प्रदेश में आयल मिलरों को सरसों ना मिलने से आयल मिल बंद होने के कगार पर – बजरंग गर्ग
सरसों ओपन बोली में पहले की तरह मंडियों में बिकनी चाहिए – बजरंग गर्ग
जब उद्योगों को कच्चा माल नहीं मिलेगा तो हरियाणा में उद्योग धन्धे कैसे चलेगे – बजरंग गर्ग

चण्डीगढ़ – हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रान्तीय अध्यक्ष व हरियाणा कान्फैड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने मिलर व आढ़तियों से बातचीत करने के उपरांत कहा कि हरियाणा सरकार की मार्केट बोर्ड द्वारा नया पत्र नंबर 8297-8410 दिनांक 20 मार्च 2020 को जारी करके सरसों की खरीद खुली बोली से ना करने का फरमान जारी करना उचित नहीं है। जबकि सरसों की मंडियों में ओपन ना होने व हैफेड़ द्वारा सरसों बैचने के लिए टेंडर लगाने के बावजूद भी सरसों आयल मिलरों को ना मिलने से हरियाणा में आयल मिलों पर मिल चलाने के संकट आ गए है और मिले बंद होने के कगार पर है। जबकि हैफेड विभाग ने 16 मई से 20 मई तक हर रोज सरसों बैचने के लिए टेंडर ओपन किए थे। आयल मिलरों ने टेंडर देने के बावजूद भी हैफेड विभाग ने आयल मिलों को सरसों नहीं बेची अगर हैफेड विभाग को सरसों बेचनी नहीं बेचनी थी तो वह बार-बार टेंडर क्यों लगा रही है।

प्रान्तीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि सरकार ने अनाज मंडियो में सरसों की ओपन बोली बंद कर दी है और सरकार आयल मिलों को सरसों उपलब्ध नहीं करा रही है और ना ही आयल मिलरों को पड़ोसी राज्यों की सरसों खरीदने की इजाजत दे रही है। तो ऐसे में हरियाणा में कैसे आयल मिले चलेगी। यह बहुत बड़ा चिन्ता का विषय है। जबकि एक तरफ सरकार उद्योगों को चालू करने की बात कर रही है। दूसरी तरफ कच्चा माल आयल मिलों व उद्योग को खरीदने नहीं दे रही तो ऐसे में कैसे हरियाणा में उद्योग चलेगा।

प्रान्तीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि जबकि कोरोना महामारी के कारण पहले ही लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए है। जिसके कारण हरियाणा से मजदूर भारी संख्या में पलायन कर रहे है। अगर आयल मिलों को सरसों नहीं मिलेगी व उद्योगों का कच्चा माल नहीं मिलेगा तो प्रदेश में उद्योग बंद हो जाएगे। जबकि पहले ही माल को प्रोडक्शन व सेल में बड़ी भारी दिक्कत है। प्रान्तीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि प्रदेश में सरसों कर पैदावार लगभग 1 करोड़ 30 लाख क्विंटल से ज्यादा की है। सरकारी खरीद एजेंसियों ने अब तक लगभग 78 लाख क्विंटल सरसों की खरीद की है जबकि सरकार सरसों का एक-एक दाना खरीदने की बात कर रही है। मगर किसानों को अपनी सरसों बैचने के लिए मंडियों में काफी दिनों से धक्के खाने पड़ रहे है। सरकार को किसान की सरसों का एक-एक दाना खरीदना चाहिए व खरीदी हुई सरसों का तुरन्त प्रभाव से उठान सरकारी एजेंसियों द्वारा करना चाहिए और सरसों को ओपन बोली में मंडी में बेचने की इजाजत सरकार को देनी चाहिए। ताकि किसान, मिलर व आढ़ती को आ रही बड़ी भारी दिक्कत से राहत मिल सके।

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