भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम में आयुध डिपो से 900 मीटर के दायरे में न्यायालय की ओर से निर्माण पर रोक लगाई हुई है लेकिन उस रोक के पश्चात भी वहां अनेक निर्माण हो चुके हैं। वर्तमान में भी हो रहे हैं। आज हम इसी बारे में बताने जा रहे हैं।

ऐसा माना जाता है कि यह निर्माण राजनैतिक संरक्षण के बिना संभव है ही नहीं और राजनैतिक संरक्षण के साथ-साथ प्रशासनिक संरक्षण भी आवश्यक है, क्योंकि कार्यवाही तो प्रशासन को ही करनी होती है।

गुरुग्राम हरियाणा की आर्थिक राजधानी है। यहां भूमि के व्यापारी बहुत हैं और यदि यह कहें कि जितने राजनीति में सक्रिय हैं, उनमें अधिकतर का भूमि का व्यवसाय है। अत: जब भी मौका मिलता है, नियमों को तोडऩा भूमि के व्यापारियों का ही काम होता है। यह भी देखा गया है कि जिस किसी को कुछ राजनैतिक शक्ति प्राप्त हो जाती है, वह यदि पूर्व में भूमि व्यवसाय में लिप्त नहीं होता तो भी लिप्त हो जाता है, क्योंकि इसमें संबंधों के कारण अच्छा आर्थिक लाभ हो जाता है।

आज हम वार्ड नंबर 7 की बात कहेंगे। वार्ड नंबर 7 में संजय ग्राम, राजीव नगर आदि क्षेत्र आते हैं। इस वार्ड का अधिकतर क्षेत्र आयुध डिपो की 900 मीटर के दायरे में आता है, जहां निर्माण पर रोक है और यहां की पार्षद गुरुग्राम की मेयर मधु आजाद हैं। वहां देखा गया कि स्थान-स्थान पर निर्माण हो रहे हैं। लोगों से बात करने पर ज्ञात हुआ कि ये तो यहां के लिए आम बात है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।

हमने उस क्षेत्र का दौरा किया तो कुछ समय में ही लगभग 10-12 निर्माण होते हुए नजर आ ही गए। वहां निर्माण वाले स्थल पर लोगों से बात करके पूछा तो एकाध व्यक्ति ने कहा कि यह गुरुग्राम की मेयर का वार्ड है तो आप अनुमान लगा सकते हैं कि यह सब मेयर की जानकारी है। अत: निगम अधिकारी यहां क्या करेंगे। कुछ आश्चर्य हुआ कि हमारी मेयर ईमानदार हैं, वह तो यह सब करा नहीं सकतीं।

जहां तक गुरुग्राम निगम में मेयर टीम का सवाल है, वह हमारे दक्षिणी हरियाणा के दिग्गज, केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की मर्जी से निर्मित हुई है और राव इंद्रजीत सिंह तो ईमानदारी का पर्याय माने जाते हैं।

मुझे कुछ स्मरण है कि चुनाव के समय वह इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर रहे थे तो वोट प्राप्त करने के लिए भी उन्होंने इस क्षेत्र में किसी भी कार्य को पक्के रूप से कराने का वादा नहीं किया। उनका कथन था कि इस क्षेत्र में न्यायालय के आदेश चल रहे हैं तो जो कुछ होगा, न्यायालय के आदेश के पश्चात ही होगा। हां, न्यायालय में मैं इस क्षेत्र की पैरवी अपनी पूरी ताकत से करूंगा। तो ऐसे व्यक्ति की बनाई हुई मेयर टीम गैरकानूनी काम में संलिप्त हो, यह तो गले से उतरता नहीं।

लेकिन सवाल तो खड़े होते हैं, क्योंकि कानून का उल्लंघन तो होता है। निगम तो कहता है कि बिना नक्शा बनाए हम पूरे निगम क्षेत्र में निर्माण नहीं होने देंगे और यहां के नक्शे तो कानूनन पास हो ही नहीं सकते। तो प्रश्न उठता है कि मेयर जिनका अपना वार्ड है, विधायक जो गुरुग्राम के सरपरस्त हैं, निगम कमिश्नर जिनके आधीन लंबी-चौड़ी कर्मचारियों की फौज है, जो हर क्षेत्र में कार्य करती है, विशेष रूप से डैमोलेशन विंग भी बना रखा है। तो ये निर्माण उन लोगों की नजर से कैसे बच रहे हैं?

गुरुग्राम के बारे में कहा जाता है कि यहां मुख्यमंत्री का विशेष ध्यान है और वह यहां कोई भी गैरकानूनी बात बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। दूसरी ओर निगम महकमे के दबंग मंत्री अनिल विज को गब्बर के रूप में जाना जाता है। अत: यह सोचना कि वह इस प्रकार की नियमों से हटकर बात को बर्दाश्त करेंगे, संभव नहीं लगता है। पर देखना यह है कि ये लोग ध्यान कब देंगे। इनकी नजरों से यह सब अब तक छुपा कैसे है।

इसी क्षेत्र में क्राइम रिफॉर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप कटारिया का कार्यालय भी है कि वैसे तो वह सारे हिंदुस्तान में क्राइम रोकने का दावा करते हैं और उनके अपने क्षेत्र में यह सबकुछ हो रहा है तो उनका ध्यान क्यों नहीं है। इसी क्षेत्र में भाजपा के अनेक दिग्गज भी रहते हैं। एक मंडल अध्यक्ष सीताराम सिंघल का निवास भी इसी क्षेत्र में है और भी कई भाजपा के पदाधिकारी भी इसी क्षेत्र में रहते हैं। समझ नहीं आता कि या तो वे अपने क्षेत्र की ओर ध्यान नहीं देते या फिर देखते हुए भी अपनी पार्टी की स्वच्छ छवि और अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाने की ओर अग्रसर क्या नहीं हो रहे?\

error: Content is protected !!