जो खुद में स्थिर होते हैं और हर परिस्थितियों से लड़ते हैं, वही अपने जीवन में इतिहास रचते है – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं परिचय जब हम निर्भीकता से विपत्तियों का मुकाबला करने कटिबद्ध होते हैं, तभी विपत्तियाँ दुम दबाकर भाग खड़ी होती हैं। यह विचार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया, महाराष्ट्र के हैं, जिन्होंने हमें यह सिखाया कि जीवन के संघर्षों में स्थिर रहकर ही हम सफलता की ऊँचाईयों तक पहुँच सकते हैं। परिस्थितियाँ और मानव जीवन वर्ष 1971 में आई हिंदी फीचर फिल्म कभी धूप कभी छांव का कवि प्रदीप द्वारा लिखा और गाया गीत ‘सुख दुख दोनों रहते’ हमारे जीवन की सच्चाई को व्यक्त करता है। जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही परिस्थितियाँ आती हैं, और यही सृष्टि का नियम है। खुशियों के साथ दुख भी आना तय है। लेकिन जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में स्थिर रहते हुए उन परिस्थितियों का सामना करते हैं, वही अपने जीवन में इतिहास रचते हैं। विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष सभी लोग खुशियों और सुखद परिस्थितियों में जीवन जीने के इच्छुक होते हैं, लेकिन असली परीक्षा तब होती है जब विपरीत परिस्थितियाँ सामने आती हैं। हमें यह समझना चाहिए कि जीवन की कठिनाइयों से भागना नहीं चाहिए। समस्याओं से निपटने के लिए हमें हिम्मत और दृढ़ संकल्प के साथ लड़ना चाहिए। यदि हम संघर्ष करते रहें तो न केवल हम अपने लिए समाधान निकाल सकते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए आदर्श भी बन सकते हैं। समय का महत्व समय सबसे शक्तिशाली है। चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ हों, समय के साथ सब कुछ बदल जाता है। अंधेरे से डरने की बजाय हमें धैर्य रखना चाहिए, क्योंकि जैसे रात के बाद सुबह का सूरज आता है, वैसे ही समय के साथ कठिन परिस्थितियाँ भी सामान्य हो जाती हैं। मानसिक मजबूती और संतुलित दृष्टिकोण जब हम मानसिक रूप से मजबूत होते हैं, तो हमें किसी भी परिस्थिति का सामना करने में डर नहीं लगता। विपरीत परिस्थितियाँ केवल तब हावी होती हैं जब हम खुद कमजोर होते हैं। इसलिए हमें मानसिक रूप से सबल बनाना और जीवन की चुनौतियों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखना चाहिए। आत्मविश्वास और संघर्ष मनुष्य की ताकत तब दिखाई देती है जब वह किसी भी परिस्थिति का सामना करता है। हालात चाहे जैसे भी हों, अगर हम खुद को संभालना जानें, तो कोई भी समस्या हमें परास्त नहीं कर सकती। समय के साथ प्रयास जारी रखें हमें कभी भी अपनी मेहनत और प्रयासों को छोड़ना नहीं चाहिए। अगर हमारे प्रयत्नों से तुरंत परिणाम नहीं मिलते, तो हमें निराश नहीं होना चाहिए। कभी न कभी हमारे संघर्ष का फल मिलेगा, और हमें अपनी परिस्थितियाँ सुधारने के लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहिए। समाप्ति जीवन एक संघर्ष है और इस संघर्ष में वही विजयी होता है, जो या तो परिस्थितियों के अनुकूल खुद को ढाल लेता है, या फिर अपनी मेहनत और साहस से परिस्थितियों को बदल देता है। विपरीत परिस्थितियाँ हमें कमजोर नहीं, बल्कि और मजबूत बनाती हैं। अगर हम अपनी कठिनाइयों का साहस और धैर्य के साथ सामना करें, तो वे भी हमारे पक्ष में बदल जाएँगी। निष्कर्ष यदि हम यह समझ लें कि जीवन के संघर्षों में हमें कब हार माननी है और कब लड़ना है, तो हम निश्चित रूप से अपनी परिस्थितियों को बदल सकते हैं। जब हम विपत्तियों का साहस और धैर्य से मुकाबला करने का संकल्प करेंगे, तो वही हमारी सबसे बड़ी जीत होगी। -लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र Post navigation पुरुषों के गढ़ तोड़ने वाली “प्रथम महिलाओं” को पहचानने की आवश्यकता