-कमलेश भारतीय

क्या हरियाणा विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार हार का सामना करने वाली कांग्रेस में बिखराव शुरू हो गया है ? क्या जीत जाती तो बिखरने से बच जाती कांग्रेस ? आखिर जीत भाजपा की हुई और अब भाजपा का आकर्षण बढ़ेगा, कांग्रेस से मोहभंग होगा, यही संकेत हैं ? यदि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय यादव के इस्तीफे पर गौर किया जाये तो यही कह सकते हैं कि हरियाणा के नेताओं का कांग्रेस से मोहभंग होना शुरू हो गया है । कैप्टन अजय यादव से यह शुरुआत भर हुई है । यह सिलसिला कहां जाकर थमेगा, यह कह नहीं सकते । वैसे कैप्टन अजय यादव लोकसभा चुनाव से ही कांग्रेस से खफा थे, जब उनकी बजाय अभिनेता राज बब्बर को लोकसभा में उतार दिया गया । राज बब्बर की हार के बाद भी कैप्टन अजय यादव ने प्रतिक्रिया दी थी कि यदि उन्हें कांग्रेस ने टिकट दी होती तो परिणाम कुछ और हो सकता था ! हालांकि राज बब्बर ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार भी किया लेकिन अहीरवाल में कांग्रेस को सफलता नहीं मिली, भाजपा ने एक प्रकार से कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया, मुश्किल से एक सीट ही मिली !

अब कैप्टन अजय यादव का कांग्रेस से मोहभंग हो गया और उन्होंने बड़े दुख के साथ अपने परिवार का सत्तर साल का कांग्रेस से रिश्ता तोड़ने में ही भलाई समझी ! हालांकि कैप्टन ने लिखा कि यह फैसला उनके लिए बहुत मुश्किल था लेकिन श्रीमती सोनिया गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद से मेरे साथ खराब व्यवहार किया जा रहा है, जिससे पार्टी हाईकमान से उनका मोहभंग हो गया है,जिसके चलते इस्तीफा भेज दिया ! हालांकि कैप्टन अजय यादव के बेटे व पूर्व विधायक चिरंजीव ने कांग्रेस को अलविदा नहीं कहा । वे भी विधानसभा चुनाव हारने वालों में एक हैं, जबकि चिरंजीव ने अतिविश्वास में टिकट की आधिकारिक घोषणा होने से पूर्व ही कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नामांकन करते उपमुख्यमंत्री बनने का दावा भी ठोक दिया था, यह और भी अतिवश्वास रहा जबकि वे अपना चुनाव ही हार गये ! चिरंजीव ने कहा कि कैप्टन साहब ने यह फैसला कैसे किया, यह तो वही जानें लेकिन मैं कांग्रेस के साथ हूं । इस तरह अभी कैप्टन अजय यादव के परिवार का सत्तर साल का रिश्ता कांग्रेस से पूरी तरह टूटा नहीं है, कमज़ोर जरूर पड़ा है, जो खेदजनक है । क्या कांग्रेस हाईकमान कैप्टन अजय यादव को मनाने की कोशिश करेगी ? यह सवाल है ।

लोकसभा चुनाव के बाद पूर्व मंत्री किरण चौधरी भी कांग्रेस को अलविदा कह गयी थीं और भाजपा में शामिल होने के इनाम के तौर पर राज्यसभा में भी पहुंच गयीं और अब तो उनके दोनों हाथों में लड्डू हैं, बेटी श्रुति चौधरी को नये मंत्रिमंडल में सम्मानजनक पद भी मिल गया है । चौ भजनलाल के बेटे व पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई भी कांग्रेस छोड़कर राजयसभा चुनाव से पहले कार्तिकेय को डंके की चोट वोट देकर भाजपा में शामिल हो गये थे । आदमपुर उपचुनाव में तो बेटा भव्य विजयी रहा लेकिन आम चुनाव में पहली बार चौ भजनलाल परिवार को आदमपुर में हार मिली । अब कुलदीप बिश्नोई की नज़र राज्यसभा सीट पर लगी है और उन्होंने शीर्ष नेताओ़ से मुलाकातों का दौर‌ शुरू कर दिया है । जब किरण चौधरी राज्यसभा की दौड़ में थीं तब भी कुलदीप बिश्नोई दौड़ में थे। क्या इस बार भाजपा उन्हें इनाम देगी? कहीं कैप्टन अजय यादव भाजपा में शामिल होकर राज्यसभा टिकट न मांग लें ? फिर क्या होगा ? वैसे कांग्रेस की टूट-फूट भाजपा के कितने काम की है !! अभी भाभी किरण चौधरी तो भाजपा में है और ननद सुश्री सैलजा कांग्रेस में ही हैं।शायर अदीम हाशमी कितना खरी बात लिख गये हैं :

इक खिलौना टूट जायेगा, नया मिल जायेगा
मै़ं नहीं तो तुझको कोई दूसरा मिल जायेगा!!
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी। 9416047075

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