-एसपी और एसएचओ के विपरीत बयान बना रहे हैं मामले को गंभीर

अशोक कुमार कौशिक

 नारनौल। थाने में जब्त शराब को नष्ट करने की बजाय शराब तस्कर को बेचने के मामले में दैनिक ट्रिब्यून के खुलासे के बाद पुलिस अधीक्षक सुलोचना गजराज ने जांच के लिए डीएसपी मुख्यालय विनोद कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया है। लेकिन फिलहाल पुलिस इस मामले में जो थ्योरी बता रही है वो बड़ी गड़बड़ की तरफ इशारा कर रही है।

 शराब ऑन रिकॉर्ड नष्ट की है:

एसएचओइस संबंध में सदर थानाध्यक्ष महेश कुमार का कहना है कि उन्होंने सारी जब्त शराब ऑन रिकॉर्ड अपने सामने नष्ट करवाई है, फिर चेलम्स फोर्ड ब्रांड की 30 पेटियां कहाँ से आ  गई ? क्योंकि ये ब्रांड राजस्थान में बिकता था और इसकी फैक्टरी लगभग दो साल पहले ही बन्द हो चुकी है। इसका जवाब एसएचओ के पास भी नहीं है।

शराब वही है, जांच के लिए एसआईटी गठित:

एसपीएसपी सुलोचना गजराज ने माना कि डीएसपी राज सिंह की जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ है कि ये वही शराब है जिसे नष्ट किया जाना था। फिलहाल इस मामले में गहन जांच के लिए डीएसपी मुख्यालय विनोद कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया है।

 पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जिस शराब को नष्ट किया जाना था उसे थाना से नदी क्षेत्र तक ले जाने के लिए रविन्द्र उर्फ लीला की गाड़ी को बुलाया गया था, लेकिन मुंशी विनोद व मोहर्रिर रोहतास ने उसे गाड़ी में लोड की गई 70 पेटी कहीं और ले जाने की कही, जिन्हें वो नदी क्षेत्र की बजाय उनकी बताई जगह पर ले गया। 

लेकिन थाने में इस बाबत कोई रिपोर्ट दर्ज नही की गई कि गाड़ी चालक रविन्द्र उर्फ लीला शराब की 70 पेटी लेकर भाग गया। शराब ले जाने के लिए पुराने शराब तस्कर को ही क्यों बुलाया गया इसका जवाब भी किसी के पास नही है। थानाध्यक्ष इसे गलत बताते हुए इस बात पर अड़े हैं कि उन्होंने सारी शराब खुद नष्ट करवाई है। ना ही अभी तक ड्यूटी मजिस्ट्रेट हर्ष कुमार व एसएचओ से ना तो संबंध में कोई पूछताछ की गई है और ना ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है।

मुंशी और मोहर्रिर का 15 दिन पहले ही सदर थाने से पुलिस लाइन में तबादला करना भी यह साबित करता है कि बड़े अधिकारियों का बोझ भी इनके ही सिर पर डालने की तैयारी है। अब एसआइटी जांच में ही यह खुलासा हो पायेगा की असलियत क्या है और इसमे कौन-कौन अधिकारी और फंसेंगे।

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