एसजीटी यूनिवर्सिटी : अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का दूसरा दिन

आज श्रीलंका, जर्मनी, इजरायल, स्पेन, यूएई के वक्ताओं ने भी भाग लिया

गुरुग्राम, 10 मई। एसजीटी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम और नेशनल कौंसिल ऑफ स्पोर्ट्स एंड फिजिकल एजुकेशन के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार (वर्चुअल इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस) के दूसरे दिन अपने विचार व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य विज्ञान विभाग आरएम प्रोफेशनल कॉलेज, जर्मनी के निदेशक प्रो. उलरिच रोसेन ने कहा कि आज के दौर में सभी खिलाड़ी तनाव से ग्रस्त रहते हैं। खिलाड़ियों के लिए जरूरी है कि वे तनाव से दूर रहें क्योंकि सक्षम खिलाड़ी भी तनाव के कारण अच्छे प्रदर्शन से चूक सकते हैं। इसके लिए उन्हें मानसिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए क्योंकि तनाव कभी भी गेम चेंजर हो सकता है और यह खिलाड़ी को नकारात्मक दिशा में ले जा सकता है। 

प्रो. उलरिच वेबिनार के तीसरे सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।

प्रो. उलरिच कहा कि किसी खिलाड़ी को सफल होने के लिए कई बातों को ध्यान रखना होता है लेकिन कुछ चीजें इतनी महत्त्वपूर्ण हैं कि उन्हें खेलों का आधार कहा जा सकता है और उनके बिना उसकी खेल क्षमता बढ़ ही नहीं सकती, जैसे- पौष्टक आहार, पूरी नींद, वर्कआउट और प्रशिक्षण। उन्होंने कहा कि सभी खिलाड़ी एक ही तरह से दिखते हैं लेकिन जेनेटिक कारणों से उनमें अंतर होता है। जेनेटिक कारण किसी खिलाड़ी के जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वेबिनार के तीसरे सत्र की अध्यक्षता रामकृष्ण मिशन विवेकानंद एजुकेशनल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट कोलकाता के डीन प्रो. आशीष गोस्वामी ने की।

“वर्चुअल इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन क्रिएटिंग स्पोर्ट्स कल्चर इन यूनिवर्सिटिज” विषय पर आयोजित वेबिनार का आज दूसरा दिन था। इसका समापन कल 11 मई को होगा। आज खेल गतिविधियों के प्रोत्साहन और इनसे जुड़े मुद्दों पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के 12 वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए जिनमें से पाँच वक्ता श्रीलंका, जर्मनी, इजरायल, स्पेन, यूएई से थे। इस वेबिनार को आयोजित करने की संकल्पना दशमेश एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री मनमोहन सिंह चावला की थी जिसे प्रो वाइस चांसलर डॉ. जी. एल. खन्ना, सी. ई. ओ. डॉ. रिजवान मुसन्ना तथा विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के प्राध्यापकों और अन्य स्टाफ ने कार्यरूप दिया। 

आज का वेबिनार छह सत्रों में विभाजित था। पहले सत्र की अध्यक्षता लेडी श्रीराम कॉलेज महाविद्यालय की सहायक प्रोफेसर सुश्री मीनाक्षी पाहूजा ने की तथा मुख्य वक्ता थे श्रीलंका के फ्रीलांस बिजनेस सलाहकार श्री आखरी आमीर। इस सत्र में “विकासशील देशों में खेल संबंधी स्वायत्तता और सरकारी नियंत्रण में संतुलन और श्रीलंका से जुड़े कुछ खेल अनुभवों” पर चर्चा हुई।

श्री आखरी आमीर श्रीलंका के कई खेल संगठनों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने श्रीलंका से जुड़े खेल अनुभवों को साझा किया। श्री आखरी ने श्रीलंका के खेल कानूनों के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि खेल संगठनों को कितनी स्वायतता देनी चाहिए, इसे परिभाषित करने की जरूरत है। 

पहले सत्र की अध्यक्ष सुश्री मीनाक्षी पाहूजा ने कहा कि सभी देशों मे खेल के मॉडल अलग-अलग है। इसलिए खेल संगठनों की स्वायतत्ता उस देश की स्थिति पर निर्भर करती है। खेल संगठनों की स्वायत्तता कितनी हो और सरकारी हस्तक्षेप कितना हो, यह विचार करना जरूरी है। लेकिन संगठनों को पारदर्शिता और दायित्व की भावना का पूरी तरह से पालन करना चाहिए जिससे उन पर कोई अनावश्यक प्रश्न चिह्न न लगे। उन्होंने कहा कि खेलों को राजनीति से अलग रखा जाए तो खेल संगठनों और खिलाड़ियों को इसका लाभ मिलेगा। 

“आहार और खेल गतिविधियाँ- संकल्पना और मौजूदा चलन” विषय पर वेबिनार का दूसरा सत्र केंद्रित था। इस सत्र के मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय पोषण संस्थान (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक और विभागाध्यक्ष डॉ. वेंकट रामन यग्नमभट्ट और सत्र की अध्यक्षता की किंग फहद विश्वविद्यालय य़ूएई के डॉ. राकेश तोमर ने। 

डॉ. वेंकट रामन यग्नमभट्ट ने कहा कि कि खेलों के विकास के लिए यह जरूरी है कि सही उम्र में युवाओं की खोज की जाए और उन्हें सभी सुविधाएँ दी जाएँ। डॉ. वेंकट रामन ने “खोलो इंडिया” का उदाहरण दिया कि किस तरह यह ग्रामीण स्तर से शुरू होकर शहरी स्तर तक खेल भावना को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने खिलाड़ियों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने पर भी बल दिया। 

दूसरे सत्र के अध्यक्ष के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. राकेश तोमर ने कहा कि विश्वविद्यालयों को खेल गतिविधियों का हब बनाना चाहिए। यदि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं में खेल संस्कृति पूरी तरह विकसित की जाती है तो उनसे सीख लेकर पूरे देश के युवा उस खेल संस्कृति को अपना सकते हैं। बाद में ये छात्र-छात्राएँ खेल के एंबेसडर भी हो लकते हैं। डॉ. तोमर ने कहा कि विश्वविद्यालयों को आईपीएल का होम ग्राउंड बनाया जा सकता है। 

मैमानेट (इजरायल) की संस्थापक और अध्यक्ष श्रीमती ओफ्रा अब्रामोविच चौथे सत्र की वक्ता थीं तथा इस सत्र की अध्यक्षता की एमिटी स्कूल ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स (एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा) की निदेशक प्रो. कल्पना शर्मा ने। इस सत्र में वक्ताओं ने “सामुदायिक विकास और परिवर्तन में माताओं की भूमिका” पर प्रकाश डाला। श्रीमती ओफ्रा अब्रामोविच ने कहा इजरायल के खेलों में मैमानेट की सक्रिय भूमिका है। 

पाँचवें सत्र के वक्ता थे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन ऑफ कैटालोनिया, स्पेन के अध्यक्ष प्रो. पेरे लावेगा। सत्र की अध्यक्षता की डीआईपीएएस, नई दिल्ली के डॉ. मंटू साहा ने। इस सत्र में पारंपरिक खेलों के महत्त्व और उन्हें प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया। 

छठे और अंतिम सत्र की अध्यक्षता एनआईएन, हैदराबाद की डॉ. कोम्मी कल्पना ने की और इसके मुख्य वक्ता थे जर्मनी के डॉ. पीटर हर्म। इस सत्र में जैविक विकास के मद्देनजर विश्वविद्यालयों में युवाओं के लिए खेल के विकास पर गहन विचार-विमर्श किया गया। वेबिनार का संचालन डॉ. सिद्धार्थ सेन ने किया।

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