नई शिक्षा नीति को लागू करने में हरियाणा देश का होगा पहला राज्य

चंडीगढ़, 21 अगस्त। हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने शिक्षाविदों को आशवस्त किया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अनुसंधान, अन्वेंषण तथा जीविकोपार्जन से सम्बन्धित अध्ययन कार्य को गति देने के लिए धन की कमी आडे नहीं आएगी। नई शिक्षा नीति में पहले से ही सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा क्षेत्र के लिए तय किया गया है। ऐसा देश में पहली बार हुआ है। आर्य शुक्रवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राजभवन में आयोजित चार दिवसीय डिजिटल कॉन्क्लेव के समापन अवसर पर बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में दर्जनभर विश्वविद्यालयों के कुलपति व शिक्षाविद उपस्थित थे। शेष विश्वविद्यलायों व शिक्षण संस्थाओं के कुलपति व पदाधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रैंस से हिस्सा लिया। इस मौके पर हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष बी.के. कुठियाला ने चार दिन तक चली डिजिटल कॉन्क्लेव के निष्कर्ष की प्रस्तुति दी।

राज्यपाल आर्य ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सामाजिक रूप से दबे-कुचले लोगों की शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों को पूरी तरह अम्ल में लाना हम सब के लिए चुनौती होगी। इसके लिए हमें निजी संस्थानों के साथ बेहतर सामंजस्य करने की जरूरत है। नई शिक्षा नीति के मानदण्डों को अपनाते हुए यदि हम गरीब लोगों के लिए शिक्षा के सामान अवसर जुटा पाए तो यह देश के लिए गौरव की बात होगी।

राज्यपाल ने समान शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा तंत्र में शहरी व ग्रामीण शिक्षा की खाई को मिटाना होगा जिससे सभी को शिक्षा के सामान अवसर मिल पाएगें। देश में सामान शिक्षा होगी तो वर्णविहिन समाज होगा और नव भारत का निर्माण होगा। इस अवसर पर राज्यपाल की सचिव डा0 जी. अनुपमा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में आगंनवाड़ी केन्द्रों को शिक्षा का बिन्दु माना गया है। उन्होनें आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिए अध्यापकों को विशेष प्रशिक्षण दिए जाने का सुझाव दिया। जिससे प्रशिक्षित अध्यापक महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशिक्षण दें सकें।

हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो0 बृज किशोर कुठियाला ने चार दिन चले इस कॉन्क्लेव के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए अवगत करवाया कि 250 से अधिक विद्यालयों, महाविद्यलायों, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, प्रचार्यों, मुख्याध्यापकों व अन्य शिक्षाविदों ने अपने सुझाव दिए हैं और परिषद अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की कार्य योजना तैयार करेगी। उन्होनें राज्यपाल को आश्वासन दिया कि उनके मार्गदर्शन में नई शिक्षा नीति को लागू करने में हरियाणा को देश का पहला राज्य बनाया जाए।

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