·ऑटो व कमर्शियल वाहन चालकों से लेट पासिंग जुर्माने के नाम पर अवैध
वसूली कर रही है सरकार-दीपेंद्र
लॉकडाउन की वजह से पासिंग लेट होने पर ग़रीब ऑटो चालकों से जुर्माना वसूलना ग़लत
·महामारी के दौरान ऑटो चालकों को कम से कम 5-5 हज़ार रुपये आर्थिक मदद दे सरकार
·सरकार 3 महीने के लिए उनके परमिट फ़ीस, रोड टैक्स, लोन की किश्त और
बिजली बिल करे माफ़

अनूप कुमार सैनी
रोहतक, 27 मई। सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश के लाखों ऑटो और कमर्शियल चालकों के समर्थन में आगे आए हैं। उनका कहना है कि सरकार लगातार इन लाखों कामगारों की स्थिति को अनदेखा कर रही है। क्योंकि लोगों को रोज़ उनकी मंज़िल तक पहुंचाने वाले ऑटो चालक आज ख़ुद अधर में लटके हुए हैं।   

लॉकडाउन की वजह से करीब 2 महीने तक ऑटो सड़कों पर उतारने की मनाही के चलते इनकी आमदनी ज़ीरों हो गई। अब सिर्फ 2 सवारियों के साथ ऑटो चलाने की इजाज़त मिली है। इससे बमुश्किल एक ऑटो वाला दिन में 100 रुपये ही कमा पाता है। लेकिन उसे लगातार फ़ाइनेंस व लोन की किश्त, घर का खर्च, बच्चों की फीस, रोड टैक्स और परमिट फीस भरनी पड़ रही है। ऊपर से सितम ये है कि सरकार ग़रीब ऑटो चालकों से पासिंग लेट होने पर भारी भरकम जुर्माना वसूल
रही है।

ऑटो रिक्शा चालक कल्याण समिति का कहना है कि आज प्रदेश के क़रीब 4 लाख ऑटो चालक आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं। लेकिन सरकार उनकी कोई मदद करने की बजाए, उनपर बेवजह जुर्माना थोप रही है। स्कूल बस और दूसरे कमर्शियल व्हीकल मालिकों से भी इसी तरह की वसूली की जा रही है।     

दरअसल 2 महीने तक लॉकडाउन में ऑटो, स्कूल बस या दूसरे कमर्शियल व्हीकल सड़कों पर उतारने की इजाज़त नहीं थी। जिसकी वजह से वाहन चालक पासिंग नहीं करवा पाए। सरकार ने कहा था कि अगर लॉकडाउन के दौरान कोई वाहन चालक पासिंग नहीं करवा पाता है तो 1 फरवरी से लेकर 30 जून तक उससे किसी तरह का जुर्माना नहीं लिया जाएगा लेकिन इस आदेश के उलट, अब सरकार वाहन चालकों से प्रतिदिन 50 रुपये के हिसाब से हज़ारों रुपये जुर्माना लिया जा
रहा है। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कड़े शब्दों में इसकी निंदा की है और इसे अवैध वसूली करार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार को फौरन इसपर रोक लगानी चाहिए।         

 सांसद दीपेंद्र का कहना है कि सरकार को लेट पासिंग जुर्माना के साथ पासिंग फ़ीस, परमिट फ़ीस और रोड टैक्स भी माफ़ करना चाहिए। जो लोग लोन या फ़ाइनेंस पर ऑटो या दूसरा कमर्शियल वाहन लेकर चलाते हैं, सरकार कम से कम तीन महीने तक उन्हें लोन की किश्त में राहत दे। निजी फ़ाइनेंसर्स को भी निर्देश दिए जाएं कि वो वाहन चालकों पर किश्त भरने का दबाव ना बनाए।

  ऑटो रिक्शा चालक कल्याण समिति ने सरकार ने भी सरकार से मांग की है कि उनके परिवारों को दिल्ली सरकार की तर्ज़ पर कम से कम 5 हज़ार रुपये प्रति आर्थिक मदद दी जाए। सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि एक ज़िम्मेदार सरकार का फर्ज़ बनता है कि वो मुश्किल वक्त में आर्थिक तौर पर पिछड़े तबकों का सबसे ज़्यादा ध्यान रखे। इसलिए प्रदेश सरकार को ऑटो चालकों के बिजली बिल और बच्चों की स्कूल फ़ीस माफ़ी का भी ऐलान भी करना चाहिए।

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