गुरुग्राम: प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (PFTI) के चेयरमैन दीपक मैनी का कहना है कि बांग्लादेश में गहराते गारमेंट उद्योग संकट के बीच भारतीय गारमेंट और टेक्सटाइल सेक्टर के लिए एक बड़ा अवसर उभरा है। बीते सात महीनों में बांग्लादेश में 140 से अधिक गारमेंट फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं और 1 लाख से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो चुके हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक बड़ा गैप बना है, जिसका लाभ भारतीय गारमेंट एक्सपोर्टर्स उठा सकते हैं।
बांग्लादेश में गहराता संकट, भारत के लिए संभावनाएं
बांग्लादेश के गारमेंट सेक्टर की मंदी के कारण यूरोप, अमेरिका और अन्य वैश्विक बाजारों में रेडीमेड गारमेंट और टेक्सटाइल के निर्यात में भारी गिरावट आई है। यह वही बाजार हैं जहां भारत अपनी मजबूत पकड़ बना सकता है। आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेश से अमेरिका को होने वाले गारमेंट निर्यात में 6-7 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है, जबकि भारत का गारमेंट निर्यात 4.4 बिलियन डॉलर तक उछल गया है।
दीपक मैनी ने कहा कि बांग्लादेश की आंतरिक सरकार वहां की गारमेंट इंडस्ट्री को पर्याप्त समर्थन नहीं दे पा रही है। इससे उद्योगपति निराश हैं और एक के बाद एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स बंद हो रही हैं। बांग्लादेश, जो भारत के लिए हमेशा से एक मजबूत प्रतिस्पर्धी रहा है, इस समय संकट से जूझ रहा है। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है, जिसका हमें पूरा लाभ उठाना चाहिए।
भारत सरकार को क्या करना चाहिए?
PFTI ने भारत सरकार को सुझाव दिया है कि वैश्विक बाजार में बांग्लादेश के गैप को भरने के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं लागू की जाएं, ताकि भारतीय कंपनियां तेजी से अपनी वैश्विक हिस्सेदारी बढ़ा सकें।
ज़रूरी कदम: विशेष सरकारी प्रोत्साहन योजनाएं – नए निवेश और उत्पादन विस्तार को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल नीति बनाई जाए।
सरकारी प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए – लॉजिस्टिक्स सुधार से ऑर्डर की डिलीवरी में तेजी आएगी।
वैश्विक ब्रांडिंग – भारतीय टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मजबूत उपस्थिति बनानी होगी।
विदेशी खरीदारों को आकर्षित करना – बांग्लादेश से शिफ्ट हो रहे ग्राहकों को भारत की ओर आकर्षित किया जाए।
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का 84% विदेशी मुद्रा आय रेडीमेड गारमेंट और टेक्सटाइल उद्योग से आती थी, लेकिन अब यह क्षेत्र गहरे संकट में है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश के 20% ऑर्डर पहले ही भारत, वियतनाम, श्रीलंका, इंडोनेशिया और पाकिस्तान की ओर शिफ्ट हो चुके हैं।
दीपक मैनी ने कहा कि यदि भारत इस मौके को सही रणनीति से उपयोग करता है, तो यह न केवल हमारे निर्यात को बढ़ाने का अवसर होगा बल्कि लाखों नए रोजगार भी उत्पन्न कर सकता है।
मुख्य बिंदु:
बांग्लादेश दुनिया के सबसे बड़े गारमेंट निर्यातक देशों में से एक है, जो हर साल 40 बिलियन डॉलर का रेडीमेड गारमेंट निर्यात करता था।
भारत का वार्षिक गारमेंट निर्यात अभी 16-18 बिलियन डॉलर के बीच है, लेकिन इसमें जबरदस्त उछाल की संभावना है।
बांग्लादेश से ऑर्डर शिफ्ट हो रहे हैं – भारत को इसका लाभ उठाने के लिए त्वरित रणनीति बनानी होगी।
वैश्विक ब्रांड भी प्रभावित
बांग्लादेश में भारतीय ब्रांड्स कोलकाता बाजार, नाउ और प्रकृति का कारोबार प्रभावित हुआ है। वहीं, स्वीडन की H&M, स्पेन की ZARA, अमेरिकी ब्रांड NIKE और आयरलैंड की Primark जैसी कंपनियां भी इस संकट से जूझ रही हैं।
निष्कर्ष:
बांग्लादेश का गारमेंट उद्योग जिस तरह संकट में है, वह भारत के लिए एक ‘गेम चेंजर’ अवसर है। यदि भारत सरकार उद्योग के लिए अनुकूल नीतियां लागू करती है, निवेश बढ़ाती है और लॉजिस्टिक्स सुधारती है, तो भारत वैश्विक गारमेंट बाजार में शीर्ष स्थान हासिल कर सकता है।
अब समय है कि भारत तेजी से आगे बढ़े और इस सुनहरे मौके को भुनाए!