-संक्रमण के भय से जवान को उसके खुद के गांव में घुसने नही दिया अशोक कुमार कौशिक नारनौल। लोगों में संक्रमण भले ही फैल जाए पर अपना रिश्तेदार या परिजन को पनाह देना अब लोग अपना धर्म मानने लगे है। इसके लिए उन्हें सरकार व प्रशासन को सूचित करना भी गवारा नहीं है । ऐसा ही एक मामला दिल्ली पुलिस में कार्यरत राजस्थान अवसर जिले मांढ़ण थाना के अधीन गांव कान्हावास माजरा निवासी को ग्रामीणों द्वारा गांव में नहीं दाखिल देने के कारण जिला महेंद्रगढ़ के गांव शहरपुर में अपने मामा जी के यहां चोरीछिपे शरण लेनी पड़ी। जिले में यह दुसरा मामला सामने आया है। इसे पूर्व नारनौल के हुड्डा स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में दिल्ली के आरपीएफ के 3 जवान जो संक्रमित थे चोरी छिपे रहे। बाद में प्रशासन ने उन पर और उसके रिश्तेदार ससुर पर मामला दर्ज किया था। यहां भी इसी प्रकार का मामला देखने को मिला। गांव के सरपंच ने भी इसकी जानकारी प्रशासन को देने की जहमत नही उठाई। जानकारी के अनुसार राजस्थान के गांव कान्हावास माजरा निवासी एक व्यक्ति दिल्ली पुलिस में कार्यरत है।वह पिछले करीब 6 दिन पहले अपने गांव कान्हावास माजरा के लिए रवाना हुआ था। लेकिन ग्रामीणों द्वारा कोरोना संक्रमण के शक से उसको गांव में घुसने नहीं दिए जाने के कारण उसको अपने गांव की बजाय अपने मामा गांव शहरपुर निवासी धर्मपाल के यहां शरण लेनी पड़ी। इस बारे में शहरपुर के सरपंच ने भी कोई जानकारी नहीं दी। कल सुबह ही जब आशा वर्कर को यह जानकारी मिली की धर्मपाल के घर पर पिछले 6 दिन से उसका भांजा रह रहा है तो वह घर पहुंची। घर पहुंचने के बाद उसने दिल्ली पुलिस में कार्यरत कर्मचारी के बारे में जानकारी लेनी चाही तो उसके घरवाले आशावर्कर को ही बुरा भला कहने लगे। आशा वर्कर ने जैसे तैसे पूरी जानकारी लेकर स्वास्थ्य विभाग को सूचित कर दिया है। आशावर्कर से कहासुनी की यह दुसरी घटना है इससे पूर्व नांगल चौधरी के गांव नियामतपुर में घट चुकी है, जहां हरियाणा पुलिस में कार्यरत जवान के परिजनों ने मारपिटाई की थी। उस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया था। Post navigation नरवाना से रात्रि युवक पहुंचा सीहमा 432 मजदूर अपने गांव के लिए हुए रवाना