क्राइम रिफाॅर्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. संदीप कटारिया ने बताया कि कोरोना वायरस के मामले में भारत चैथे नंबर पर पहुच गया है। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों पर काबू करना बहुत जरूरी है। देश में कोरोना वायरस को काबू  करने के लिए लाॅकडाउन भी लगाया गया। लेकिन लाॅकडाउन लगाने में देरी हुई और जो गलतियां हुई उसको अमित शाह ने डिजिटल रैली में कबूल किया। 30 जनवरी को भारत में पहला केस आया था। अगर उस समय सरकार इसे रोकने के लिए इंतजाम करती तब कोरोना वायरस संक्रमण इतना नहीं फैलता।

अब वर्तमान समय में भारत में कोरोना वायरस के मामले तीन लाख पहुंचने वाले हैं। प्रतिदिन 10000 कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं और लगातार तेजी पकड़ रहे हैं। जब लाॅकडाउन को अनलाॅक करने की घोषणा होती है तब लोग यह समझते हैं कि कोरोना वायरस का खतरा टल गया है।

जो लोग शिक्षित हैं कोरोना वायरस से जागरूक हैं वो इस लाॅकडाउन को और अनलाॅक को भी समझते हैं। लेकिन भारत में जो मजदूर वर्ग है किसान वर्ग है। वह इस अनलाॅक को यह समझ रहा है कि कोरोना वायरस का खतरा बिल्कुल खत्म हो गया है और अब सब कुछ खुल गया है।

हमारे देश के शहरी क्षेत्रों में लोग कोरोना वायरस के प्रति जागरूक हैं और सावधानियां भी बरत रहे हैं लेकिन कस्बों और गांवों की बात की जाए तो जब से अनलाॅक हुआ है तब से उनके मन में एक ही ख्याल है कि अब लाॅकडाउन पूरी तरीके से खुल गया है और सब कुछ पहले जैसा हो गया है। सरकार को इन वर्ग के लोगों को जागरूक करने की जरूरत थी।

सरकार ने लाॅकडाउन को अनलाॅक कर दिया लेकिन यह अनलाॅक तब किया जब मामले दो लाख से ऊपर थे। यह मामले लगातार बढ़ रहे थे। अनलाॅक करने से पहले भारत देश की जनता को जागरूक करना बहुत जरूरी था। गांव-गांव कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जागरूकता अभियान सरकार को चलाना चाहिए था। क्योंकि जो लोग इस अनलाॅक को यह समझ रहे हैं कि बीमारी पूरी तरीके से खत्म हो गई और सब कुछ पहले जैसा हो गया। सरकार  को इन्हें जागरूक करने की जरूरत है। डाॅ. कटारिया ने बताया कि सरकार को अनलाॅक करने से पहले जनता को बताना चाहिए कि आपकी सुरक्षा आपके हाथ में है। अनलाॅक का मतलब ये नहीं हैं कि आपको काम नहीं है तो आपको घर से बाहर निकलना चाहिए।

error: Content is protected !!