16 जनवरी को ही नायब सिंह सैनी ने महाकुंभ के लिए मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का विस्तार करने का लिया था निर्णय*

*मात्र 10 दिन में ही अपनी वचनबद्धता को किया पूरा*

*सरकार का उद्देश्य गरीब परिवारों को भी मिले देव स्थानों के दर्शन का लाभ*

चंडीगढ़, 26 जनवरी – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के दर्शन व पवित्र स्नान में शामिल होने के लिए वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा के लिए 16 जनवरी को मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का विस्तार करने का निर्णय लिया था। मात्र 10 दिनों में ही अपनी इस वचनबद्धता को पूरा करते हुए मुख्यमंत्री ने रविवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर महाकुंभ के लिए पहले जत्थे को रवाना किया। उन्होंने रेवाड़ी से श्रद्धालुओं से भरी दो बसों को झंडी दिखाकर प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के लिए रवाना किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं से बातचीत की और उनकी मंगलमय यात्रा की कामना की।

मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के अधिकारियों ने तत्परता से कार्य करते हुए मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के नये विस्तार के अनुसार पंजीकरण पोर्टल में जरूरी बदलाव के साथ-साथ सभी आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी की और इसी की बदौलत आज पहला जत्था महाकुंभ के लिए रवाना हुआ।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से श्रद्धालुओं को मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के जरिए देश के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों के दर्शन कराए जाते हैं। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दर्शन का लाभ देने के लिए सरकार ने अपनी इस योजना का विस्तार किया है। इस योजना के तहत प्रदेशभर से अब तक बड़ी संख्या में यात्री अयोध्या सहित अन्य तीर्थ स्थलों का भ्रमण कर चुके हैं।

तीर्थयात्रियों ने भगवान के जयकारों से अपनी यात्रा प्रारंभ की। रेवाड़ी से महाकुंभ के लिए रवाना की गई दो बसों में श्रद्धालुओं के साथ चिकित्सकों व सुरक्षा कर्मियों को भी साथ भेजा गया है, ताकि परेशानियों का सामना न करना पड़े।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार की ओर से 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थ यात्रा करवाई जाती है जिनकी पारिवारिक वार्षिक आय 1 लाख 80 हजार रुपये से कम होती है। श्रद्धालुओं को मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के सरल पोर्टल पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। हरियाणा सरकार का उद्देश्य है कि गरीब परिवारों को भी देवस्थानों के दर्शन का लाभ मिले, इससे पवित्र कार्य कोई नहीं है।

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