आश्रम हरी मंदिर में आरंभ हुआ सामूहिक विवाह का आयोजन.
संस्था और सनातन संस्कृति का प्रतीक ध्वज भी फहराया गया.
समारोह के मौके पर संस्था से जुड़े अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे

फतह सिंह उजाला

पटौदी  ।  4 अप्रैल 1920 को आरंभ हुई आश्रम हरि मंदिर संस्था के इसी वर्ष एक 100 वर्ष पूरे होने और 101 वर्ष आरंभ होने के उपलक्ष पर अपने किए संकल्प के मुताबिक आश्रम हरी मंदिर शिक्षण संस्थान के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव ने नव दंपतियों में विशेष रूप से युवाओं का आह्वान किया है कि जीवन में नशा और अहंकार ना करें । इन दोनों चीजों से बचे रहेंगे तो जीवन में कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होगी।  इसी प्रकार से जो भी दत्तक पुत्रियां अपने मायके माता-पिता के आंगन से विदा होकर गृहस्ती का आरंभ करने के लिए अपने सास-ससुर के यहां पहुंचेगी, भविष्य में वही उनके लिए जीवन पर्यंत एक प्रकार से जीवन बिताते हुए सास ससुर की इतनी सेवा करें कि ससुराल में यह महसूस ही ना होगी घर में बेटी नहीं है। वैसे भी परमात्मा ने सभी बेटियों को यह गुण दिया है कि वह अपना मायका छोड़कर , ससुराल को बहुत जल्दी ही अपने मायके के जैसा घर बना लेती हैं ।

महामंडलेश्वर धर्मदेव के मार्गदर्शन में बुधवार को आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी के परिसर में 101 दत्तक पुत्रीयों के सामूहिक विवाह का भव्य लेकिन बेहद सादगी के साथ में कार्यक्रम आरंभ हुआ । इसका आरंभ संस्था के एक 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष पर संस्था परिसर में 100 फुट की ऊंचाई पर हरि ओम लिखा भगवा ध्वजारोहण के साथ में किया गया । यह ध्वजारोहण समाजसेवी प्रेमनाथ गेरा के द्वारा किया गया । इससे पहले 4 अप्रैल 1920 को इसी प्रकार का ध्वजारोहण राय बहादुर रौचीराम खट्टर के द्वारा किया गया था । बुधवार को पाणी ग्रहण समारोह के मौके पर संस्था से जुड़े अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।

महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज के मुताबिक 26 जुलाई 26 जून तक पटौदी आश्रम परिसर में ही 11 दत्तक पुत्रयों की शादी शगुन के तौर पर की जाएंगी । उन्होंने बताया भारतीय सनातन और संस्कृति के मुताबिक सभी कार्य ग्रहों और शास्त्रों के मुताबिक किए जाते हैं , 2 जुलाई को देव सो जाएंगे । 1 जुलाई तक सभी 101 दत्तक पुत्रीओं का विवाह संपूर्ण करने का लक्ष्य तय किया गया  है। 101 नव दंपतियों को उनकी गृहस्थी की जरूरत का करीब 3 लाख रूपए तक का साजो सामान प्रत्येक दंपति को उपलब्ध करवाया गया है । यह सामान उपलब्ध करवाने में राज्य सरकार, सरकार के मंत्री गण, संस्था से जुड़े श्रद्धालु सहित आम आदमी का भी अतुलनीय योगदान बना हुआ है । कोई भी बड़ा आयोजन समाज के सहयोग के बिना संपूर्ण होने की कल्पना नहीं की जा सकती है । यही हमारी भारतीय संस्कृति की खूबसूरती और भाईचारे की एकता का भी प्रतीक है

स्वामी धर्मदेव ने बताया इस प्रकार से वह अपने दादा गुरु ब्रह्मलीन स्वामी अमरदेव जी , गुरु ब्रह्मलीन स्वामी कृष्ण देव जी और अपने संकल्प को सभी श्रद्धालुओं के सहयोग के बलबूते पर ही पूरा कर पा रहे हैं।  उन्होंने बेबाक शब्दों में कहा की वास्तव में 101 दत्तक पुत्रिओ का विवाह तो समाज के प्रत्येक व्यक्ति के सामर्थ के सहयोग के मुताबिक संपन्न हो रहा है ।

यहां संस्था में होने वाले विवाह के अलावा 12 शादियाँ भूरारानी (उत्तराखण्ड) तथा 12 शादियाँ बिलासपुर (उत्तरप्रदेश) में 28, 29, 30 जून को की जायेंगी, 3 शादियाँ परमहंस आश्रम, वृन्दावन, 1 शादी गोन्दर जिला-करनाल में तथा 2 शादियाँ परमगुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी अमरदेव महाराज की जन्मभूमि गाँव-कन्सुहाँकलाँ (पटियाला) गुरुद्वारे में की जायेंगी। 8 शादियाँ पूज्यचरण  स्वामी रामानन्द महाराज (आदिबद्री वालों) की देखरेख में गाँव-अर्चना जिला- होशंगाबाद (मध्यप्रदेश) में की जायेंगी। इनके अतिरिक्त शेष बची 52 शादियाँ सम्बन्धित परिवार अपने-अपने घरों में सम्पन्न करेंगे। लेकिन इसका सारा श्रेय स्वामी धर्मदेव को दिया जा रहा है , उन्होंने कहा मैं तो केवल मात्र एक माध्यम हूं । इस भव्य और पुण्य कार्य को करने वाली जनता जनार्दन ही है।

error: Content is protected !!