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चांद रोड स्थित गौचारा भूमि को बचाने के लिए लोग लांमबद्ध.
फर्रूखनगर प्रशासन ने गोचर भूमि को डम्पिंग यार्ड में बदला.
आरोप फर्रूखनगर प्रशासन ने अदालत को भी किया गुमराह

फतह सिंह उजाला
पटौदी।
 एक तरफ तेजी से पांव पसारता कोरोना तो दूसरी तरफ कूड़ा-कचरा का रोना। यही हो रहा है ऐतिहासिक और नवाबी शहर फर्रूखनगर क्षेत्र में। अब यहां इलाके मंे चांद रोड स्थित गौचारा भूमि को बचाने के लिए  लोग लांमबद्ध होने लगे हैं। दूसरी ओर नगरपालिका द्वारा गोचर भूमि में लगातार कूड़ा डाला जा रहा है और नगर निगम गुरुग्राम द्वारा इस गोचर भूमि में बड़े स्तर पर डंपिंग स्टेशन बनाए जाने के लिए युद्ध स्तर कार्य शुरू कर दिया है। जिसमें बड़ी संख्या में हरे भरे पेड़ों की कटाई के साथ-साथ खुदाई का कार्य जारी है। उक्त गोचर भूमि को बचाने के लिए इलाके के लोग लामबद्ध हो रहे हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि चांद नगर रोड पर स्थित 25 एकड़ भूमि चकबंदी से पहले गौचारा के लिए छोड़ी गई थी। जिसके बाद मे नगरपालिका फरूखनगर को इस भूमि का केयरटेकर बना दिया। केयरटेकर बने नगरपालिका प्रशासन ने इस गोचर भूमि को कूड़ा घर में यानि डम्पिंग स्टेशन मे परिवर्तित करना शुरू कर दिया। इसको लेकर स्थानीय लोगों ने अदालत में याचिका दायर की। जिस पर माननीय अदालत ने स्टे आर्डर दे दिए थे। आरोप है कि बाद में नगर पालिका की ओर से अदालत में झूठा हलफनामा पेश किए जाने पर स्टे आर्डर कैंसिल हो गया।

चांदनगर, फरूखनगर के लम्बरदार जयभगवान का कहना है कि चारागाह की जमीन का उपयोग चारागाह के अतिरिक्त उपयोग करने के लिए सीएलयू लेना जरुरी है और इन्द्राज भी दर्ज करना जरूरी है। साथ ही हमे स्थान उपलब्ध कराना जरूरी है। किन्तु कमेटी ने आम जनमानस को विश्वास मे लिए बगैर चारागाह की जमीन का प्रोपोजल गलत जानकारी के साथ सरकार को भेज दिया।

चंद्रभान यादव का कहना है कि वह पिछले करीब 40 साल से गोचर भूमि के पास अपने परिवार के साथ रह रहा है इस भूमि पर हमारे पशु चरते रहे हैं। वह पशुपालक है। यह जमीन गौचारा के लिए छोड़ी गई थी। जिसको प्रशासन जबरदस्ती कूड़ा घर में परिवर्तित करना चाह रहा है। ऐसा नहीं होने देंगे। अगर यहां डम्पिंग स्टेशन बनता है। तो उनके पशु भूखे मर जाएंगे।

नंदकिशोर यादव का कहना है कि उसका मकान गोचर भूमि के पास है। नगर निगम गुरुग्राम व नगरपालिका फरूखनगर दोनों ही इस गोचर भूमि को जबरदस्ती ही डम्पिंग स्टेशन बनाने में तुले हुए हैं। जो की पूरी तरह गैरकानूनी है। इसके अलावा गोवंश के विरुद्ध भी है। एक तरह से प्रशासन गोवंश का निवाला छीनने का काम कर रहा है। जबकि इतिहास गवाह है कि जब जब किसी ने गोवंश को हानि पहुंचाई उसका भला नहीं हुआ।

कृष्ण कुमार का कहना है की लगभग करीब 1 एकड़ में दर्जनों हरे-भरे पेड़ काट डाले, गड्ढे खोदे जा रहे हैं। मरे हुए जीव-जंतुओं व कूड़ा सड़ रहा है। चारों ओर दुर्गंध फेलने से बीमारी फैलने का खतरा बढ़ रहा है। पहले ही पूरा विश्व कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है।

पवन यादव का कहना है कि नगर पालिका प्रशासन ने स्थानीय भू मालिकों को बिना कोई नोटिस वह सूचना दिए मनमानी तरीके से पैमाइश करा ली। जोकि सरासर गैरकानूनी है। उक्त लोगों का यह भी कहना है कि चांद नगर रोड पर स्थित 25 एकड़ भूमि पर प्रशासन द्वारा कूड़ा डालना गैर कानूनी है। यह भूमि केवल चारागाह के लिए प्रयोग की जा सकती है। डंपिंग स्टेशन बनाना किसी भी सूरत में जनहित में नहीं है और ना ही पशुपालकों के हित में है। इस गोचर भूमि से करीब 400 से 800 मीटर की दूरी पर चांद नगर गांव बसा हुआ है। दर्जनों छोटी-छोटी ढाणीया बसी हुई है, पेट्रोल पंप है, गैस गोदाम है, वेयर हाउस बने हुए हैं, सरकारी व प्राइवेट स्कूल चल रहे हैं। इस लिहाज से भी गोचर भूमि को पूरा घर में बदलना मानव जाति व गोवंश के लिए ज्यादती हो गया।

लोगों के मुताबिक यह हैं तथ्य

1. सन् 1962 से चारागाह की जमीन पशुओ की चराई के लिए इस्तेमाल होती आ रही है।
2. नगर पालिका ने चारागाह की 25 एकड़ जमीन को डंपिंग साइट बना दिया, इस बाबत कमेटी में प्रस्ताव पारित ना हुआ।
3. उपरोक्त चारागाह की जमीन के औद्योगिक इस्तेमाल के लिए कोई सीएलयू नही ली गई। ना ही प्रोजेक्ट के लिए जरूरी एनओंसी ली गई।
4. नपा की तरफ से हलफनामा दाखिल कर ये कहा गया कि इसमें चारागाह की छोड़ी जाएगी और अगर जरुरत बढ़ी तो और जमीन भी दी जाएगी। ये कि एसडब्लयुएमपी रुल्स 2016 के मुताबिक ये प्रोजेक्ट साइट के 500 उजत. में बसापत नहीं होनी चाहिए जबकि इसके आस पास 500 उजत के दायरे में गैस गोदाम, वेयर हाऊस, ढाणीयां बसी हुई है।

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