·         आमजन और किसानों को हो रही परेशानियों को देखते हुए सरकार से संपत्तियों की रजिस्ट्री पर लगी रोक हटाने की मांग की. ·         आरोप लगाया कि ऊपरी मिलीभगत के बिना निचले स्तर पर इतने बड़े घोटाले को अंजाम नहीं दिया जा सकता. ·         भाजपा सरकार 6 साल में भी भू-अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण के बचे हुए काम का 1% भी पूरा नहीं कर पाई

चंडीगढ़, 23 जुलाई। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश भर में नगरपालिका सीमा / शहरी क्षेत्रों के भीतर कृषि भूमि के मामले में 5 अगस्त 2020 तक और अन्य संपत्तियों के मामले में 30 जुलाई तक अचल संपत्ति के पंजीकरण पर प्रतिबंध लगाने के कदम की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कल और आज के समाचार पत्रों में आई खबरों से पता चला है कि हरियाणा में एनसीआर इलाके की संपत्तियों के पंजीकरण में भारी घोटाला हुआ है, जहां कथित रूप से तहसीलदारों और नायब द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए पहले टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से एनओसी प्राप्त किए बिना नगरपालिका क्षेत्रों के भीतर कृषि संपत्तियों के पंजीकरण किया जा रहा है। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार की नाक के नीचे चावल मिल धान भंडारण घोटाला, बस किलोमीटर योजना घोटाला, चीनी मिल खरीद घोटाला, HSSSC नौकरियों में घोटाला के बाद अब ताज़ा रजिस्ट्री घोटाला अंजाम दिया गया है। दीपेन्द्र हुड्डा ने सवाल किया कि क्या ये सरकार घोटाले करने के लिए ही बनी है?

उन्होंने कहा कि अगर डेटा या प्रक्रियाओं में कोई मामूली कमियां थी भी तो पूरी प्रक्रिया को रोकने और शहरी क्षेत्रों में विलेखों के पंजीकरण का काम रोकने की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि ऑन-लाइन सिस्टम के जगह मैनुअल निर्देश और मैनुअल प्रणाली काम किया जा सकता था। दीपेन्द्र हुड्डा ने इसके कारण आमजन और किसानों को होने वाली असुविधा पर घोर पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि सरकारी तंत्र की खामियों के लिए अनावश्यक रूप से गरीब और असहाय जनता को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। हरियाणा में पंजीकरण पर प्रतिबंध के पीछे कोई छुपा हुआ निहित एजेंडा होने की आशंका को व्यक्त करते हुए उन्होंने इस प्रकरण की उच्च स्तरीय सीबीआई जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि उच्च स्तर की जांच से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा और इस घोटाले के पीछे का पूरा सच सामने आ जाएगा। उन्होंने राज्य सरकार से अपील करी कि वो विलेखों की रजिस्ट्री पर लगा प्रतिबन्ध हटाये और उचित तकनीकी समाधानों के जरिये लंबित आंकड़ों, प्रक्रिया संबंधी डेटा / प्रक्रिया सिंक्रनाइज़ेशन को शुरू करें, ताकि मंदी के इस दौर में सरकार को राजस्व का नुकसान न हो और आम जनता को भी अकारण परेशानी न उठानी पड़े।  

दीपेन्द्र हुड्डा ने मीडियाकर्मियों का ध्यान इस ताज़ा घोटाले की विसंगतियों की ओर दिलाते हुए कहा कि जब तक ऊपर के स्तर पर बैठे लोग भू-माफिया और अधिकारियों के साथ मिलीभगत नहीं करते तब तक निचले स्तर के अधिकारियों द्वारा इस तरह के आपराधिक घोटाले को अंजाम नहीं दिया जा सकता है। इस मामले की पृष्ठभूमि को विस्तार से बताते हुए श्री हुड्डा ने बताया कि हरियाणा में नगरपालिका क्षेत्रों के भीतर कृषि भूमि पर अवैध बसावट को रोकने के लिए राज्य सरकार ने हरियाणा विकास और शहरी क्षेत्र विनियमन अधिनियम, 1975 की धारा 7-ए और पंजाब अनुसूचित सड़कें और अनियंत्रित विकास के नियंत्रित क्षेत्र प्रतिबंध अधिनियम, 1963 के तहत अधिसूचना जारी की थी। दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि अवैध कॉलोनियों पर अंकुश लगाने के लिए ही अधिसूचित क्षेत्रों में कृषि संपत्तियों के पंजीकरण के लिए, यदि भूमि 2 कैनाल से कम है तो, तहसीलदार / नायब तहसीलदार द्वारा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से NOC हासिल करना जरूरी है। यह अधिसूचना तत्कालीन भूपिंदर सिंह हुड्डा सरकार के पहले कार्यकाल (2005-2009) के दौरान जारी की गई थी, जिसका खबरों के मुताबिक़ राजस्व अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह काम शीर्ष स्तर पर बैठे लोगों की शह के बिना नहीं हो सकता है।

सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि कांग्रेस की हुड्डा सरकार (2005-2014) के दौरान बड़े पैमाने पर भू-अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण और ऑनलाइन पंजीकरण का काम किया गया था, लेकिन इस बात की निराशा है कि मौजूदा भाजपा सरकार सत्ता में आने के बाद 6 साल में भी भू-अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण के बचे हुए काम का 1% भी पूरा नहीं कर पाई। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने भले ही पंजीकरण को ऑनलाइन करने और भूमि रिकॉर्ड के कम्प्यूटरीकरण के काम का श्रेय लेकर खुद की पीठ पर थपथपाते हुए कई भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया हो, लेकिन संपत्तियों की रजिस्ट्री पर लगाईं गई ताज़ा रोक एक धब्बे के रूप में दिख रही है। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री और सरकार में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को भ्रामक और झूठे प्रचार का ढोल पीटने की बजाय शासन पर ध्यान देने की सलाह दी। दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी जोड़ा कि प्रदेश में जिस प्रकार से संपत्तियों की रजिस्ट्री प्रक्रिया पर आनन-फानन में रोक लगाई गई है, वो बड़े पैमाने पर हो रही गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को स्वतः स्वीकार कर रही है।

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