-इन-चीफ (ईआइसी)केके भुगरा की अध्यक्षता व जलभराव से संबंधित समस्याओं पर डीएलएफ इलाके से निगम पार्षद आरएस राठी ने सीईओ को पत्र लिखकर अपने सुझाव भेजे है। राठी का कहना है कि  इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह सेवानिवृत ईआइसी है लेकिन वर्तमान में वह गुरुग्राम की एक निजी कंसल्टेंसी गु्रप का नेतृत्व कर रहे है जो कि हितों के टकराव के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।

राठी का कहना है कि यह गु्रप नगर निगम, कई सरकारी विभागों और निगमों के साथ काम करने वाले निजी निकायों के साथ कारोबार कर रहे है। गुुरुग्राम में जलप्रलय के कारणों का पता लगाना आपके अपने मुख्य अभियंताओं के लिए संभव होना चाहिए। वास्तव में ऐसा करना उनका पहला कर्तव्य है। यह परमाणु विज्ञान का मामला नहीं है। यदि वे इस सरल अभ्यास को नहीं कर सकते हैं, तो वे इन पदों को धारण करने के लायक नहीं हैं।

इसके अलावा सभी वार्डों के निगम पार्षद अपने क्षेत्र की जलभराव समस्या का कारण और समाधान जानते है। आपको प्रभावित क्षेत्रों के निगम पार्षदों की बैठक बुलानी चाहिए ताकि वो आपको क्षेत्रीय समस्याओं से अवगत करा सकें।

राठी ने कहा कि जलभराव का मूल कारण वाटर हारवेस्टिंग पिट की पूर्ण अनुपस्थिति है और कोई भी इन पंक्तियों पर विचार करने के लिए तैयार नहीं है। प्रत्येक सोसायटी, स्कूल, कॉलेज, बड़े व्यावसायिक भवन, कॉलेज, विश्वविद्यालय, सरकारी भवन सभी को वाटर हारवेस्टिंग का निर्माण, हर वर्ष उनकी सफाई, उनका क्रियान्वन अनिवार्य होने के साथ यह सुनिश्चित करना जरूरी है जीरो प्रतिशत बरसात का पानी खुले में बहे।

प्रत्येक घर के मालिक को अपने घर में वाटर हार्वेस्टिंग टैंक प्रदान करना आवश्यक है। सभी स्तरों पर जल संचयन संरचनाओं का प्रावधान सबसे टिकाऊ समाधान है। अगर जीएमडीए और नगर निगम सही मायनों में इस चुनौती को उठाते हैं तो जलभराव की समस्या और भू-जल स्तर में जरूर सुधार आएगा।

राठी ने सीईओ को आग्रह किया है कि अगले साल जुलाई तक जल संचयन संरचनाओं के निर्माण का एक बड़ा अभियान शुरू करने की आवश्यकता है।

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