चंडीगढ़, 23 मार्च 2025: हरियाणा में नव-निर्वाचित शहरी निकाय पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण को लेकर एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न खड़ा हो गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने हरियाणा के महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री और अन्य संबंधित अधिकारियों को एक औपचारिक ज्ञापन सौंपकर इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की अपील की है।
हेमंत कुमार ने पत्र के माध्यम से बताया कि भारत के संविधान के अनुसार, सार्वजनिक पदों पर नियुक्त पदाधिकारियों को शपथ ग्रहण के समय ईश्वर के नाम पर शपथ लेने अथवा सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करने का विकल्प दिया जाता है। हालांकि, हरियाणा के नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 33(1) और हरियाणा म्युनिसिपल अधिनियम, 1973 की धारा 24(1) में सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करने का कोई विकल्प मौजूद नहीं है।
शपथ ग्रहण में संविधान के अनुरूप बदलाव की मांग
हरियाणा में हाल ही में संपन्न हुए शहरी निकाय चुनावों के तहत 10 नगर निगम महापौर, 28 नगरपालिका परिषद/समिति अध्यक्ष और 647 वार्ड पार्षदों के शपथ ग्रहण का कार्यक्रम 25 मार्च 2025 को पंचकूला के इंद्रधनुष स्टेडियम में प्रस्तावित है। अधिवक्ता हेमंत कुमार ने इस अवसर से पहले ही सरकार को पत्र लिखकर इस विषय पर ध्यान आकर्षित किया है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि संसद के सदस्यों को संविधान की तीसरी अनुसूची के अनुसार यह विकल्प मिलता है कि वे ईश्वर के नाम पर शपथ लें अथवा सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करें। हाल ही में, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने संसद सदस्य के रूप में शपथ लेते समय सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करने का विकल्प चुना था।
संविधान के अनुरूप संशोधन की अपील
हेमंत कुमार ने सरकार से अनुरोध किया है कि नगर निकायों के लिए प्रासंगिक अधिनियमों में आवश्यक संशोधन किए जाएं ताकि नव-निर्वाचित पदाधिकारियों को संविधान सम्मत विकल्प प्राप्त हो सके। यह विषय संविधान की धर्मनिरपेक्षता की भावना और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से भी जुड़ा हुआ है।
इस ज्ञापन की एक प्रति हरियाणा के राज्य निर्वाचन आयुक्त को भी सूचनार्थ भेजी गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि हरियाणा सरकार इस कानूनी और संवैधानिक विषय पर क्या निर्णय लेती है और क्या आगामी शपथ ग्रहण समारोह में कोई परिवर्तन किया जाता है।