– एडवोकेट किशन  सनमुखदास भावनानीं 

वर्तमान आधुनिक प्रौद्योगिकी डिजिटल युग में अंधविश्वासों और गलतफहमियों से दूर, सकारात्मक सोच रखना सफलता की कुंजी है। हम जैसा सोचते हैं, वैसा हमारा मन हो जाता है, और यह मन एक सशक्त और शक्तिशाली ऊर्जा का रूप है। इसमें विश्वास, आशा और सुंदर विचारों को स्थान देना आवश्यक है।

 भावनानी के भाव –

भारत के सांस्कृतिक धरोहर में मान्यताएँ, कहावतें, पुराण और धार्मिक गाथाएँ समय-समय पर हमारे जीवन पर प्रभाव डालती रही हैं। पौराणिक काल से भारत में कई प्रथाएँ चली आ रही हैं, लेकिन आधुनिक समाज ने कई कुप्रथाओं और नकारात्मक सोच से बचने के लिए कदम उठाए हैं। हालांकि, कुछ कुप्रथाएँ और विपरीत सोच आज भी समाज में मौजूद हैं, जिन्हें समाप्त करने के लिए जन जागरण की आवश्यकता है। एक प्रमुख उदाहरण है 3 और 13 के अंक को लेकर उत्पन्न भय, जिसे अशुभ माना जाता है। हालांकि, यह संख्या कई सफलताओं की गाथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जैसे कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन में 3 और 13 का महत्व।

3 का अंक: सकारात्मक सोच की ओर एक कदम

हमेशा से यह मान्यता रही है कि “तीन तिगड़ा काम बिगाड़ा” परंतु यदि हम इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें, तो यह अंक अनेक उदाहरणों में सफलता का प्रतीक बन सकता है। भारत में देवताओं की संयुक्त रूप में त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का रूप लिया जाता है। लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती भी तीन हैं। इसी प्रकार, पूजा में तीन परिक्रमा, तीन रेखाओं से तिलक, तीन बार आचमन और तीन ईष्टदेव का ध्यान करना शुभ माना जाता है। इस तरह, तीन अंक का योगदान हमारे जीवन में सकारात्मक रूप से देखा जा सकता है।

इसके अलावा, हमारे शरीर में भी त्रित्व का प्रभाव है—हाथों की उंगलियों में तीन रेखाएँ, समय का विभाजन तीन कालों में (वर्तमान, भूतकाल और भविष्यकाल), और यहां तक कि मौसम भी तीन होते हैं—गर्मी, सर्दी और बरसात। इससे यह सिद्ध होता है कि त्रित्व का प्रभाव हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

नकारात्मक सोच से दूर रहकर सफलता की ओर बढ़ें

कभी-कभी हम तीन के अंक को नकारात्मक दृष्टिकोण से देखते हैं, जैसे शंकर भगवान को विनाशकारी माना जाता है क्योंकि उनके तीन नेत्र होते हैं या किसी व्यक्ति को थर्ड क्लास कहा जाता है। हालांकि, यह केवल हमारी गलतफहमी और अंधविश्वास है। तीन का अंक नकारात्मक नहीं, बल्कि सकारात्मक सोच के साथ सफलता की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाने वाला है।

 निष्कर्ष

आज के डिजिटल युग में हमें अंधविश्वासों से दूर रहकर, सकारात्मक सोच को अपनाना चाहिए। हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही हमारे जीवन में होता है। इसलिए हमें अपने मन को विश्वास, आशा और सुंदर विचारों से भरपूर रखना चाहिए।

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