भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम नगर निगम हमेशा अपने कार्यों के लिए चर्चा में रहता है। सडक़ों को बनाना हो, सीवर-नाले खोलना हो, सेनेटाइज करना हो, यहां तक कि अवैध कब्जे हटाना हो आदि मामलों में उनकी कार्यवाहियों पर सवाल उठते ही रहते हैं।

गत दिनों निगम की सीनियर डिप्टी मेयर प्रमिला कबलाना के पति के कार्यालय पर तोडफ़ोड़ की गई। वैसे देखा जाए तो न्यायालय का आदेश है कि 900 मीटर दायरे में कोई निर्माण नहीं किया जाए और अनेक बंदिशें हैं परंतु उनकी ओर निगम का कभी ध्यान नहीं जाता। सबसे अधिक मजेदारी तो यह है कि जहां तोडफ़ोड़ हो रही थी, उससे कुछ दूरी पर ही नए निर्माण भी हो रहे थे, उनकी ओर निगम के दस्ते की नजर क्यों नहीं गई।

जहां तक हम जानते हैं कि यह इमारत तो कई वर्ष पूर्व बनी हुई थी तो अचानक उस पर डीटीपी या निगम का ध्यान कैसे गया और ध्यान यदि गया तो अच्छी बात है, देर आए दुरुस्त आए परंतु उसके अतिरिक्त भी अनेक ऐसी इमारतें हैं जो बनी हुई हैं, उन पर निगम और डीटीपी की कुदृष्टि क्यों नहीं गई।

हमने भी कुछ रोज पहले लिखा था कि 900 मीटर दायरे में अनेक निर्माण निरंतर हो रहे हैं और लिखने का तात्पर्य यह था कि उस ओर निगम का ध्यान आकर्षित किया जाए। वैसे तो यह हमारा हास्यास्पद प्रयास था कि निगम की मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर के ये वार्ड हैं और ये इन सभी बातों से पूर्णत: वाकिफ भी हैं। इसके अतिरिक्त निगम का विशेष इंफोर्समेंट दस्ता इनको ढूंढकर तोडऩे के कार्य पर लगाया हुआ है परंतु उनको यह सब क्यों नजर नहीं आता। मैंने हास्यास्पद इसलिए लिखा क्योंकि मैं भूल गया था कि सोते हुए को तो जगाया जाता है, जागे हुए को कौन जगाए। अर्थात यह सब निगम की जानकारी में ही हो रहा है।

यह तो वहां रहने वाले ही नहीं गुरुग्राम नगर के अधिकांश लोग जो जागरूक हैं, जानते हैं कि उस ऐरिया में कुछ अधिक लेकिन सारे गुरुग्राम में ही हर क्षेत्र में बिना नक्शा बनवाए निर्माण निर्बाध गति से हो रहे हैं और वे प्रशासन को दिखते नहीं। इसका अर्थ शायद यह निकलता है कि पार्षद, इंफोर्समेंट टीम, निगम की मेयर, कमिश्नर, विधायक आदि भी इनको रोकने में रूचि नहीं दिखाते, केवल कहते हैं कि बिना नक्शा पास कराए निर्माण नहीं होना चाहिए। अब इसके पीछे क्या कारण है, हम लिख तो नहीं सकते लेकिन पाठक समझ सकते हैं कि समाज में जीने के लिए भाई-बंदी, अर्थ, धन सभी चीजों की आवश्यकता पड़ती है। शायद इससे उनकी पूर्ति होती हो।

इसी प्रकार आजकल निगम की ओर से अरावली क्षेत्र में झुग्गियां हटाई जा रही हैं। अब प्रश्न यह है कि क्या सभी निर्माण जो अवैध हो रहे हैं, वे तोड़ दिए गए हैं, जो गरीब आदमी की झुग्गियों पर ध्यान जा रहा है। वैसे कुछ सूत्रों से यह ज्ञात हुआ है कि ये झुग्गियां वहां से हटाई जाती हैं, जहां साथ रहने वाले किसी बिल्डर, उद्योगपति या इंडस्ट्रियलिस्ट को उनसे परेशानी हां रही हो। अधिक जानकारी अभी उपलब्ध है नहीं। लेकिन चर्चाएं पहले भी ऐसी चलती रही हैं, जिनमें सत्यता भी रही है और अभी भी चल रही हैं।

ये सभी बातें उभरकर तब आ रही हैं, जब गजे सिंह कबलाना के कार्यालय पर कार्यवाही की गई। हालांकि वह कार्यवाही भी एक संदेश दिखाई देता है कि तुम्हारे कार्यालय को भी तोड़ा जा सकता है। लेकिन जनता में यह संदेश अवश्य गया कि यह सब किन्हीं राजनैतिक कारणों से या फिर आपसी खिंचाव के चलते किया गया है। अर्थात लड़ाई सम्मान को लेकर लगती है।

इस घटना से पिछले वर्षों वाली वह घटना भी याद आ जाती है जब न्यू कॉलोनी में यशपाल बतरा जो जब सीनियर डिप्टी मेयर थे, उनकी इमारत पर भी कार्यवाही की गई थी। यह दूसरी बात है कि वह इमारत तब अवैध थी, अब वैध है। और इसी प्रकार संभव है कि जो कबलाना का कार्यालय अब अवैध है, फिर वैध हो जाएगा। शायद यही निगम की उचित कार्यवाही है।

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