चंडीगढ़, गुरुग्राम, रेवाड़ी, 8 फरवरी 2025: स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग से मांगी गई जानकारियां न देने की कठोर आलोचना की है। उन्होंने इसे भारत की निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव प्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न बताया। विद्रोही ने कहा कि भारत के संविधान निर्माताओं ने लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोग की स्थापना की थी, जिसे संवैधानिक दर्जा प्राप्त है। लोकतंत्र में जनादेश की पवित्रता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को न केवल निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए, बल्कि उसे पारदर्शी भी दिखना चाहिए। लेकिन वर्तमान में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पारदर्शिता और निष्पक्षता से कोसों दूर दिखाई दे रही है। चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर संकट विद्रोही ने आरोप लगाया कि अब न केवल राजनीतिक दलों बल्कि आम नागरिकों का भी चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता में विश्वास कमजोर होता जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि चुनाव आयोग निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कार्य कर रहा है, तो वह राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों द्वारा मांगी गई सूचनाओं को क्यों छिपा रहा है? मतदान प्रतिशत तक बार-बार क्यों बदला जा रहा है? उन्होंने आगे कहा कि जब चुनाव आयोग विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस द्वारा मांगी गई जानकारी तक देने से बच रहा हो, तो उसकी निष्पक्षता पर भरोसा कैसे किया जा सकता है? विशेष रूप से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदाता सूचियों, कुल मतदाताओं की संख्या, मतदान प्रतिशत और अन्य अहम तथ्यों पर उठे गंभीर सवालों के बावजूद चुनाव आयोग जानकारी देने से बच रहा है। हरियाणा चुनावों को लेकर भी उठे सवाल हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर भी चुनाव आयोग की भूमिका पर संदेह व्यक्त करते हुए विद्रोही ने कहा कि पारदर्शिता से बचने के लिए चुनाव आयोग और केंद्र सरकार ने नियमों में बदलाव कर यह साबित कर दिया कि “कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है।” उन्होंने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों को निष्प्रभावी बनाने के लिए उठाए गए कदमों की भी आलोचना की। लोकतंत्र पर मंडराता खतरा विद्रोही ने चेतावनी दी कि यदि चुनाव आयोग ने निष्पक्षता और पारदर्शिता का पालन नहीं किया, तो भारत का लोकतंत्र और जनादेश संकट में आ जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि चुनाव आयोग की कार्यशैली में सुधार नहीं हुआ, तो जनता आक्रोशित होकर बगावत तक कर सकती है। निष्कर्ष वेदप्रकाश विद्रोही के इन आरोपों से यह स्पष्ट होता है कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। लोकतंत्र की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए आयोग को निष्पक्षता और पारदर्शिता के उच्चतम मानकों का पालन करना आवश्यक है, अन्यथा जनता का विश्वास डगमगा सकता है। Post navigation हरियाणा में नगर निकाय चुनावों से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले व नियुक्तियों पर रोक हरियाणा नगर निकाय चुनाव : पार्टी सिंबल पर चुनाव का प्रावधान नहीं – एडवोकेट हेमंत कुमार