
चंडीगढ़,गुरुग्राम,रेवाड़ी, 27 मार्च – स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा सरकार के जिला उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों के गांवों में रात्रि विश्राम कार्यक्रम को सिर्फ एक दिखावटी मीडिया इवेंट करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों का उद्देश्य भले ही प्रशासन को जनता के करीब लाना था, लेकिन वास्तविकता में यह सत्ता के वैभव और रौब के प्रदर्शन का माध्यम बनकर रह गया है।
विद्रोही ने कहा कि पूरे प्रदेश से मिली जानकारी के अनुसार, जिला उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों के रात्रि विश्राम कार्यक्रम स्वाभाविक और सादगीपूर्ण होने के बजाय किसी जमींदार के लाव-लश्कर के साथ दौरे जैसा प्रतीत होते हैं। ऐसे दौरों में आमजन की समस्याओं की वास्तविक समीक्षा कम और सत्ता की चमक-दमक का प्रदर्शन अधिक दिखाई देता है।
पत्रकारिता पर उठाए सवाल
वेदप्रकाश विद्रोही ने मीडिया की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का मूल कर्तव्य सत्य को सामने लाना होता है, लेकिन आज मीडिया निष्पक्षता छोड़कर सरकार और सत्ताधारियों के महिमामंडन में लगा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया इन रात्रि विश्राम कार्यक्रमों की वास्तविक स्थिति उजागर करने के बजाय प्रायोजित रिपोर्टिंग कर रही है।
कार्यक्रम की सार्थकता पर सवाल
विद्रोही ने कहा कि यदि इन रात्रि विश्राम कार्यक्रमों को वाकई सार्थक बनाना है, तो इन्हें राज दरबार और सत्ता के लाव-लश्कर की चकाचौंध से दूर रखा जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि अधिकारियों को बिना किसी विशेष सुविधा और दिखावे के, एक आम ग्रामीण की तरह गांव में रुककर जनता की समस्याओं को समझना और उनका समाधान निकालना चाहिए।
“जब तक उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक सादगी से बिना किसी विशेष इंतजाम के गांवों में रात बिताकर ग्रामीणों से अनौपचारिक रूप से संवाद नहीं करेंगे, तब तक यह कार्यक्रम महज एक औपचारिकता और मीडिया इवेंट बनकर ही रह जाएगा,” विद्रोही ने कहा।
सरकार से पुनर्विचार की मांग
विद्रोही ने सरकार से मांग की कि इस कार्यक्रम की वास्तविकता की समीक्षा की जाए और इसे जनता के लिए अधिक प्रभावी बनाया जाए। उन्होंने कहा कि यदि यह केवल दिखावे के लिए जारी रहा, तो इससे प्रशासनिक तंत्र की छवि और ज्यादा खराब होगी तथा जनता का विश्वास और कमजोर होगा।