–कमलेश भारतीय वैसे तो आजकल चिट्ठियों का ज़माना कहां ? सब जगह नेटवर्किंग और ईमेल का चलन । कौन पूछता है चिट्ठी को ? फिर भी हम ठहरे पुराने ज़माने के । वही पांच पैसे वाला पोस्टकार्ड लिखने की हैसियत रखते हैं । जो हर आम आदमी लिखता है । फिर भी हमारे राजस्थान के मुख्यमंत्री ने पता नहीं क्या सोच कर पोस्टकार्ड प्रिय मोदी जी को पोस्ट कर दिया । अब उनके पास इतना समय कहां ? वे एक एक पोस्टकार्ड पढ़ते फिरेंगे भला ? वे तो राम मंदिर के शुभ मुहूर्त की राह देख रहे हैं बेशक शरद पवार उन्हें कह रहे हों कि यह समय मंदिर का नहीं , कोरोना से लड़ने का है । अरे पवार जी , हद कर दी आपने भी । मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार पलटने के बाद तो कोरोना की लड़ाई शुरू की । अब राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले पहले राजस्थान की सरकार गिराने का लक्ष्य लगता है । फिर भी जो अशोक गहलोत ने लिखा है क्या वह मोदी जी के संज्ञान यानी ध्यान में नहीं होगा ? राजस्थान में जो चल रहा है वह क्या उनके बिना नोटिस या बिना उनकी हरी झंडी के चल रहा है ? इसे अशोक गहलोत का भोलापन कहा जाये या फिर प्रचार पाने का एक फंडा ? दोनों कारण हो सकते हैं । अशोक गहलोत ने खत भी हिंदी में लिखा है क्योंकि वे कह चुके हैं कि अंग्रेजी आने से कुछ नहीं होता । सही किया । नहीं तो सचिन पायलट न बन जाते । अपनी मातृभाषा और राष्ट्रभाषा में लिखा । बधाई । अब आपके यहां यानी परिवार में जो ईडी के छापे पड़ रहे हैं , वे क्या हरियाली तीज की बधाई की एवज में हैं ? फिर भी मैं कुछ बातें जोड़ने के मूड में हूं गहलोत जी । आपकी चिट्ठी में । जैसे गाजियाबाद की पत्रकार की सरेआम हत्या । सिर्फ इसलिए कि पत्रकार अपनी भांजी की छेड़छड़ का विरोध कर रहा था और दो घंटे पहले तक पुलिस को खबर कर चुका था लेकिन यह फिल्मी पुलिस है योगी जी की । बाद में एनकाउंटर कर वाहवाही लूटती है पहले विकास करने देती है गुंडाराज को । तभी तो राहुल गांधी ने पूछा -राम राज लाने का वादा था , आ गया गुंडाराज । कैसे ? प्रिय मोदी जी ,यह राजनीतिक खरीद फरोख्त की मंडी आप कब बंद करवा रहे हो ? हर राज्य में यह अपनी मंडी की तरह लगने लगी है और आमजन में बड़ी बेचैनी होने लगी है । कब तक इस मंडी पर प्रतिबंध लगवाओगे टिक टाॅक की तरह ? आखिर आलू बैंगन की तरह कब तक विधायक बिकते रहेंगे ? तभी तो गहलोत कह रहे कि मैं बैंगन बेचने नहीं आया । मुख्यमंत्री बनने आया हूं । वाह । पहले बैंगन बेचने तो सीख लो । चाय बनाना, पकौड़े बनाने सीख लो गहलोत जी । ऐसे ही मुख्यमंत्री बनने चले हो ? पश्चिमी बंगाल में राज पाने के लिए हिंसा कौन भड़का रहा है ? क्यों हिंसा बढ़ती जा रही है ? अरे , देश की नींव ही खून पर रखी गयी थी विभाजन के समय । अब तो कुछ होश करो । दिल्ली में पिछली विधानसभा में क्या क्या नहीं किया केजरीवाल के साथ ? साधारण अर्जी पर केजरीवाल के विधायक जेल के पीछे ठूंसे जाते रहे । हरियाणा में बरोदा जीतने के लिए क्या क्या होगा ? रोहतक जैसा भी कुछ यानी गिनती तक ? प्रिय प्रधानमंत्री जी , राज या सत्ता सदा किसी के न हुए न होंगे । हां , आपके कर्म से आपके गुणगान जरूर होंगे । जैसे इंदिरा गांधी की लगाई इमर्जेंसी आज तक भूली नहीं । बाकी जवाहर लाल नेहरू जी की कितनी गलतियां आप गिनवाते रहते हो । आप तो ऐसे न कीजिए । आप तो ऐसे न बनें । प्लीज । थोड़े लिखे को बहुत समझना । चिट्ठी को तार समझना । मोदी जी ।। कहा सुना माफ करना । Post navigation कितना खर्च विधायकों पर किसी को क्या फिक्र ? कुलदीप बिश्नोई ने ऐसी क्या उपलब्धि की जिसे बिश्नोई रतन दिया गया-मनोज पाल