रेलवे का अभिन्न अंग माने जाने वाले जेटीबीएस आपरेटरों की कमर इस लाॅकडाउन ने तोड़ कर रख दी है। देश के लगभग हर छोटे-बड़े स्टेशनों पर संचालित जेटीबीएस आॅपरेटरों को भयंकर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। लाॅकडाउन के कारण जेटीबीएस संचालकों का जमा पूंजी करोडों रूपये टिकट रिचार्ज मनी के रूप में रेलवे के पास जमा है, उनके आर्थिक बदहाली का यह भी एक कारण है। अखिल भारतीय जेटीबीएस संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. एस. कटारिया ने कहा कि लाॅकडाउन के कारण देश भर के जेटीबीएस आपरेटर परेशान है। जेटीबीएस आपरेटर का एक मात्र रोज़ी-रोटी की आमदनी जरिया केवल जेटीबीएस ही है, जो कि पिछले तीन माह से बंद है, और निकट भविष्य में शुरू होने की संभावना भी दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ रही है। ऐसे में जेटीबीएस आपरेटर्स के सामने बन्द दुकान का किराया, बैंक की किश्तें, स्टाफ का वेतन, बिजली बिल, लीज़ लाईन का किराया के साथ ही खुद के परिवार का भरण-पोषण की एक बड़ी समस्या खड़ी हुई है। बी. एस. कटारिया ने कहा कि अधिकांश जेटीबीएस टिकट आपरेटर पूर्ण-रूप से इसी आय पर ही निर्भर हैं। यहां से होने वाली आमदनी से ही वे अपना घर-गृहस्थी चालाते हैं, अधिकांश आॅपरेटर लगभग अपनी जमा पूंजी का एक बडा हिस्सा टिकट रिचार्ज मनी के रूप में रेलवे के पास जमा रखते हैं । उन्हें यह पूर्वानुमान नहीं था कि अचानक से हीं ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह से एकदम ठप हो जायेगा। बी. एस. कटारिया ने कहा कि जब रेलवे ने देश भर में 200 ट्रेनों का परिचालन करने का निर्णय लिया तो हमें काफी खुशी हुई, परंतु जेटीबीएस से सिर्फ साधारण टिकट ही जारी किया जा सकता है ऐसे में हम सभी को पुनः कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है। बी. एस. कटारिया ने कहा कि हम सरकार से किसी प्रकार की आर्थिक पैकेज की मांग नहीं करते हैं अपितु रेल मंत्रालय और भारत सरकार से मांग करते है कि हम सभी जेटीबीएस आॅपरेटरों को पीआरएस संचालन की अनुमति प्रदान की जाए ताकि हम सभी कुछ आमदमी कर अपने दैनिक जन-जीवन के खर्च को ही कम से कम सुचारू रूप चला सकें, वो आपरेटर आज एकदम भुखमरी की कगार पर खड़ा है। उन्होने कहा कि हम सभी जेटीबीएस संचालक चूंकी आमजन से ज्यादा संपर्क में रहते हैं इस वजह से लोगों को भी यहां से टिकट कटवाने में ज्यादा सहूलियत होगी। वहीं रेलवे को भी हर महीने करोड़ों रूपए का फायदा होगा। पहले भी हम जेटीबीएस संचालक रेलवे को अरबों रूपए की रेवेन्यू हर महीने रेलवे को देते आये हैं। उन्होंने कहा कि अगर रेल परिसर में हमें जगह मिल जाए तो हमारी स्थिति भी बेहतर होगी। और हमें महंगे किरायों से निजात मिल जायेगी। हमारी यह मांग रेलवे बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष श्री अश्वनी लोहानी जी के समय से लंबित है। Post navigation वीर सावरकर: एक क्रांतिकारी, दो आजीवन करावास चै0 चरणसिंह आजादी के बाद गांव व किसानों के सबसे बडे नेता के रूप में उभरे और किसानों के प्ररेणा स्त्रोत बने