गुरूग्राम, 25 अक्टूबर। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित व राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान द्वारा समर्थित हरियाणा में इस वर्ष ‘सरस आजीविका मेला 2024’ ने दीपावली को एक विशेष पहचान दी है। ग्रामीण भारत की अद्भुत शिल्पकला और सजीव परंपरा को दर्शाते हुए, यह मेला न केवल खरीदारों के लिए बल्कि भारत के कारीगरों और शिल्पकारों के लिए भी एक अनमोल मंच बना हुआ है। हरियाणा के “जादुई दीये” और गोवा के “फ्रोजन फूल” इस मेले के प्रमुख आकर्षण बन गए हैं, जो इस दीपावली पर हर घर में नई रौनक बिखेरने के लिए तैयार हैं।

सरस आजीविका मेला, ग्रामीण विकास मंत्रालय की महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत के कारीगरों और उद्यमियों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाना है। इस मेले में देश के कोने-कोने से आई हस्तशिल्प कृतियां, रंग-बिरंगी वस्त्रकला, पारंपरिक सजावटी सामान और स्वादिष्ट क्षेत्रीय खाद्य पदार्थों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है, जो भारत की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं।

हरियाणा के कुशल कुम्हारों द्वारा निर्मित ये “जादुई दीये” पारंपरिक शिल्पकला और आधुनिकता का सुंदर संगम प्रस्तुत करते हैं। इनके अनोखे डिजाइन और रंगीन रूप दीपावली की रात को चार चांद लगाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इन दीयों की खास बात यह है कि जिस छेद से तेल डाला जायेगा और जब दिए को उल्टा कर दिया जायेगा तो तेल उस दिए से बाहर नहीं आएगा और बाती लगाने के लिए दिए में एक जगह बनाई गई है। इस दिए की खास बात यह भी है कि यह कई देर तक जलता रहेगा। पारंपरिक मिट्टी के गणेश और माँ लक्ष्मी के दीये की सुंदरता ने न केवल स्थानीय खरीदारों का बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।

इसी प्रकार गोवा के “फ्रोजन फूल,” जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और टिकाऊपन के लिए प्रसिद्ध हैं, इस बार दीपावली सजावट के एक प्रमुख विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। इन फूलों की बिक्री लगातार बढ़ रही है। इन फूलों को ज्यादातर स्वीट कॉर्न के फूलों , पाम आयल की पत्तियों को मरोड़कर और सोला वुड से तैयार किए जाते हैं। इन पर किये गए आर्गेनिक रंग भी इनकी खूबसूरती को चार चाँद लगाते हैं। इन फूलों को देख ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति की एक झलक को सजीव बना दिया गया हो। फ्रोजन फूल न केवल त्योहारों में बल्कि नियमित घर सजावट के लिए भी एक उत्कृष्ट विकल्प बन रहे हैं।

इस मेले के माध्यम से खरीदारों को ग्रामीण उत्पादों की खरीदारी का एक शानदार अवसर मिल रहा है, साथ ही वे ग्रामीण महिलाओं और शिल्पकारों के लिए स्थिर आजीविका का समर्थन भी कर रहे हैं। सरस मेला 2024 ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और इसकी सफलता यह साबित करती है कि भारतीय हस्तशिल्प की पहचान हर किसी के दिल में एक विशेष स्थान रखती है।

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