-पुलिस महानिदेशक व गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को मेल भेज कर जान बचाने व न्याय दिलाने की गुहार.-सिर्फ एसआई लाईन हाजिर अन्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नही

अशोक कुमार कौशिक

नारनौल, 27मई । शहर की गांधी कॉलोनी निवासी व डेयरी संचालक युवक रामचंद्र गुर्जर ने पुलिस अधीक्षक को मेल कर थाना शहर नारनौल के अधिकारियों पर अवैध रूप से हिरासत में रखने व सीआईए में ले जाकर थर्ड डिग्री रिमांड लेने का आरोप लगाया। इस मारपीट में पीड़ित युवक के बाएं पैर में फ्रैक्चर भी हो गया है। पीड़ित ने इसकी कॉपी पुलिस महानिदेशक व गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भी भेज कर जान बचाने व न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। इस संबंध में देर शाम पुलिस अधीक्षक के हस्तक्षेप के बाद पुलिस कर्मचारी पीड़ित के बयान लेने पहुंचे।

पीड़ित ने बताया कि 24 मई को दोपहर उसके घर पर एक महिला पुलिस अधिकारी 2 कर्मचारियों के साथ आई और गाय चोरी के एक मामले में पूछताछ के लिए थाने चलना है। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज में भी तेरी शक्ल आ रही है। उसने मना भी किया लेकिन वो उन्हें थाने में ले आये। यहां कुछ कर्मचारियों व अधिकारियों ने जुर्म कबूल करने का दवाब डाला और उसके साथ मारपीट भी की। यहां तक कि पैसे देने पर राजीनामा करवाने की भी बात कही। सत्ता पक्ष के नेताओं के भी पुलिस राजीनामा के लिए चक्कर लगा रही है। माफी मांगने की बात कही जा रही है। इस मामले को लिफाफा कराने और पुलिस के सहयोग में कुछ सत्तापक्ष के लोग भी सक्रिय रहे। जनता अब ऐसे नेताओं से सवाल कर रही है कि पुलिस पर पड़े तो उसके 20 संकटमोचक आ जाते हैं, लेकिन इसको हिरासत में पीटा, उसकी सार्वजनिक निंदा कोई नहीं करता।आरोप है कि इसके बाद लगभग 3 बजे एसआई कैलाश सोनी अन्य कर्मचारियों के साथ उसे सीआइए थाने में ले गया। जहां 3-4 कर्मचारियों ने उसके कपड़े उतरवा दिए। एक उसकी छाती पर बैठ गया और दो ने उसके पैर पकड़ लिए। इसके बाद चौथे कर्मचारी ने लाठी से उसके पैरों पर बुरी तरह मारा, इसी दौरान उसके पांव में भी चोट लग गई। रात्रि लगभग 8 बजे उसे शहर थाने में वापिस ले आये। एक अधिकारी ने उसके भाई को फोन कर उसे ले जाने को कहा। इस पर उसका भाई दो-तीन अन्य व्यक्तियों के साथ आया और उसे मोटरसाइकिल पर घर ले गया। रात में डर हुआ होने के कारण वो चुप रहा। सुबह उसने सारी बात घरवालों को बताई तो उन्होंने उसे सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया। जहाँ एक्स रे में उसके पैर में फ्रेक्चर की पुष्टि हुई व प्लास्टर किया गया। 

इस मामले में पुलिसिया कार्रवाई शुरू से आखिर तक संदेह के घेरे में रही। जब पीड़ित दोषी था तो उसे आधी रात को चुपके से पुलिस ने इसे रात में क्यों छोड़ा? अगर वह दोषी था तो उसे सुबह कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड पर लेना चाहिए था। अब सवाल यह उठता रहे है कि ये कसूरवार साबित नही हुआ तब छोड़ा है, या फिर पैर में फ्रैक्चर के कारण मजबूरीवश छोड़ना पड़ा। दूसरा इस मामले की एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई तथा उच्च अधिकारियों की जानकारी से मामले को क्यों छुपाया गया पुलिस अधीक्षक  सुलोचना गजराज ने भी मामले की लीपापोती करने की कोशिश की है। केवल एक एसआई को लाइन हाजिर करके कार्रवाई की इतिश्री कर ली गई । आरोप 13-14 पुलिस वालों पर, और गाज केवल कैलाश सोनी पर। शायद एसपी ने पूरी शिकायत पढ़ी ही नहीं। पीड़ित को चार पुलिसवाले उठा कर लाने का, एक एसएचओ पर धमकी व रुपये मांगने का, चार पुलिस वालों पर गाड़ी में डाल कर सीआईए ले जाने का एवं 4-5 पुलिसवालों पर सीआईए में मारपीट करने का आरोप है। लेकिन बलि का बकरा सिर्फ एक ही। सवाल यह भी उठता है कि यदि अपराध हुआ है तो लाइन हाजिर ही क्यों, मुकदमा दर्ज करके, तफ्तीश करनी चाहिए एवं जो जो इस मामले में संलिप्त हैं, उनको प्रोसिक्यूट करवाना चाहिए लीपापौती क्यों ? अन्य आरोपी पुलिसवालों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई ना होना सवालिया निशान खड़ा करता है

क्या कहते हैं अधिकारी:

थाना प्रभारी संतोष कुमार ने बताया कि एक चोरी के मुकदमे में युवक को थाने। लाया गया था, फिलहाल छोड़ दिया गया है। जरूरत पड़ेगी तो फिर बुलाया जाएगा। मारपीट से इनकार करते हुए कहा कि जांच अधिकारी ही बता सकते हैं। जांच चल रही है क्योंकि मामला गाय का है। आरोपी पुलिस पर दबाव बनाने के उदेश्य से ऐसी शिकायत कर रहा है

उधर पुलिस अधीक्षक ने मामले का संज्ञान लेते हुए मामले की जांच किसी वरिष्ठ अधिकारी से करवाने की बात कही। इसके बाद ही 2 पुलिस कर्मचारी पीड़ित युवक का बयान लेने उसके घर पहुंचे।

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