भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। ज्योति पार्क निवासी सीमा अरोड़ा की कोरोना से हुई मौत के मामले में गुरुग्राम के नामी-गिरामी सिग्नेचर अस्पताल को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सीमा के पति अजीत सिंह स्थानीय पुलिस को दी शिकायत में सीमा अरोड़ा की मौत के लिए सिग्नेचर अस्पताल की लापरवाही को दोषी ठहराया है और अस्पताल के डॉक्टर व प्रशासनिक स्टाफ के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है।

वीरवार को पुलिस व सीएमओ को दी अपनी शिकायत में अजीत सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी की अचानक तबीयत खराब होने पर उन्हें गत एक जून को नजदीकी सैक्टर 37 डी स्थित सिग्नेचर अस्पताल में दाखिल कराया। डॉक्टरों ने उनका कोरोना टेस्ट किया तो उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। डॉक्टर सीमा अरोड़ा का इलाज करते रहे लेकिन उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। गत 9 जून को उन्होंने सुबह ही अस्पताल के डॉक्टरों को बोल दिया कि मरीज डिस्चार्ज कर दें, क्योंकि उनकी हालत में कोई हो रहा है। अगर हाल रहा तो मरीज की जान जा सकती है।

अस्पताल द्वारा दिए गए बिल का भुगतान भी उन्होंने लगभग दोपहर ढाई बजे तक कर दिया, लेकिन उसके बावजूद मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया गया। अस्पताल प्रबंधकों के अनुसार एंबुलेंस में ऑक्सीजन का सिलेंडर न होने के कारण देरी हो रही है और जल्द ही सिलेंडर की व्यवस्था हो जाने पर सीमा को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। शाम को अचानक सीमा के बेटे गौरव को ऊपर से फोन आया और सीमा ने रोते हुए कहा कि उसे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। डॉक्टर ने उसकी ऑक्सीजन बंद कर दी है और बिना ऑक्सीजन के उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है। जब सभी ने ज्यादा शोर मचाया तो अस्पताल प्रशासन ने रात साढ़े 9 बजे उसे डिस्चार्ज किया।

उनके अनुसार जब यहां से चंदू-बुढेड़ा बादली रोड एम्स अस्पताल के लिए मरीज को ले जाया गया तो मरीज की हालत काफी बिगडऩे लगी और एम्स अस्पताल के डॉक्टरों ने वहां पहुंचने पर सीमा को बचाने में अपनी असमर्थता जाहिर की। उन्होंने यह भी बताया कि डिस्चार्ज किए गए अस्पताल की लापरवाही और मरीज को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने के कारण उसकी जान गई है। अजीत सिंह ने सीमा की मौत के लिए सीधे-सीधे सिग्नेचर अस्पताल को दोषी ठहराया है और इस मामले की जांच करके अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है।

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