कलाकारों को काम नहीं अधिकारियों पर करोड़ों खर्च

रोहतक, 16 मई। कला एवं कलाकारों की भलाई और प्रदेश में बेहतर सांस्कृतिक माहौल बनाने के लिए बनाए गए हरियाणा कला परिषद की सांस्कृतिक गतिविधियां पिछले काफी समय से ठप्प पड़ी हैं। कोविड 19 महामारी के प्रकोप के बाद तो अब निकट भविष्य में भी किसी तरह के सांस्कृतिक आयोजन होने की गुंजाइश नहीं दिखती। इसके बावजूद, हरियाणा कला परिषद में जमे बैठे पदाधिकारियों पर बेवजह जनता के टैक्स का करोड़ों रुपए खर्च किया जा रहा है। परिषद के उपाध्यक्ष संजय भसीन तथा क्षेत्रीय निदेशकों का कार्यकाल पूरा हो जाने के बावजूद वे अपनी पदों पर चिपके हुए हैं। यह सब तब हो रहा है जब सरकार आर्थिक तंगी के चलते खर्चे कम करने की कोशिशों में जुटी है और खुद मुख्यमंत्री आदेश जारी कर चुके हैं कि सभी सरकारी निगमों, बोर्डों, सहकारी संस्थाओं तथा अन्य उपक्रमों में कार्यरत अध्यक्षों तथा उपाध्यक्षों का कार्यकाल 30 अप्रैल 2020 तक ही माना जाएगा। परन्तु कला परिषद के अधिकारी सरकार के इन आदेशों की भी सरेआम अवहेलना कर रहे हैं। यह कहना है प्रसिद्ध रंगकर्मी तथा मल्टी आर्ट एण्ड कल्चर सेंटर, कुरुक्षेत्र के पूर्व उपनिदेशक विश्व दीपक त्रिखा का।

त्रिखा का कहना है कि हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा लॉकडाउन के चलते जनजीवन पर पड़े विपरीत प्रभाव से उभरने और आम लोगों को राहत देने के लिए जो 20 लाख करोड़ का पैकेज घोषित किया गया है, उसमें भी कलाकारों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। जबकि लाखों रंगकर्मी, लोक कलाकार, संगतकार, शिल्पकार, पेंटर, मूर्तिकार, गायक, नर्तक ऐसे हैं जो सांस्कृतिक एवं कलात्मक गतिविधियों के सहारे ही अपने परिवार का गुजर-बसर करते हैं। कोरोना संकट के चलते सांस्कृतिक आयोजन पूरी तरह बन्द होने के कारण इनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है।

केन्द्र ही नहीं, हरियाणा सरकार ने भी प्रदेश की शान माने जाने वाले अपने कलाकारों के हिट में कोई कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार कलाकारों के प्रति इतना संवेदनहीन रुख अपना रही है और दूसरी तरफ, कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद भी कला परिषद के विभिन्न पदों पर जमे बैठे अधिकारियों पर करोड़ों लुटा रही है। सरकार को चाहिए कि अपना कार्यकाल पूरा कर चुके अधिकारियों को तुरंत बर्खास्त करे और इस धन का उपयोग कलाकारों की भलाई में करे।

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