; गुरुग्राम के पार्षदों पर भी आरोप !” कोरोना आपदा के दौरान WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन), ICMR (इंडियन काउंसिल फ़ॉर मेडिकल रिसर्च), DMAct आपदा नियंत्रण कानून एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए देश की जनता के जीने के मौलिक अधिकारों को जनता को उपलब्ध करवाने का देश का पहला दावा गुरुग्राम कोर्ट में स्वीकार, सरकार को नोटिस जारी । याचिका में सरकार पर आरोप लगाया गया है कि आपदा को भी गैरकानूनी तरीकों से जनता का आधार डाटा इकट्ठा करने का एक अवसर बनाया गया जिसमे गुरुग्राम के पार्षदों को भी शामिल किया गया । आपदा कानून के दिशा निर्देशों अनुसार जरूरतमंद के घर पर भोजन एवं अन्य जरूरी सामान ना देकर, जनता को पार्षदों के दफ्तरों के बाहर भिखारियों की तरह लाइन में लगवाया गया,उन्हें भोजन भी एक भीख की तरह दिया गया,एवं ‘डिजास्टर राशन टोकन’ के बहाने जनता के आधार डाटा पार्षदों के मार्फत इकट्ठे दिए गए,गरीबों की भूख का तमाशा बनाकर इंसानियत को शर्मसार किया गया । इन जरूरतमंदों को सड़को पर लाइन में लगवा कर सरकार ने खुद लॉक डाउन के नियमों का उल्लंघन किया एवं कोरोना के फैलने में मदद की, आज अंजाम सबके सामने है । कोरोना आपदा में लॉकडाउन तो कर दिए किंतु ICMR के निर्देशानुसार जनता को घर घर दी जाने वाली दवाईयाँ क्यों नहीं दी गईं ?आपदा नियंत्रण कानून एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को घर घर भोजन, पानी, अस्थाई निवास एवं पैसा को क्यों नहीं दिया गया ? कानून में प्रदत्त सुविधाएं देश की जनता को नहीं दे कर देश की जनता के जीने के अधिकार की हत्या की है सरकार ने,ऐसा दावा किया है याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया का ।याचिकाकर्ता ने गुरुग्राम की माननीय अदालत में माननीय सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पेश किया, हिमाचल एवं उत्तराखंड के हाई कोर्ट के निर्णय पेश किए, साथ ही WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन), ICMR (इंडियन काउंसिल फ़ॉर मेडिकल रिसर्च) की गाइडलाइन्स पेश की एवं DMAct आपदा नियंत्रण कानून की धाराओं का हवाला दिया जिनके तहत यह स्थापित करने की कोशिश की कोरोना आपदा के दौरान भारत सरकार अपनी नैतिक एवं संवैधानिक जिम्मेवारी नहीं निभाई एवं जनता को उसके जीने के मौलिक अधिकारों से वंचित रखा। याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया ने अपनी याचिका में माननीय न्यायालय से गुहार की है कि जब तक कोरोना आपदा एवं लॉक डाउन रहता है तब तक केंद्र एवं हरियाणा प्रदेश सरकार ICMR, DMACT के प्रावधनों के तहत एवं माननीय उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों अनुसार जनता की बुनियादी जरूरतें जिसमें दवा, भोजन, पानी, एवं पैसा भी शामिल है, कानून के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के उसके घर पर उपलब्ध करवाया जाए औरऐसा ना करने की स्थिति में इन पर संबंधित विभाग एवं अधिकारियों पर कानून की अवमानना का मुकदमा दर्ज करने की याचिका भी याचिकाकर्ता दी है । गुरुग्राम कोर्ट सिविल जज श्रीमती सोनिया शिओकन्द की अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिका मंजूर की एवं केंद्र सरकार गृह मंत्रालय, हरियाणा प्रदेश गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, आपदा नियंत्रण अथॉरिटी, फ़ूड एंड सिविल सप्लाई विभाग एवं मानवाधिकार आयोग को नोटिस जारी कर 10 तारीख को अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश पारित किए । Post navigation दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर लगा लंबा ट्रैफिक जाम, रेंग-रेंग कर चल रही हैं गाड़ियां विश्व पर्यावरण दिवस 2020 पर पौधारोपण का शुभारम्भ