अमृत बेला को ही पूजन एवं भक्ति का श्रेष्ठ समय माना गया है।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 10 अप्रैल : देश के विभिन्न राज्यों सहित विश्व स्तर पर भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न गीता का प्रचार प्रसार कर रहे अंतर्राष्ट्रीय गीता मिशन ओडिशा के अध्यक्ष संत डा. स्वामी चिदानंद ने कहा कि अमृत बेला वास्तव में परमात्मा की शरण एवं आध्यात्मिक अमृत का समय होता है। अमृत बेला को ही पूजन एवं भक्ति का श्रेष्ठ समय माना गया है। उन्होंने अमृत बेला के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि संस्कृत में अमृत का अर्थ है अमरता या दिव्यता और बेला का अर्थ है समय। अमृत बेला का समय जो सुबह साढ़े 3 बजे से साढ़े 5 बजे के बीच का वह समय होता है जब ब्रह्मांड की ऊर्जा सबसे शुद्ध, शांत और शक्तिशाली होती है।

डा. स्वामी चिदानंद ने कहा कि इस समय मन शांत होता है और संस्कार शुद्ध होते हैं, जिससे हम अपने आत्मा के साथ गहराई से जुड़ सकते हैं। गुरुओं और योगियों का भी मानना है कि ईश्वर से संवाद का यह सबसे उपयुक्त समय है। उन्होंने कहा कि वेद पुराणों में भी कहा है कि अमृत बेला में परम सत्य का जाप और विचार करना चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा जाए तो इस समय में मानसिक और शारीरिक लाभ होता है। इस समय वातावरण में प्राकृतिक ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है जो शरीर को ऊर्जावान बनाती है। इससे मन अधिक शांत और एकाग्र होता है।

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