–कमलेश भारतीय भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि एक खारिज और अस्वीकृत परिवार पूरा विपक्ष नहीं हो सकता । उन्होंने यह भी कहा कि यह एकजुटता और एकता का समय है लेकिन आलोचना का समय नहीं । जे पी नड्डा जी विपक्ष को नम्बरों की लिस्ट से कम मत आंकिए । अकेले राम मनोहर लोहिया ही काफी भारी पड़ते थे प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु पर । फिर युवा तुर्क कहे जाने वाले चंद्रशेखर , कृष्ण मोहन और मोहन धारिया कम नहीं थे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नाक में दम करने के लिए । वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ही रोज़ सवाल पूछ पूछ कर राजीव गांधी को परेशान किए रखते थे । आप राहुल गांधी को सिर्फ शाही परिवार या खारिज परिवार कह कर आलोचना व बहस की दिशा बदल रहे हैं । क्या विपक्ष को आलोचना का अधिकार भी नहीं ? स्वस्थ विपक्ष ही सत्ता पक्ष को संतुलित रखता है । वैसे तो कभी कांग्रेस के एक अध्यक्ष बरुआ ने कहा था -इंडिया इज इंदिरा , इंदिरा इज इंडिया । आजकल इसी तर्ज पर मोदी का भारत कहने वालों की कमी नहीं । यह भारत करोड़ों लोगों का भारत है , कभी किसी प्रधानमंत्री का भारत नहीं रहा । चाहे वे इंदिरा गांधी रही हों या अब के प्रधानमंत्री । सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस बेशक अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हो लेकिन आप जरा दिल पर हाथ रख कर बताइए कि भाजपा में कितने प्रतिशत कांग्रेसी आ चुके ? ये वही कांग्रेसी हैं जो कांग्रेस को डुबो रहे थे । मध्य प्रदेश में किसके बल पर सरकार बनाई ? राजस्थान में किनके बल पर राज्यसभा चुनाव जीतने की कोशिश थी ? मणिपुर में किसके बल पर सरकार बनाई ? अब पूर्व मुख्यमंत्री ईबोबी पर छापे क्यों ? क्योकि आपकी वही जोड़तोड़ वाली सरकार पर संकट है ? यही लोकतंत्र है ? यही नीति है ? मध्य प्रदेश की जोड़तोड़ की कवरेज की छूट थी मीडिया को लेकिन मणिपुर की कवरेज तक दबा रखी है ? कांग्रेस और इंदिरा गांधी को हर वर्ष पच्चीस जून को आपातकाल के लिए कोसा जाता है लेकिन अब मीडिया क्या आजाद है ? पच्चीस जून को पहले लाल कृष्ण आडवाणी भी रोहतक आकर अपनी उस जेल को मस्तक नवाते थे लेकिन अब खामोश क्यों ? विपक्ष को आलोचना करने का अधिकार है और यह लोकतंत्र में सबको है । विपक्ष एकजुट हुआ तभी तो आप कांग्रेस को हरा सके । यह ट्वीट आपके यानी भाजपा के अह॔कार का प्रतीक माना जायेगा । दिल्ली आप जीत नहीं सके । एक अरविंद केजरीवाल को आपके ही अनुराग ठाकुर ने क्या क्या नहीं कहा था ? सब आपके सिवाय देशद्रोही ? आलोचना को आप देशद्रोह कहना कब बंद करेंगे ? चीन पर कोई कुछ न कहे । कश्मीर पर कोई कुछ न कहे क्योंकि एकता और एकजुटता को खतरा है । आप महबूबा के साथ सरकार बनायें और एक असफल प्रयोग के बाद समर्थन वापस ले लें । कोई कुछ न बोले । जब आप कश्मीर में महबूबा के साथ सरकार चला रहे हों तो सब ठीक लेकिन कोई और गठबंधन आगे आए तो राष्ट्रपति शासन ? क्यों ? ईबोबी पर छापे ? कमलनाथ के समर्थकों पर छापे और टाइमिंग सरकार गिराने या बचाने की ? ये सब पहले क्यों नहीं ? आपातकाल को याद कीजिए जरूर लेकिन कुछ सबक भी लीजिए कि कांग्रेस क्यों पाताल तक पहुंच गयी ? महाराष्ट्र में अजीत पवार के साथ आधी रात को सरकार को शपथ दिलाना कितना महंगा पड़ा? राजस्थान में विधायकों को खरीदने की कोशिश फिलहाल असफल ? पर हिम्मत न हारिए । लोकतंत्र को खोखला करने में लगे रहिए । यह खेल जारी रखिए और आपातकाल को कोसना बंद कीजिए । अहंकार से मदमस्त न रहिए । प्लीज नड्डा जी । Post navigation बिजली उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण के लिए टोल फ्री नंबर 1912 कारगर साबित क्या 25 जून 1975 के घोषित आपातकाल से आज के मोदी-भाजपा राज के अघोषित आपातकाल में कोई अंतर है ? विद्रोही