वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत 2025-26 के बजट को दिल्ली व बिहार विधानसभा चुनाव में मिडिल क्लास की वोट हड़पने वाला बजट बताया : विद्रोही
मिडिल क्लास इस बजट से तत्काल जरूर खुश हो सकती है1 लेकिन न तो जीएसटी टैक्स में कोई कमी हुई है और न ही डीजल-पेट्रोल के भाव कम किए गए हैं : विद्रोही

1 फरवरी 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत 2025-26 के बजट को दिल्ली व बिहार विधानसभा चुनाव में मिडिल क्लास की वोट हड़पने वाला बजट बताया1 विद्रोही ने कहा कि लोकसभा चुनाव में मिली मार के बाद मोदी भाजपा सरकार ने मिडिल क्लास को अपनी तरफ करने के लिए आयकर टैक्स टैक्स छूट दी है1 इस बजट से नौकरी पैसा लोगों को इस महंगाई में कुछ राहत अवश्य मिलेगी1 लेकिन जब तक महंगाई कम नहीं होती तब तक इसका कोई विशेष लाभ मिडिल क्लास को भी नहीं मिलेगा1
जिस तरह रुपए की डॉलर के मुकाबले कीमत कम हो रही है उससे रुपए का भी अवमूल्यन हो रहा है1 मिडिल क्लास इस बजट से तत्काल जरूर खुश हो सकती है1 लेकिन न तो जीएसटी टैक्स में कोई कमी हुई है और न ही डीजल-पेट्रोल के भाव कम किए गए हैं1 सरकार ने बड़ी चालाकी से एक तरफ मिडिल क्लास को राहत दी है1 वहीं दूसरी तरफ जीएसटी व पेट्रोल डीजल भावों को यथावत रखकर लोगों की जेबों में पैसे हड़पने का प्रबंध भी कर लिया हे1
विद्रोही ने कहा कि किसानों को इस बजट में लॉलीपॉप के अलावा कुछ नहीं मिला1 इस बजट में वादे, दावे तो किए गए हैं लेकिन नए रोजगार सृजन की संभावना नहीं है1 जब नए रोजगार सृजन ही नहीं होंगे तब आम जनों को महंगाई से राहत नहीं मिलेगी1 तब उनकी आर्थिक स्थिति कैसे ठीक होगी? किसान क्रेडिट कार्ड सीमा 3 लाख रुपए से बढ़कर 5 लाख रुपए करने से उसे जब तक कोई लाभ नहीं मिलेगा जब तक क्रेडिट कार्ड पर ब्याज की दर कम न हो1 और साथ में किसानों को सी-टू फार्मूले के तहत फसलों का एमएसपी न मिले1
विद्रोही ने कहा कि बजट को देखकर साफ दिख रहा है यह बजट दिल्ली व बिहार विधानसभा चुनाव के मध्यनजर बनाया गया है1 सरकार किसान आय दुगना करने की बात करती थी लेकिन वह आज तक दुगनी नहीं हुई1 इस तरह हर घर में नल से जल पहुंचने का दावा कर रहे थे पर अब उसकी समय सीमा अवधि 2028 तक कर दी गई है1
विद्रोही ने कहा कि किसान-मजदूर व आम जन को इस बजट में कुछ नहीं मिला1 उसकी आर्थिक स्थिति जस की तस रहने वाली है1 वित्त मंत्री ने वर्ष 2025-26 में जहां कुल आय 34.96 करोड रुपए का अनुमान लगाया है वही खर्च 50.65 करोड रुपए बताया है1 सवाल उठता है यह 16 लाख करोड रुपए का घाटा कहां से पूरा होगा? सरकार बाद में चोर दरवाजे से कहीं ना कहीं जीएसटी की दरें बढ़ाएंगी1 और यह वसूली आम आदमी से होगी या जो विभिन्न विकास कार्यों में विभागों को बजट आवंटन किया है उस बजट में कटौती होगी1 जिससे विकास कार्य भी अवरोध होंगे और उससे रोजगार के अवसर भी कम होंगे1 कुल मिलाकर यह बजट एक छलावा है1 जिससे न देश का विकास होना है, न ही नए रोजगार मिलने वाले हैं और न ही महंगाई कम होने वाली है1