मोदी -2 सरकार के कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने पर तो उपलब्धियों का बखान ठीक है मगर मनोहर-जेजेपी सरकार का एक वर्ष भी सिर पर है उसकी उपलब्धि का क्या मुद्दा है बीजेपी के पास I हरियाणा का बीजेपी संघठन इस कोरोना संकट से जूझ रहे नागरिकों को मोदी -2 सरकार की एक वर्ष की उपलब्धि गिनाने बूथ स्तर पर सम्पर्क करेगा I वैसे तो बीजेपी संगठन अपनी पार्टी के इस कदम को आपदाओं से पीड़ित आमजन को एक मरहम पट्टी की तरह प्रचारित कर रहा है व साथ ही जख्म पर लगाने के लिए एक सैनीटाइज़र की छोटी शीशी भी दे रहे हैं I देखना है कि संगठन का ये कदम जनता को कितना अपने पक्ष में करेगा I वैसे हरियाणा की मनोहर-जेजेपी गठबंधन सरकार अभी तक तो प्रदेश के हर मुद्दे पर हांफती नजर आई है चाहे कोरोना से निबटने की बात हो या भरष्टाचार कम करने की या आपमें विधायकों , मंत्रियों या कार्यकर्ताओं के अनुशासन की I सूबे में 2014 से 2019 तक चली मनोहर सरकार ने चुनावों में प्रमुखता से अपनी ईमानदारी वाली छवी को ज्यादा प्रचारित किया था क्योंकि विकास या राज्य की उन्नति जैसी कोई उबलब्धि सरकार के हाथ थी ही नहीं जिससे सरकार को कुछ तो सीटें मिली I 2019 के चुनावों में सरकार के पास एकमात्र उपलब्धि जनता के समक्ष रखने के लिए यही थी कि मनोहर सरकार में कोई घोटाला नहीं हुआ I अब जेजेपी के साथ गठबंधन की सरकार है व पिछली व वर्तमान सरकार के घोटाले खूब उजागर हो रहे हैं , पूर्व मंत्रियों पर लगे भरष्टाचार के आरोप हो , सरसो घोटाला , शराब घोटाला या निगमों में हो रही लूट सरकार सबके सामने बेबस है एक जाँच समिति बनाती है व घोटाले को गहरी कब्र में रख देती है I अब तो पार्टी का अपने कार्यकर्ताओं पर अनुशासन की पकड़ भी ढीली होती जा रही है हालिया हुए करनाल के नेता चन्दरप्रकाश कथूरिया व सोनाली फोगाट का चप्पल प्रकरण , ऐसा लगता है मानो लोकडाउन की आड़ लेकर सबकी कलई उतरती जा रही है I इधर विधायकों ने भी बोलना शुरू कर दिया कि उनकी बात अधिकारी नहीं सुनते I मसलन अबकी बार सरकार के एक वर्ष की उपलब्धि जनता को क्या बताई जाएगी क्योंकि भरष्टाचार चरम पर है किसी की भी जाँच रिपोर्ट सामने लाने की सरकार की मानसिकता नहीं दिखती रही बात कार्यकर्ताओ के आचरण की तो प्रदेश अध्यक्ष से लेकर जिलाध्यक्ष तक सबके साथ प्रकरण जुड़े हैं तो क्या बताया जायेगा जनता को ? Post navigation नारी अस्मिता, पार्टी का मंथन और तिरिया हठ रबी फसलों का एक-एक दाना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद लिया ? दावा मात्र एक जुमला : विद्रोही