राष्ट्र-प्रेम पर आधारित अपनी श्रेष्ठ रचनाओं की प्रस्तुति 

अशोक कुमार कौशिक

नारनौल । साहित्य एवं संस्कृति-संवर्धन के प्रति क्रियाशील ‘साहित्य-संस्कृति मंच हरियाणा’, के तत्वावधान में ऑन लाइन राष्ट्रीय कवि-संगोष्ठी ‘एक शाम-वतन के नाम’ का आयोजन किया गया । शिक्षाविद-साहित्यकार सभाचन्द यादव की अध्यक्षता में आयोजित -कवि-गोष्ठी’ में देश के विभिन्न प्रान्तों के कवियों ने राष्ट्रभक्ति विषय पर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की । कार्यक्रम का संयोजन वरिष्ठ कवि शैलेन्द्र सिंह ‘शैली’ ने किया जबकि मंच-संचालन डॉ विजयलक्ष्मी ‘अनु’ व वरिष्ठ कवि कमल भास्कर ने किया । 

कवि-संगोष्ठी ‘एक शाम-वतन के नाम’ का आगाज करते हुए ‘साहित्य-संस्कृति मंच’ के संयोजक डॉ सी एस वर्मा ‘प्रभाकर’ ने कहा कि ‘जननी और जन्म-भूमि सदैव ही वंदनीय हैं जिनके ऋण से हम कभी उऋण नही हो सकते । इसलिए हमें निस्वार्थ भाव से इनकी सेवा करनी चाहिए । कवि-संगोष्ठी में ख्याति प्राप्त आर्टिस्ट सतीश राजोतिया, रेवाड़ी,  लोक-साहित्यकार समशेर सिंह कोसलिया तथा वरिष्ठ कवयित्री वीणा अग्रवाल ने विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की । प्रमुख शिक्षा शास्त्री नेमीचन्द शांडिल्य व वरिष्ठ कवयित्री रोशनी शर्मा ने कार्यक्रम-समीक्षक की भूमिका निभाई 

गुरुग्राम से वरिष्ठ कवयित्री सुशीला यादव ने सरस्वती वंदना करते हुए मानव-कल्याण की कामना की । कवयित्री डॉ बबीता गर्ग, अलवर, डॉ इंदिरा गुप्ता ‘यथार्थ’, भिवाड़ी, आभा साहनी, सुनीता गर्ग, रेणु अब्बी ‘रेणु’ पंचकूला,दलबीर फूल, कोसली, मुकुट अग्रवाल, रेवाड़ी, डॉ किरण जैन, राकेश मेहता, मंजीत तुर्का,डॉ रेखा शर्मा एवं एकता डांग अम्बाला, निशा नन्दिनी भारतीय असम, डॉ एन के सेठी दौसा, प्रदीप निर्बान अटेली, रागिनी त्रिपाठी ‘देवशी’ गुजरात, राशि श्रीवास्तव व शारदा मित्तल चंडीगढ़, होशियार सिंह यादव कनीना, सुरेश धीमान पंजाब, परमानन्द दीवान नारनौल, विजयपाल सेहलनगिया महेंद्रगढ़ तथा करुणेश राघव परमार साँवड भिवानी ने राष्ट्र-प्रेम पर आधारित अपनी श्रेष्ठ रचनाओं की प्रस्तुति की । 

इस अवसर पर मंच-अध्यक्ष कृष्ण कुमार यादव, वरिष्ठ साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया, सुंदरलाल ‘सुबोध’, अजीत प्रजापति, नीरजा शर्मा व वीरेंद्र जांगड़ा सहित अन्य साहित्यकार भी मौजूद रहे 

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