भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

चंडीगढ़। वर्तमान में सारे हरियाणा में रजिस्ट्री घोटाले की चर्चा है और इस घोटाले में हरियाणा के एकमात्र सबसे समर्थ जिले गुरुग्राम में तहसीलदारों पर गाज गिरी है। अन्य 21 जिलों में अभी तक कहीं कोई कार्यवाही देखने में नहीं आई। अब प्रश्न यह है कि क्या यह घोटाला है या नहीं और है तो क्या केवल गुरुग्राम में?

मुख्यमंत्री कहते हैं कि यह घोटाला है ही नहीं, व्यवस्था की कर्मी है और आज उप मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि यह घोटाला है तथा इन लोगों ने व्यवस्था की कमियों का लाभ उठाकर, रास्ते निकालकर भ्रष्टाचार किया है। हम ऐसे नियम बनाएंगे, जिससे ये आगे भ्रष्टाचार न कर सकें।

अब गुरुग्राम की ही बात देखिए, खुद राजस्व विभाग के मंत्री दुष्यंत चौटाला स्वयं गुरुग्राम में कह गए थे कि जिन अधिकारियों को पकड़ा जाएगा, उन पर विभागीय कार्यवाही ही नहीं अपितु एफआइआर भी दर्ज कराई जाएंगी लेकिन गुरुग्राम में राजस्व विभाग के अधिकारियों ने ज्ञापन दिया कि हमारी विभागीय जांच कराई जाए लेकिन एफआइआर दर्ज न कराई जाए और जाहिर सी बात है कि उपायुक्त ने वह ज्ञापन सरकार को पेश भी कर दिया होगा। अब ऐसी अवस्था में क्या माना जाए कि सरकार इस ज्ञापन पर विचार करेगी या इस ज्ञापन के आने पर और सख्ती से कार्यवाही करगी। जनता इस ओर बड़ी उत्सुकता से देख रही है।

रजिस्ट्रियों में जो भ्रष्टाचार हुआ है, वह सब नियमों को ताक पर रखकर हुआ है। नियमों से कम रेट पर स्टाम्प पेपर खरीदे गए। जिस जगह के नियम टुकड़ों में रजिस्ट्री करने के नहीं थे, वहां टुकड़ों में रजिस्ट्री की गई और यहां तक बातें आई हैं कि जिन स्थानों पर न्यायालय के आदेश के अनुसार रजिस्ट्रियां बंद हैं, वहां भी रजिस्ट्रियां की गईं। यह सब कहने का तात्पर्य यह है कि जब नियम ही तोड़े जा रहे हैं तो नए नियम बनाने से भ्रष्टाचार रूक जाएगा, यह बात कुछ गले से उतरती नहीं।

कहने को तो यह राजस्व विभाग का भ्रष्टाचार है, किंतु हर जिले राजस्व विभाग उपायुक्त की देख-रेख में रहता है तो यह कहना कि उपायुक्त को इन चीजों का ज्ञान नहीं था, कहां तक उचित है?

एक बात उभरकर आती है कि यदि यह उपायुक्त की जानकारी में था तो वह चुप क्यों रहे और यदि जानकारी में नहीं था तो उनकी कार्य कुशलता पर प्रश्न चिह्न लगना लाजिमी है।

यह तो हुई अधिकारियों की बात लेकिन गुरुग्राम में जितने भी भू-माफिया हैं और कॉलोनियां काट रहे हैं, अधिकांश घोटाले उन्हीं कॉलोनियों में हुए हैं और यह बात तय है कि भू-माफिया, सरकार और प्रशासन से सांठ-गांठ करके ही यह कार्य करते हैं। अत: यह कहना कि केवल राजस्व विभाग के अधिकारी ही इसके दोषी हैं, उचित नहीं होगा। यदि उचित प्रकार से जांच की जाए तो इसमें अधिकारी और राजनेताओं की संलिप्तता अवश्य मिलेगी।

अब यह समय के गर्भ में है कि जीरो भ्रष्टाचार टोलरेंस का दावा करने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल क्या इसकी जांच सीबीआइ से कराएंगे या अपने ही अधिकारियों को इसकी जांच देकर इस पर लीपापोती कर सिस्टम की कमी बता अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएंगे।

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