गुरुग्राम,सतीश भारद्वाज: मिलेनियम सिटी में नगर निगम गुरुग्राम साफ सफाई को किस हद तक दुरुस्त करने में कामयाब रहा है,इसका जायजा लेने के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर नियुक्त किए गए लोकल कमिशन टीम साफ-सफाई, गन्दगी का निरीक्षण करने के लिए वीरवार को गुरुग्राम पहुंच रही है। जिसके डर से स्थानीय विधायक तथा निगम अधिकारी जी जान से जुटे हुए हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुरुग्राम में पिछले 1 साल से जगह-जगह पड़े गंदगी के ढेर,कूड़ा करकट, शिविर जाम, ओवरफ्लो से पूरा निगम क्षेत्र नरक निगम बना हुआ था, वहीं सफाई कर्मचारियों की अचानक हुई हड़ताल से जगह-जगह फैली गंदगी से लोगों का जीना मुहाल हो रहा था। वहीं जगह-जगह पड़ी गन्दगी में मक्खी मच्छर पनप रहें थे, गन्दगी से उठती दुर्गन्ध से बीमारीया फैलने का खतरा बना हुआ था। जिससे शहर वासियों का जीवन नरकीय बना हुआ था, साफ सफाई दुरुस्त नहीं होने से दिनों दिन उढती आवाज से शहर की प्रतिष्ठा पर भी बट्टा लग रहा था। जिससे विश्व भर में मिलेनियम सिटी की जमकर छवि खराब होती जा रही थी। इसी मामले को लेकर एक समाज सेवक पंकज यादव ने एक सिविल रिट पिटीशन डालकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में नगर निगम के खिलाफ हल्ला बोला था। जिसकी सुनवाई करते हुए मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने 19 लोकल कमिशन की नियुक्ति कर निगम क्षेत्र के विभिन्न विभिन्न सोसायटी, कॉलोनी में साफ सफाई, जमा गंदगी का जायजा लेने के लिए लोकल कमीशन नियुक्त कर रिपोर्ट देने का आदेश पारित किया था। जिसकी पालना में वीरवार 2 व 3 जनवरी को निगम क्षेत्र का दौरा करने लोकल कमिशन टीम गुरुग्राम पहुंच रही है। हालांकि हाईकोर्ट के आदेश से निगम में हड़कंप मचा हुआ है। निगम के खिलाफ लोकल कमिशन क्या रिपोर्ट देंगे इसका खुलासा बाद में होगा लेकिन निगम अधिकारियों को डर है की कही रिपोर्ट उनके खिलाफ चली गई तो कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।

वहीं निगम क्षेत्रवासियों में इस बात की चर्चाएं है कि निगम अधिकारीयों ने जानबूझकर निगम क्षेत्रों की हालत खस्ता बनाई है क्योंकि उनके पास करोड़ों की दो-दो जटायु मशीन व कूड़े के डस्टबिन वगैरा रखे हुए हैं फिर भी उनको निगम अधिकारी जानबूझकर इस्तेमाल में नहीं ला रहे हैं। वहीं लोगों का कहना है कि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जब से पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हुआ है तभी से ही साफ सफाई का दिवाला निकल गया है। क्योंकि ठेकेदारों के साफ सफाई के बिल पास करने के लिए संतुष्टि पत्र पेमेंट रिलीज बिल के साथ लगते थे। जिनमें काफी गोलमोल होता था। लेकिन जब से निगम पार्षदों की चलनी बन्द हो गई तो उन्हें भी इसमें कोई रुचि नहीं रही। तभी तो सफाई कर्मचारियों की हड़ताल भी तुल पकड़ गयी थी। वैसे तो पहले सफाई कर्मचारियों की संख्या 6000 के करीब बताई जा रही थी लेकिन कर्मचारियों की हड़ताल के बाद उनकी संख्या आधी रह गई थी। वहीं लोकल कमीशन के दौर में हाईकोर्ट के डंडे के दर से बुधवार को ही निगम कमिश्नर अशोक कुमार गर्ग ने पुराने सफाई र कर्मचारियों को दोबारा से काम पर रखने के लिए निर्देश दिए हैं। जिनमें कुछ तो कर्मचारी रिटायर हो गए थे और कुछ छोड़कर चले गए थे। वहीं शहर में इस बात की भी चर्चाएं चल रही है कि एक साफ सफाई की कंपनी जो की उच्च राजनीतिक रसूखदार लोगों की है उसपर भी काफी आरोप लगे थे। जिसका मामला भी उच्च न्यायालय तक पहुंचा था। यह सब ड्रामा उस कम्पनी को दुबारा से ठेका देने के लिए रचा जा रहा है।

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