गुरुग्राम।भारतीय भाषाओं के उत्थान के लिए कार्यरत ‘विश्व भाषा अकादमी'(रजि.) ने नयी शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए इसके तहत हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने की माँग की है।

अकादमी के चेयरमैन मुकेश शर्मा ने शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदवाल लाने वाली नयी शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए कहा है कि इस शिक्षा नीति में राष्ट्रभाषा हिंदी की स्थापना के लिए केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति नदारद दिखायी दे रही है।उन्होंने कहा कि लगता है कि इससे पहले विचाराधीन त्रिभाषा फार्मूले को सरकार भूल गई है और अंग्रेजी के वर्चस्व के सामने आत्मसमर्पण मुद्रा में आ गई है।

अकादमी चेयरमैन मुकेश शर्मा ने कहा कि हिंदी का किसी भी अन्य भारतीय भाषा से कोई विरोध नहीं है, किंतु नयी शिक्षा नीति के तहत हिंदी को अनिवार्य विषय न बनाने के बाद अब दक्षिण राज्यों में हिंदी के विकास पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।उन्होंने कहा कि ताज्जुब है कि हिंदुस्तान में ही हिंदी को प्रश्रय नहीं मिल पाया है।

हिंदी की उपेक्षा पर आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी को नयी शिक्षा नीति में अनिवार्य विषय न बनाने और सरकारी कार्यालयों में कामकाज के लिए हिंदी को लागू न करने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि राष्ट्रभाषा हिंदी को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं है और राज्यों की भाषाई राजनीति के सामने सरकार ने घुटने टेक दिए हैं।

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