महामंडलेश्वर ज्योति गिरि के अज्ञाप प्रवास से बनी थी रिक्तिता.
महंत बिठ्ठल गिरि ने पौधा रोपण कर स्वीकारी जिम्मेदारी

फतह सिंह उजाला
पटौदी।
 पटौदी क्षेत्र के सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला में हनुमान मंदिर फेम महाकाल मंदिर में अब जूना अखाड़े के मंहत और ज्योति गिरि के शिष्य मंहत बिठ्ठल गिरि यहां सप्ताह में मंगल और शनि को उपलब्ध रहेंगे। वर्तमान मंे बिठ्ठल गिरि बूचावास में महंत लक्ष्मण गिरि गौशाला में अपनी सेवा लंबे समय से दे रहे है। श्रीमहाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट और महाकाल संस्थान के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर के अज्ञात प्रवास के बाद से बोहड़ाकला महाकाल मंदिर में बनी रिक्तिता श्रद्धालूओं को बहुत अखर रही थी। इसी मुद्दे को लेकर मंदिर व्यवस्था संभाल रही कमेटी सहित बांेहड़ाकला के प्रबुद्ध लोगों के बीच में मंदिर के प्रति आस्थावान लोगों और श्रद्धालूओं की भावना को ध्यान में रखते हुए महंत बिठ्ठल गिरि को मंदिर में आमंत्रित कर उनको सारे हालात से अवगत कराते यहां भी अपनी सेवा देने का आग्रह किया, जिसे कि जनहित सहित जन कल्याण को प्रााथमिकता प्रदान कर बिठ्ठल गिरि ने स्वीकार कर लिया।

शुक्रवार को पूर्णमासी और विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर महंत बिठ्ठल गिरि ने अपने गुरू महामंडलेश्वर ज्योति गिरि को अप्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष साक्षी मान, अपने ईष्ठ महाकाल का जलाभिषेक कर सेवा प्रदान करने की जिम्मंेदारी का वरण कर लिया। इस मौके पर हवापुरी महाराज, विद्यागिरि, नंबरदार नेपाल सिंह, बाबा गुरदयाल, मंत्री राणा प्रताप, प्रदीप यादव, शिव कुमार, ठाकुर ओमपाल, परविंद्र, रजवा प्रधान, महेश, पंडित राधे श्याम, मुकेश, रामभूल प्रधान, भगवाना सैनी सहित अन्य श्रद्धालू भी मौजूद रहे।

म्ंहत बिठ्ठल गिरि जो कि बूचावास में अपंग, घायल, लाचार-बेबस गौधन की गौशाला का संचालन कर रहे हैं, यहां महाकाल मंदिर में बेल्बपत्र के पौधा रोपण करते कहा कि, भगवान शिव को बेल्बपत्र अथवा बेल फल ही सबसे अधिक पूजा सहित अभिषेक में स्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्राकृतिक आपदा, महामारी के लिए मनुष्य का स्वार्थ जिम्मेदार है। प्रकृति और वन्य जीवों के साथ आज के दौर में मनुष्य का जो रवैया और व्यवहार है, आपदा, महामारी का कारण बन रहा है। ब्रहाम्ण में प्रत्येक जीव का प्रकृति को संतुलित बनाने में अपना योगदान है। उन्होंने कहा कि सभी को अधिकाधिक पौधे लगाने के साथ इनके पेड़ बनने तक जिम्मेदरी तय करनी होगी। आज के समय में वैश्विक महामारी बने कोरोना कोविड 19 के संक्रमण से बचने के लिए सभी को सोेशल डिस्टेंस के साथ घर से बाहर आते समय मास्क अवश्य पहनना है। उन्होंने कहा कि, शासन-प्रशासन के द्वारा धार्मिक और पूजा स्थल खाले जाने की छूट दी गई, लेकिन जो नियम तथा शर्ते तय की गई हैं, उनका बेहद कठोरता के साथ में पालन कराया जाएगा। क्यों कि स्वास्थ्य से बड़ा अन्य कोई भी धन मनुष्य के लिए हो ही नहीं सकता है। मंगल-शनि को बोहड़ाकला मंदिर औैर शेष दिन बूचावास गौशाला में अपनी सेवाएं प्रदान करते रहेंगे।

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