कहा – शाहबाद–बबैन-इस्माईलाबाद-पीपली-गुहला सीवन’ में धान की खेती पर पाबंदी तानाशाही हुक्मनामाकांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिह सुरजेवाला व पूर्व विधायक अनिल धंतौडी ने खट्टर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा-जजपा सरकार बनी किसान की दुश्मन शाहबाद,22 मई 2020कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिह सुरजेवाला व पूर्व विधायक अनिल धंतौडी ने कहा कि खट्टर सरकार आए दिन उत्तरी हरियाणा, खासतौर से कुरुक्षेत्र-कैथल जिले के किसान से दुश्मनी निकाल रही है। आए दिन किसान को नए नए घाव देना खट्टर सरकार की आदत बन गई है। लगता है कि अन्नदाता किसान को चोट पहुंचाना ही भाजपा-जजपा सरकार का राजधर्म है। खट्टर सरकार द्वारा कुरुक्षेत्र जिला के शाहबाद, पीपली बबैन, इस्माईलाबाद में किसान धान की खेती नहीं कर देने के कारण आज शाहबाद में एस डी एम ऑफिस के सामने सांकेतिक धरना में कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला व पूर्व विधायक अनिल धनतौड़ी मौजूद रहे और हरियाणा राज्यपाल के नाम एस डी एम को ज्ञापन सौंपा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा की गठबंधन सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अब तो पानी सर से पार हो गया है, क्योंकि खट्टर सरकार ने कुरुक्षेत्र व कैथल के किसान की खेती उजाड़ने, आढ़ती व दुकानदार का धंधा बंद करने तथा राईज़ शैलर व चावल उद्योग पर तालाबंदी करने का प्लान बना 9 मई, 2020 को एक तानाशाही हुक्मनामा जारी कर दिया है, जिसकी प्रतिलिपि Annexure A1 है। खट्टर सरकार के शाहबाद-कुरुक्षेत्र जिले के खिलाफ किए जा रहे षडयंत्रकारी हुक्मनामे की शर्तो का जिक्र करते हुए उन्होने कहा कि > कुरुक्षेत्र जिला के शाहबाद, पीपली बबैन, इस्माईलाबाद में किसान धान की खेती नहीं कर सकता। यही पाबंदी कैथल जिला के सीवन व गुहला ब्लॉक में लगाई गई है। इन 7 ब्लॉक्स समेत पूरे प्रदेश के 19 ब्लॉक्स में किसान के द्वारा धान की खेती पर रोक लगाई गई है। धान की खेती पर रोक लगाई गई कुरुक्षेत्र व कैथल की कुल 1,08,314 हैक्टेयर जमीन या 2,67,644 एकड़ जमीन है (कुरुक्षेत्र 56,377 हैक्टेयर = 1,39,308 एकड़; कैथल 51,937 हैक्टेयर = 1,28,336 एकड़)। अकेले शाहबाद में किसान की मल्कियत वाली 46,825 एकड़ भूमि में धान की फसल लगाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। 9 मई, 2020 के आदेश के मुताबिक कुरुक्षेत्र व कैथल का किसान इस 2,67,644 एकड़ भूमि में से 1,33,822 एकड़ भूमि पर धान की खेती नहीं कर सकता। > कुरुक्षेत्र-कैथल के उपरोक्त 7 ब्लॉक्स में अगर किसान ने 50 प्रतिशत से अधिक भूमि में धान की खेती की, तो किसान को सरकार की सब तरह की सब्सिडी से इंकार होगा व किसान का धान भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जाएगा (Clause vii, Annexure A1)। > कुरुक्षेत्र-कैथल के 9 ब्लॉक्स में व प्रदेश के कुल 26 ब्लॉक्स में पंचायती भूमि पर धान की खेती पर रोक लगा दी गई है। संलग्न 23 अप्रैल 2020 की चिट्ठी Annexure A2 व 9 मई 2020 का इश्तिहार Annexure A3 देखें। कुरुक्षेत्र के थानेसर, बबैन, शाहबाद, पेहवा, पीपली व इस्माईलाबाद में तथा कैथल के पुंडरी, सीवन व गुहला ब्लॉक में पंचायती भूमि पर धान की खेती पर रोक लगा दी गई है। इन 9 ब्लॉक्स में लगभग 14,000 हैक्टेयर या 34,600 एकड़ में पंचायती भूमि में धान की खेती नहीं की जा सकेगी। > अब सबसे ताजा तुगलकी फरमान यह है कि 50bhp की मोटर वाले ट्यूबवेलों का कनेक्शन काटा जाएगा। लाखों नए ट्यूबवेल का कनेक्शन तो दे नहीं रहे, उल्टा किसान के मौजूदा ट्यूबवेल कनेक्शन को काटने की तैयारी कर ली है (Annexure A4)। उन्होने कहा कि भूजल का संरक्षण आवश्यक है पर भूजल संरक्षण के नाम पर उत्तरी हरियाणा, खासतौर से कुरुक्षेत्र- कैथल के किसान के मुंह का निवाला छीन लेना कदापि मंजूर नहीं किया जा सकता। वो भी एक ऐसी खट्टर सरकार के द्वारा जिन्होंने बनी बनाई ‘दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना’ की भी तालाबंदी कर दी तथा पूरे उत्तरी हरियाणा के किसान को न भरपाई होने वाला नुकसान पहुंचाया। एक तरफ तो खट्टर सरकार 400 करोड़ से अधिक लागत से बनी दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना को बंद करती है, तो दूसरी ओर गिरते भूजल की दुहाई दे किसान के मुंह का निवाला छीनती है। यह अपनेआप में किसान विरोधी चेहरे को उजागर करता है। सुरजेवाला ने कहा कि पिछले साल भी खट्टर सरकार ने धान की फसल की जगह मक्का पैदा करने के लिए ‘जल ही जीवन’ स्कीम 7 ब्लॉक में शुरू की थी। इन 7 ब्लॉक्स में भी कैथल का पुंडरी ब्लॉक व कुरुक्षेत्र का थानेसर ब्लॉक शामिल किया गया था। इन इलाकों में धान की जगह मक्का की खेती करने के लिए 2000 रु. प्रति एकड़ कैश, 766 रु. प्रति एकड़ बीमा प्रीमियम व हाईब्रिड सीड देने का वादा किया था व 50,000 हेक्टेयर यानि 1,37,000 एकड़ में धान की बजाए मक्का की खेती होनी थी। परंतु न तो किसान को प्रति एकड़ मुआवज़ा मिला, न बीमा हुआ, हाईब्रिड सीड फेल हो गया और पूरी स्कीम केवल एक कागजी पुलिंदा बनकर रह गई। अब नाम बदलकर कैथल कुरुक्षेत्र के किसान की रोजी रोटी पर हमला बोलने के लिए खट्टर सरकार ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ स्कीम (A1) ले आई है, जो पूरी तरह तानाशाही व गैरकानूनी है। उन्होने कहा कि शर्म की बात यह है कि किसानों, आढ़तियों, राईस मिल मालिकों को उजाड़ने व उनका धंधा चौपट करने के इस षडयंत्र के बावजूद भाजपा-जजपा के मंत्री, सांसद व विधायक हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं व अपने मुंह पर पट्टी बांध ली है। अगर वह कैथल व कुरुक्षेत्र के किसान, आढ़ती व राईस मिल मालिकों के अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकते, तो उन्हें अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा-जजपा सरकार से जवाब मांगते हुए कहा कि > कुरुक्षेत्र-कैथल के 7 ब्लॉक के किसानों की रोजी रोटी छीन धान की खेती पर रोक क्यों लगाई जा रही है? क्या इस साल 50 प्रतिशत से अधिक धान बीजने पर लगाई गई पाबंदी अगले साल तक बढ़कर 100 प्रतिशत हो जाएगी? क्या यह किसान को उजाड़ने, आढ़ती का धंधा बंद करने व राईस मिलों पर तालाबंदी करने का कार्य नहीं है? > क्या खट्टर सरकार द्वारा कुरुक्षेत्र-कैथल के 7 ब्लॉक में धान पैदा करने वाले किसानों की फसल की खरीद MSP पर न करने का निर्णय तानाशाहीपूर्ण नहीं? > क्या कुरुक्षेत्र-कैथल के 9 ब्लॉक में पंचायत की जमीन पर किसान द्वारा धान की खेती पर रोक लगाने का निर्णय अन्यायपूर्ण नहीं? > क्या खट्टर सरकार द्वारा दादूपुर नलवी रिचार्ज नहर परियोजना को बंद करने के निरंकुश निर्णय की सजा अब उत्तरी हरियाणा, खासतौर से कुरुक्षेत्र-कैथल का किसान भुगत रहा है? > भाजपा-जजपा सरकार के मंत्री-विधायक-सांसद हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे हैं, जबकि किसानों, आढ़तियों व राईस मिल व्यापार को उजाड़ा जा रहा है? क्या यह कुरुक्षेत्र-कैथल के लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में फेल साबित हुए हैं? Post navigation CBSE ने छात्रों को जागरूक करने के लिए जारी की ‘साइबर सिक्योरिटी हैंडबुक’ सरसों की ओपन बोली ना करने का नया फरमान जारी करना नहीं है उचित