धर्मपाल वर्मा

चंडीगढ़, हरियाणा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व सीपीएस राजकुमार वाल्मीकि ने राजनीति के अपने मौजूदा तीसरे पड़ाव में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया है lवे 30 अगस्त को चंडीगढ़ में इंडियन नेशनल पार्टी में शामिल हो जाएंगे lश्री बाल्मीकि जहां दूसरी बार कांग्रेस छोड़ रहे वहीं इनेलो दूसरी बार इनेलो भी ज्वाइन कर रहे हैं iकहते हैं राजनीति सूत कसूत का नाम हैl श्री बाल्मीकि को एक बार 1991में विधायक बनने का मौका मिला था lतत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल सरकार में मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया l

उसके बाद उनकी योग्यता अयोग्यता बन कर रह गई lकारण यह है कि वे बाल्मिकी समाज में समस्त हरियाणा में सर्वाधिक लोकप्रिय और सिस्टम के नेता है l उनकी मजबूती को देखते हुए नेताओं ने उन्हें चुनाव से पहले खूब यूज किया परंतु जब मौका आया तो एन टाइम पर उनकी टिकट काट दी गई lकांग्रेस पार्टी ने उन्हें दो बार पार्लियामेंट का चुनाव लड़वाया परंतु विधानसभा की टिकट तू विधानसभा की टिकट दूसरी बार नहीं नहीं दी इसका एक प्रमुख कारण यही रहा कि नेताओं ने शायद यह महसूस किया कि राजकुमार बाल्मीकि का दोबारा से political status स बहाल हो गया तो वे दलित समाज में एक छत्र नेता बन जाएंगे और इस वर्ग के लोगों के हितों की लड़ाई मुखर होकर लड़ेंगे दूसरा यह कि एक बार अंबाला में पुतले फूके जाने की घटना के बाद उनसे कांग्रेस की नेत्री कुमारी सेलजा इतनी खफा हो गई कि उन्होंने फिर कभी राजकुमार को विधानसभा टिकट नहीं मिलने दी l श्री बाल्मीकि ने दो बार अंबाला से लोकसभा का चुनाव लड़ा गया जब कुमारी शैलजा मैं हार के दर्द डर से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और इस हार का भंडा बाल्मीकि के सिर फोड़ा गया l

जिस नेता के कहने पर राजकुमार बाल्मीकि ने कुमारी शैलजा का अंबाला जाकर कुमारी शैलजा के पुतले फुके उस नेता ने भी कभी वाल्मीकि को प्रोटेक्ट नहीं किया lहर चुनाव में टिकट की आस से कांग्रेस में उपेक्षा और संघर्ष दोनों का सामना करते आ रहे राजकुमार वाल्मीकि तंग आकर कभी इनेलो में गए कभी भाजपा में l

भारतीय जनता पार्टी ने भी 2014 में वायदा करके उनको टिकट नहीं दी और बाद में दुखी परेशान राजकुमार इनेलो में शामिल हो गए परंतु वह दौर भी उनके रास नहीं आया और कांग्रेस के उनके पुराने साथी उन्हें फिर कांग्रेस में ले आए l इस बार उन्होंने नया नेता पकड़ा जिसे भी पहले कभी टेस्ट नहीं कर पाए थे और वह था रणदीप सिंह सुरजेवाला l उन्होंने श्री सुरजेवाला की करनाल में एक बहुत ही भारी रैली कराई अपनी ताकत दिखाई और यह मानकर चले कि सुरजेवाला टिकट के मामले में उनकी मदद करेंगे उनके इंटरेस्ट को वॉच करके चलेंगे परंतु एक तो रणदीप सुरजेवाला ने निकट के मामले में उनकी मदद नहीं की दूसरे उन्हें टिकट से वंचित करने के लिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा फिर बीच में आ गई और उन्होंने टिकट तो बाल्मीकि को दे दी परंतु राजकुमार के नाम की चर्चा तक नहीं होने दी l टिकट दे दी बाहरी उम्मीदवार पूर्व विधायक बंताराम बाल्मीकि को जो बुरी तरह से हार गए और नीलोखेड़ी में एक निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीत गया l ऐसे में कुमारी शैलजा एक कहावत चरितार्थ कर गई कि अकड़ कर मर जाना पर दलिया नहीं खाना l

राजकुमार इस चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी चुनाव नहीं लड़ पाए क्योंकि समय अभाव के कारण नामांकन पत्र दाखिल नहीं कर पाए l

राजकुमार बाल्मीकि 1991 में करनाल जिले के चंदला विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने तो सरकार में उन्हें सीपीएस के रूप में समायोजित किया गया उन्होंने चौधरी भजन लाल का खूब साथ दिया परंतु वे बाद में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे में आ गए श्री हुड्डा ने उन्हें सरकार में चेयरमैन तो बनाया परंतु टिकट एक बार भी नहीं दिया lबता दें कि गोहाना बाल्मीकि प्रकरण और बाद में हिसार जिले के मिर्चपुर बाल्मीकि प्रकरण में राजकुमार वाल्मीकि ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सरकार का जमकर साथ दिया और इस प्रकरण को सुलझाने में अहम भूमिका अदा की परंतु इतना करने के बाद भी राजकुमार टिकट को तरसते रहे l

कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा 1998 और 2014 में अंबाला से उस समय लड़वाया जब कुमारी शैलजा चुनाव लड़ने से इनकार कर गई l राजकुमार को लोकसभा की टिकट दे दी गई परंतु विधानसभा में एक बार भी टिकट नहीं मिली राजकुमार वाल्मीकि ने दलित समाज के वर्ग ए के हितों की लड़ाई में मुखर होकर काम किया और एक बार अंबाला में कुमारी शैलजा का पुतला जलाकर विरोध प्रदर्शित किया तो उसके बाद कुमारी शैलजा ने एक तरह से उनका रास्ता रोक लिया और टिकट नहीं मिलने दी और जिन के कहने पर यह प्रदर्शन किया गया था उन्होंने भी श्री बाल्मीकि के हितों की रक्षा नहीं की l

जब हालातों से समझौता करते हुए श्री बाल्मीकि ने इंडियन नेशनल लोक दल में शामिल होने का ऐलान किया हैl इससे जहां पार्टी को एक नेता मिलेगा वहीं राजकुमार बाल्मीकि भी इस पार्टी के प्लेटफार्म से पूरे दमखम के साथ काम कर सकेंगे आने वाले बरोदा उपचुनाव में भी श्री बाल्मीकि इंडियन नेशनल लोकदल के लिए स्टार प्रचारक और मतदाताओं को प्रभावित करने वाले नेता के रूप में देखे जाएंगे पार्टी भी उन्हें श्री राष्ट्रीय पद पर समायोजित कर सकती है l

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