डीपी वर्मा

डीपी वर्मा

चंडीगढ़. राजनीति में सक्रिय लोगों का पोलिटिकल स्टेटस तभी बन पाता है जब वह कम से कम विधायक बन गए होते हैं l इसलिए जब चुनाव आते हैं तो प्रथम पंक्ति के कार्यकर्ता टिकटों के लिए प्रयास करते हैं l ऊपर नीचे लॉबिंग करते हैं l

टिकट तो एक को मिलनी होती है परंतु सभी की आस यही होती है कि वही टिकट लेने में सफल हो और विधायक बने lऐसे में उनके नेता यानी पार्टी के लोग जो निर्णायक स्थिति में होते हैं ऐसे कार्यकर्ताओं को जिन्हें टिकट नहीं देनी होती है यह कह कर संतुष्ट कराने की चेष्टा करते हैं कि तुम्हें एमएलए तो नहीं बना पाएंगे परंतु एमएलए जैसा बना देंगे lमतलब सरकार आने के बाद तुम्हें किसी लाभ के पद पर एडजस्ट कर दिया जाएगा l ऐसा अमूमन हर चुनाव में होता है l अब हरियाणा में जिला सोनीपत में बरोदा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव होना है lसत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी के दर्जन भर लोग टिकट की दौड़ में हैं lबेशक जेजेपी मैं अभी दो ही स्थानीय उम्मीदवार हैं परंतु भारतीय जनता पार्टी के प्रार्थी कई हैं lइनमें पिछले आम चुनाव में प्रत्याशी रहे अंतरराष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त.कपूर सिंह नरवाल ,ठेकेदार जय सिंह ,रणधीर सिंह लटवाल डॉ धर्मवीर नांदल आदि शामिल है l

हरियाणा की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र अंदर हुड्डा नजर आ रहे हैं अभिमन्यु की भूमिका में

जननायक जनता पार्टी की ओर से कई बार दिग्विजय सिंह चौटाला का नाम भी चलता है परंतु यहां दो स्थानीय उम्मीदवार पिछली बार चुनाव लड़ चुके पूर्व चेयरमैन भूपेंद्र मलिक और डॉक्टर केसी बांगड़ है l
सत्ता में बैठे गठबंधन ने अभी या नहीं तय किया है कि उम्मीदवार भाजपा का होगा या जजपा का lपरंतु फिलहाल यह चर्चा आम है कि भारतीय जनता पार्टी अपना ही उम्मीदवार खड़ा करेगी कुछ चर्चाएं यह भी रही कि यहां एक नया फार्मूला अप्लाई किया जाएगा l वह यह है की जरूरत पड़ने पर उम्मीदवार जेजेपी दे देगी परंतु सिंबल भारतीय जनता पार्टी का होगा पर पिछले दिनों हल्के में जनसंपर्क के लिए आए जेजेपी के नेता अजय सिंह चौटाला ने मीडिया में यह स्पष्ट कर दिया कि ऐसा नहीं है lचुनाव में जिस पार्टी का प्रत्याशी होगा सिंबल भी उसी का होगा l मतलब अगर यह सीट जननायक जनता पार्टी के हिस्से में आई तो उम्मीदवार चाबी के चुनाव चिन्ह पर ही लड़ेगा l

पहले लड़े थे न्यारे न्यारे
अब हो गए हैं राज दुलारे

एक तरफ जहां भाजपा के लोग और उनके समर्थक यह दावा कर रहे हैं कि उम्मीदवार भाजपा का ही होगा वही जननायक जनता पार्टी के नेता यह तर्क दे रहे हैं कि भूपेंद्र मलिक के रूप में सबसे मजबूत उम्मीदवार उनके पास है और जीत के लिए ऐसा करना मतलब भूपेंद्र मलिक को मैदान में उतारना इसलिए जरूरी हो जाएगा की पार्टी के पास हल्के की परिस्थितियों और अपेक्षाओं की अनुरूप मलिक मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए कोई और सक्षम कोई और उम्मीदवार नहीं है l भूपेंद्र मलिक पिछले चुनाव में अपनी योग्यता और लोकप्रियता सिद्ध कर चुके हैं l जे जे पी की इस सीट पर दावेदारी का एक तर्क और है lउनके नेता कहते हैं कि गठबंधन सरकार बनने के बाद उसके नेताओं के दिल्ली चुनाव में सीटों पर अपनी दावेदारी छोड़ दी और ऐसे ही राज्यसभा के चुनाव में उसने कोई दावेदारी नहीं की lऐसे में जीत के लिए जरूरी है भारतीय जनता पार्टी यह सीट जननायक जनता पार्टी के उम्मीदवार के लिए छोड़ दें lक्योंकि उसके पास जीत के लिए सक्षम उम्मीदवार हैं l ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के टिकट अंखियों को सरकार में एडजस्ट करने का फार्मूला अप्लाई किया जा सकता है l

यहां अब दोनों दलों के लिए एक बड़ी व्यावहारिक समस्या आ खड़ी हुई वह यह है कि यह सारे प्रार्थी हल्के में अपना अपना अच्छा असर रखते हैं परंतु कई लोगों में आपस में 36 का आंकड़ा है lइसलिए यह अंडरस्टूड है कि इसको टिकट दिया गया तो वह मदद नहीं करेगा l उसको दिया गया तो यह नहीं करेगा इस को टिकट दी गई तो वह कांग्रेस की तरफ चला जाएगा lउसको दी तो यह चला जाएगा l इस संभावना और आशंका को आमजन आमजन भी महसूस कर रहा है lऐसे में भारतीय जनता पार्टी एक फार्मूले पर काम कर रही हैl वह हमने पहले भी उजागर किया था यह बताते हुए कि चुनाव से पहले सरकार दो तीन लोगों को सरकार में लाभ के पदों पर आसीन कर सकती हैl उसने ऐसा ही जींद उपचुनाव में भी किया था lयह तीन लोग दोनों दलों से हो सकते हैं परंतु कौन होंगे यह सवाल है l

जो टिकट मांग रहे हैं वह एक दूसरे का नाम लेकर प्रचार करने में लगे हैं कि सरकार फला भला उम्मीदवार को तो चेयरमैन बना रही है और मुझे टिकट मिलने वाली है l परंतु लोग आपस में बात कर नेताओं से चर्चा कर सारी चीजों को वेरीफाई कर लेते हैं l इससे सरकार भी परेशान है lअब नई चर्चा शुरू हो गई है कि चेयरमैन आदि तो बनाएंगे परंतु बनाएंगे चुनाव के बाद ऐसा इसलिए किया जा रहा है की भ्रम की स्थिति का लाभ लेकर टिकट से वंचित लोगों को काम पर लगाने के फार्मूले को अलग तरीके से अप्लाई कर दिया जाए lबता दिया जाए कि आपको एडजस्ट किया जाएगा परंतु चुनाव के बाद भाजपा का काम रने का तरीका थोड़ा अलग है l

आप समझते हैं की टिकट से वंचित टिकट मांगने वालों को यह कहकर लाइन पर लाने की कोशिश की जाएगी कि आपको एमएलए तो नहीं बना सकते परंतु एमएलए जैसा बना देंगे l हमने इससे पहले यह दावा किया था कि सरकार बरोदा हल्के में तीन राजकीय महाविद्यालय बना सकती है उसने दो की घोषणा कर दी है अब हम ने दावा किया है कि सरकार हल्के में मुंडलाना और कथुरा को उप तहसील का दर्जा दे सकती है दो तीन लोगों को लाभ के पदों पर समायोजित किया जा सकता है इसके अलावा यहां एग्रो बेस्ड दो बड़ी बड़े मिल स्थापित करने की घोषणा भी हो सकती है lएक बात का दावा अब सब करने लगे हैं की बरोदा में गठबंधन का उम्मीदवार तो जाट होगा ही कांग्रेस का इनेलो का उम्मीदवार भी निश्चित तौर पर जाट ही होगा l सारे के सारे दल इस कोशिश में भी नजर आ रहे हैं कि उनका उम्मीदवार मलिक हो या मलिक मतदाताओं में असर रखता हो l वैसे राजनीतिक पर्यवेक्षक यह मानकर चल रहे हैं कि चुनाव की दिशा और दशा तब तय होगी जब कांग्रेस अपने उम्मीदवार का नाम तय कर देगी और यह भी सच्चाई है कि कांग्रेस भाजपा के जजपा के उम्मीद्वार का नाम जानना चाहती है तो भाजपा जजपा के लोग यह जानने की कोशिश में है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा किसे मैदान में उतारेंगे परंतु यहां के मतदाता यह साबित करने की कोशिश में जरूर है कि बरोदा राजनीतिक मामलों में बोदा हल्का नहीं है l यहां लोग राजनीतिक तौर पर बहुत ही सजग और चतुर हैं l

error: Content is protected !!