असंख्य छात्र हित में शिक्षा सत्र 2020 को शुन्य घोषित करें  .
बढते संक्रमण में स्कूल खोलने का फैसला घातक होगा.
80 फीसद अभिभावक नही चाहते कोरोना दौर में स्कूल खुलें

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 जिस जिले में अथवा जिस स्कूल के 20 किलोमीटर के दायरे में 21 दिन तक कोरोना का कोई केस सामने न आएं वहीं पर सरकार को शैक्षणिक संस्थाएं खोलने की संभावनाएं तलाशनी चाहियें। क्योंकि वैसे भी स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग नही हो पाएगी।श् उक्त विचार कॉन्ग्रेस नेत्री व जिला परिषद सदस्य सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि  देशभर में बढ़ते कोविड – 19 के संक्रमण की वजह से स्कूलों को खोलने का फैसला बहुत ही नुकसानदेह साबित होगा और वैसे भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ स्कूलों का संचालन व्यवहारिक नही है।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते 25 मार्च से ही देशभर की सभी शिक्षण संस्थाएं बन्द हैं, और अब कुछ राज्य सरकारें इन्हें दोबारा खोलने की योजनाएं बना रही हैं। अपनी प्रेस विज्ञप्ति में वर्मा ने बीजेपी की खट्टर सरकार को यह सुझाव भी दिया कि  इस तरहं का कोई भी एकतरफा फैसला लेने से पहले सरकार को विपक्ष व अभिभावकों से भी राय मशवरा जरूर कर लेना चाहिए। पूर्व उपजिला प्रमुख रही वर्मा ने कहा कि सरकार को इस महामारी की गंभीरता को समझते हुए और इसके बढ़ते संक्रमण के खतरों को भांपते हुए इस बार के शैक्षिक सत्र 2020 – 21 को शून्य घोषित करके सभी छात्रों को अगली कक्षा में प्रोमोट कर देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ये सच है कि इस वैश्विक महामारी के चलते निश्चित रूप से बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हुआ है, किंतु उस नुकसान की भरपाई विद्यार्थियों की जान से खिलवाड़ करके नही की जा सकती।

जिला पार्षद वर्मा ने बीजेपी सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार बच्चों को टेस्टिंग किट न समझे, स्कूल खोलने से पहले बीजेपी सरकार विधानसभा व संसद का सत्र शुरू कराए।

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