भिवानी, 27 जनवरी 2025 – चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय (CBLU) भिवानी ने 15 जनवरी 2025 को कार्यकारी परिषद (EC) की बैठक में एक विवादास्पद निर्णय लिया, जिसमें 2019 में जारी डिप्टी रजिस्ट्रार पदों के विज्ञापन को अचानक “ऑन-टेबल एजेंडा” लाकर रद्द कर दिया गया। यह निर्णय विश्वविद्यालय की कुलपति और कार्यकारी परिषद की अध्यक्ष द्वारा लिया गया, जो न केवल विश्वविद्यालय के नियमों, बल्कि उच्च शिक्षा निदेशालय (DHE) और न्यायालय के आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन करता है। DHE के आदेश का उल्लंघन हरियाणा के उच्च शिक्षा निदेशालय (DHE) द्वारा पहले से स्पष्ट आदेश है कि राज्य के किसी भी विश्वविद्यालय में भर्ती से संबंधित मामलों पर चर्चा नहीं की जा सकती। विज्ञापन को रद्द करना न केवल इस आदेश का उल्लंघन है, बल्कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि EC ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। 2019 के विज्ञापन की पृष्ठभूमि 2019 में यह विज्ञापन तब जारी किया गया था, जब विश्वविद्यालय में केवल एक सहायक रजिस्ट्रार कार्यरत था, जो डिप्टी रजिस्ट्रार पद के लिए पदोन्नति के योग्य नहीं था। इस विज्ञापन के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन इसे 2022 में अदालत के हस्तक्षेप के कारण रोक दिया गया, जब आंतरिक उम्मीदवारों ने इस पर आपत्ति दर्ज की। रिपोर्ट्स के अनुसार, आंतरिक उम्मीदवारों ने अदालत में अपनी हार सुनिश्चित होती देख कुलपति पर दबाव डालकर विज्ञापन को रद्द कराने में सफलता पाई। अब, अदालत का अंतिम निर्णय आने से पहले ही, विश्वविद्यालय ने इसे वापस ले लिया, जिससे न्यायिक प्रक्रिया और बाहरी उम्मीदवारों के अधिकारों की अनदेखी हुई है। 2020 के नए नियमों का बहाना EC ने इस निर्णय को 2020 में बनाए गए नियमों के आधार पर सही ठहराने की कोशिश की, जिनके अनुसार 75% पद पदोन्नति के माध्यम से भरे जाने चाहिए। हालांकि, यह नियम 2019 के विज्ञापन पर लागू नहीं हो सकता, क्योंकि यह विज्ञापन 2020 से पहले जारी किया गया था। न्यायालय और यूजीसी के निर्देशों की अवहेलना यह निर्णय उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के उन निर्देशों का उल्लंघन करता है, जिनके अनुसार राज्य विश्वविद्यालयों में यूजीसी के नियम बाध्यकारी हैं। यूजीसी के नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि डिप्टी रजिस्ट्रार के 75% पद सीधी भर्ती के माध्यम से भरे जाने चाहिए। इसके बावजूद EC ने आंतरिक उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने के लिए इस प्रक्रिया को पलट दिया। इस पर सवाल उठाते हुए कई RTI में यह जानकारी सामने आई है कि UGC के नियम न केवल केंद्रीय विश्वविद्यालयों बल्कि राज्य विश्वविद्यालयों पर भी पूर्ण रूप से लागू होते हैं। इसके बावजूद, जब यह विज्ञापन रद्द करना ही था, तो इसे निकाला ही क्यों गया? इस निर्णय से बाहरी उम्मीदवारों को भारी नुकसान हुआ है। बाहरी उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन इस निर्णय से बाहरी उम्मीदवारों को भारी नुकसान पहुंचा है, जो 2019 के बाद से भर्ती प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार कर रहे थे। विज्ञापन रद्द होने से उनके प्रयासों और समय का अपमान हुआ है। यह कदम विश्वविद्यालय की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। हरियाणा सरकार की साख पर असर हरियाणा सरकार ने पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया का वादा किया था। लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा लिया गया यह निर्णय इन दावों की साख को कमजोर करता है। सरकार की ओर से इस मामले में कोई हस्तक्षेप न करना इसे और विवादास्पद बना सकता है। इस मामले को लेकर जितेंद्र, मनोज और राजीव ने सरकार और माननीय राज्यपाल महोदय को कई पत्र लिखकर शिकायत दर्ज करवाई है। उन्होंने अनुरोध किया है कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप कर गलत निर्णय को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए। आवश्यक कदम और सुझाव 1. EC के इस निर्णय को तुरंत रद्द किया जाए और 2019 के विज्ञापन के अनुसार सीधी भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाए। 2. UGC और न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना के लिए प्रशासन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। 3. सरकार और माननीय राज्यपाल महोदय इस मामले में हस्तक्षेप कर निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करें। 4. बाहरी उम्मीदवारों के अधिकारों की रक्षा के लिए स्वतंत्र जांच समिति का गठन किया जाए। निष्कर्ष यह मामला केवल डिप्टी रजिस्ट्रार पद की भर्ती प्रक्रिया का नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालयों में पारदर्शिता, न्यायिक प्रक्रियाओं और सरकार की प्रतिबद्धता पर भी सवाल उठाता है। UGC और न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद लिए गए इस प्रकार के निर्णय उच्च शिक्षा प्रणाली की साख को नुकसान पहुंचाते हैं। उम्मीदवारों ने सरकार और माननीय राज्यपाल महोदय से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है। यह अपेक्षा की जाती है कि सरकार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे और भविष्य में उच्च शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता बनाए रखे। Post navigation कक्षा 9वीं की वार्षिक परीक्षाएं 18 फरवरी से एवं 11वीं की परीक्षाएं 17 फरवरी से आरम्भ जनता की समस्याओं को समझते हुए राज्यसभा सांसद श्रीमती किरण चौधरी ने रेल मंत्री को लिखा पत्र