दीपा शर्मा

“जल के बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है।”
22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है, जो हमें यह याद दिलाने का अवसर देता है कि जल केवल एक प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व की आधारशिला है। लेकिन दुर्भाग्यवश, आज दुनिया के कई हिस्सों में जल संकट तेजी से गहराता जा रहा है।
अब जागने का समय! – एक-एक बूंद अनमोल है

समाज के सभी वर्गों से अपील करते हुए दीपा शर्मा ने कहा –
“हमें अब जागना होगा! जल संरक्षण कोई विकल्प नहीं, बल्कि समय की सबसे बड़ी अनिवार्यता बन चुका है।”
छोटी-छोटी आदतें बड़े बदलाव ला सकती हैं:
नल खुला न छोड़ें – बेवजह पानी बहाने से बचें।
वर्षा जल संचयन करें – छतों पर जल संकलन प्रणाली अपनाएँ।
जल रिसाव को रोकें – पाइप, टंकियों और नलों की नियमित जांच करें।
पौधारोपण करें – पेड़-पौधे न केवल हरियाली बढ़ाते हैं, बल्कि भूजल स्तर भी बनाए रखते हैं।
हर घर, हर व्यक्ति बने जल योद्धा!
“सिर्फ भाषणों और आयोजनों से कुछ नहीं होगा, हमें अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा।”
बच्चे, युवा, महिलाएँ और बुजुर्ग – सभी को इस अभियान का हिस्सा बनना चाहिए।

हमारे संकल्प:
जल का दुरुपयोग नहीं करेंगे।
वर्षा जल को संरक्षित करेंगे।
जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण में भाग लेंगे।
दूसरों को भी जल बचाने के लिए प्रेरित करेंगे।
“जल दिवस” नहीं, “जल संकल्प दिवस” बनाएं!
आइए, इस 22 मार्च को केवल जल दिवस न मनाकर “जल संकल्प दिवस” बनाकर इतिहास रचें। जागिए, जुड़िए और जल बचाइए! यही समय की पुकार है!