विजय गर्ग

निरंतरता का अर्थ किसी भी गतिविधि का सतत जारी रहना है। जीवन में हर क्रिया का आरंभ और अंत होता है, लेकिन इन दोनों बिंदुओं के बीच की अवधि गतिविधि की निरंतरता पर निर्भर करती है। अगर किसी लक्ष्य की दिशा में कार्य को बीच में ही रोकना पड़े, तो सफलता असंभव हो जाती है। निरंतरता और सफलता का गहरा संबंध है; दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
प्रकृति में निरंतरता का सबसे अच्छा उदाहरण जल और वायु है। जल और हवा का सतत प्रवाह ही उन्हें महत्वपूर्ण बनाता है। बहती नदी अपने लक्ष्य (महासागर) तक पहुंचने के बाद ही ठहराव पाती है। इसी प्रकार, जीवन में भी सांस का सातत्य बना रहना जरूरी है, वरना जीवन का अंत हो जाएगा।
दैनिक जीवन में भी सातत्य का महत्व है। परिस्थितियों से अप्रभावित रहकर निरंतर प्रयास करते रहना ही सफलता का मार्ग है। सातत्य से आत्मविश्वास, अनुशासन, धैर्य और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। सफलता के लिए सातत्य और धैर्य का समन्वय आवश्यक है।
सातत्य के साथ कार्य करने से व्यक्तित्व में निखार आता है और जीवन में आने वाली बाधाओं से निपटने का आत्मबल बढ़ता है। धैर्य, अनुशासन, समय प्रबंधन और ध्यान केंद्रित रखना सातत्य को बनाए रखने के प्रमुख स्तंभ हैं। सातत्य को अपनाकर व्यक्ति साधारण से असाधारण की ओर बढ़ सकता है।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल, मलोट, पंजाब