महामंडलेश्वर धर्मदेव का संकल्प
कोविड 19 महामारी के समय भव्य आयोजन संभव ही नहीं. विवाह बंधन के प्रतिक्षारत जोड़ों को इंतजार कराना अनुचित.
दस दिनों के दौरान संपन्न करायेंगे 101 जोड़ो का विवाह

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।  आश्रम हरि मन्दिर,पाटौदी परिसर में भक्तों के साथ बैठकर संस्था की शताब्दी के अवसर पर 5 अप्रैल 2020 को जो सामूहिक विवाह होने थे उनके सन्दर्भ में विस्तृत चर्चा हुई। अन्तिम निर्णय यही हुआ कि कोरोना वायरस के कारण निकट भविष्य में बहुत बड़े सम्मेलन की अभी कोई सम्भावना नहीं है, इसलिए 2019 से लेकर जनवरी 2020 तक जो 101 जोड़े निर्धारित हो चुके थे । अब उन्हें अधिक प्रतीक्षा करवाना उचित नहीं होगा, हमें उनका वैवाहिक कार्यक्रम सम्पन्न कर देना चाहिए। यह अहम फैंसला संस्था के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर धर्मदेव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में किया गया।

अतः यही फैसला हुआ कि कोरोना वायरस की विषम परिस्थितियों को देखते हुए कल प्रशासन से बात करके उनकी गाइडलाइन अनुसार इसी जून 2020 में तिथि निर्धारित करके प्रतिदिन 10-10 जोड़े आश्रम पाटौदी में बुलाकर उन्हें अलग-अलग स्थानों पर बैठाकर फेरों की मान्यता को पूर्ण करके उनके निमित्त आया हुआ सामान उन्हें समर्पित कर दिया जाये अथवा उन परिवारों से बात की जाए यदि वह अपने-अपने घर पर विवाह की प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए तैयार हो जाते हैं तो विवाह के अवसर पर संस्था उनका सामान उनके घर पहुँचा देगी। रुद्रपुर(उत्तराखण्ड) तथा रामपुर(उत्तरप्रदेश)के जो 20 जोड़े हैं उनका विवाह भूरारानी(रुद्रपुर)वाली संस्था में सम्पन्न करवाया जाए तथा 7 जोड़े जो मध्यप्रदेश के हैं उनके विवाह की व्यवस्था को भी पूज्यचरण श्री स्वामी रामानन्द जी महाराज(आदिबद्री वाले) की देखरेख में वहीं हरदा जिले (मध्यप्रदेश) में सम्पादित किया जाए। अधिक भीड़ करनी नहीं है अतः प्रशासन से बात हो जाने के उपरान्त मैं 2,3 दिन में पुनः एक मैसेज डालूँगा कि अलग-अलग जिलों के अनुसार थोड़े-थोड़े भक्त अपनी सुविधानुसार 10 दिन में सम्पन्न होने वाले इस कार्यक्रम में अलग-अलग दिनों में सम्मिलित हो सकें।

ईश्वर इच्छा सदैव स्वीकार्य है

धर्मदेव ने कहा कि यह सारी करुणा-कृपा मेरे गुरुजनों की है कि जिन्होंने 100 साल पूर्व जन-जन के कल्याण का पवित्र संकल्प लेकर अप्रैल 1920 में इस संस्था की स्थापना की थी । जिसने इस वर्ष अप्रैल 2020 में अपने 100 साल पूरे किए हैं। इस शताब्दी महोत्सव को बड़े अनोखे ढंग से मनाने के सभी भक्तों ने बड़े अरमान मन में संजोए थे, जो कि सारे मन के मन में ही रह गए। कोई बात नहीं, ईश्वर इच्छा सदैव स्वीकार्य है। परन्तु उन सभी कार्यों में एक जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य था वह 101 बेटियों के हाथ पीले करने का था,बड़े मान-सम्मान के साथ उनके वैवाहिक कार्यक्रम को करके उन बेटियों को खुशियाँ देने का था पर कोई बात नहीं इस कार्य को इसका रूप बदलकर ही सही अब भी किया जा सकता है जोकि आप सभी के सहयोग से अब कर भी रहे हैं। मेरा जो विशेष आग्रह है वह यह कि इन बेटियों के मान-सम्मान-सामान के लिए मन में जो संकल्प लिया था मैं उसमें तिलभर भी कमी नहीं करना चाहता,यह ठीक है कि पिछले ढाई महीने से सबके काम-धन्धे रुक से गये हैं सबके हाथ टाइट हो गए हैं।

प्रत्येक बेटी को 3-3 लाख का गृहस्थ सामान

वर्ष 2018 में ही संकल्प ले लिया था कि प्रत्येक बेटी को कम से कम 3-3 लाख का सामान देंगे। यह ऐसे परिवारों की बेटियाँ हैं कि जिनके घर मे अगर एक चम्मच भी गुम हो जाता है तो सारे परिवार के लोग मिलकर सुबह से शाम तक उस चम्मच को ढूँढने का प्रयास करते हैं क्योंकि इनके परिवार में चम्मच की भी अहमियत है इसलिए मेरा बिल्कुल भी मन नहीं चाहता कि इनके लिए जो संकल्प लिया था उसमें एक चम्मच भी कम किया जाए, फिर एक तो अभावग्रस्त परिवार और उनमें भी बेटियों के लिए लिया गया संकल्प। बेटियों जैसा कोई प्यारा धन हो नहीं सकता इसलिए इन बेटियों के लिए जो संकल्प लिया था उसे हर हालत में पूरा करना है। 15 मार्च तक आधा सामान आ चुका था शेष मार्च के अन्तिम सप्ताह में आना था तथा कुछ लोगों ने उत्सव के अवसर पर देना था परन्तु लोकडाउन हो जाने के कारण वह सब नहीं हो पाया,अब मुझे पता लग रहा है कि कुछ लोग ऐसे हालात की वजह से अपनी विवशता भी प्रकट कर रहे हैं परन्तु मैं फिर कह देना चाहता हूँ कि इस संकल्प में रत्तीभर भी कमी नहीं आएगी। मेरे गुरुजनों का कृपाभरा हाथ मेरे सहित सभी भक्तों के सिर पर है सभी भक्तों के सिर सदा सलामत रहें-यह कार्य अवश्य होगा पूरे सामान और सम्मान के साथ पूर्ण होगा,बस आप अपने मनोबल को कमजोर न होने दें।