अटेली से विधायक बनाकर सीधी चंडीगढ़ में मंत्रिमंडल में पहुंचाई

दादा और पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी

लोकसभा चुनाव में आरती ने और अब इंद्रजीत ने बहाया पसीना

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम । लोकसभा चुनाव में आरती अपने पिता राव इंद्रजीत सिंह की सारथी बनी। विधानसभा चुनाव में यह भूमिका बदल गई और पिता राव इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी आरती सिंह के सारथी बने। अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने और युवा पीढ़ी को सौंपने का लक्ष्य लेकर राव इंद्रजीत सिंह ने अपनी पुत्री आरती सिंह राव को भाजपा का टिकट दिलवा कर अटेली विधानसभा से चुनाव लड़वाया। यहां जबरदस्त आमने-सामने के मुकाबले में आरती राव 3000 से अधिक वोटो से जीतने में सफल रही। विधानसभा चुनाव परिणाम और भाजपा के बहुमत के साथ ही अहिरवाल क्षेत्र में राव इंद्रजीत सिंह की बदौलत एक बार फिर से भाजपा की ताकत बढ़ाना राजनीतिक गलियारों में चर्चा बन गया। मुख्यमंत्री पद को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में और लोगों के बीच में अटकलो का बाजार गर्म रहा । भाजपा की रणनीतिकारों के द्वारा हरियाणा के मंत्रिमंडल की संरचना राजनीति के लंबे समय तक नफा और नुकसान को ध्यान में रखते हुए की गई।

अटेली विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार अतरलाल और भाजपा की आरती राव के बीच में जिस प्रकार का सीधा मुकाबला अंतिम समय तक देखा गया। वह निश्चित रूप से भाजपा समर्थकों कार्यकर्ताओं और भाजपा उम्मीदवार आरती राव के साथ ही उनके केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के लिए सांस रोकने वाला ही बना रहा। बहरहाल जनमत का फैसला केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की भाजपा उम्मीदवार पुत्री आरती सिंह राव के पक्ष में आया। हरियाणा में सरकार बनाने और मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर राव इंद्रजीत सिंह का नाम भी खूब उछला या उछाला गया। आखिर कर उनको यह कहना ही पड़ा कि वह और उनके सभी समर्थक भाजपा विधायक पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी और पार्टी नेतृत्व के फैसले के साथ ही हैं।

आरती राव वैसे तो बीते लंबे समय से अपने पिता के साथ राजनीति में सक्रिय है । वह भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य भी रही है । लेकिन सक्रिय राजनीति वास्तव में चुनाव जीतने के साथ ही आरंभ होती है। विधायक के रूप में जिस प्रकार की चुनौतियां और समस्याएं सामने आती हैं ? उनका समाधान करते हुए ही पॉलिटिकल मैच्योरिटी भी बनती है। यही बात आप पूरी तरह से अटेली की विधायक और हरियाणा मंत्रिमंडल में मंत्री आरती राव सिंह पर भी लागू होने से इनकार नहीं किया जा सकता। हां इतना अवश्य है कि उनको अपने दादा स्वर्गीय राव बीरेंद्र सिंह से लेकर केंद्र में मंत्री पिता राव इंद्रजीत सिंह के राजनीतिक अनुभव के साथ-साथ इनके संरक्षण का भी भरपूर लाभ मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता। सबसे महत्वपूर्ण अभी यह बात देखना है की आरती राव को मंत्री के तौर पर किस विभाग की जिम्मेदारी सौंप जानी है।

2024 विधानसभा चुनाव में बेटी आरती सिंह राव की जीत को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सारथी बनकर बेटी आरती राव की जीत सुनिश्चित की । इससे पहले इसी वर्ष लोकसभा चुनाव में भी आरती राव के द्वारा अपने पिता राव इंद्रजीत सिंह के लिए पूरे गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र में सारथी बनकर उनके लिए जन समर्थन जताने का काम किया गया । पिता राव इंद्रजीत सिंह और पुत्री मंत्री आरती सिंह राव दोनों में एक समानता और है। वह है दोनों ही निशानेबाजी में माहिर है , पिता और पुत्री दोनों के द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपनी सटीक निशानेबाजी का परिचय भी दिया जा चुका है। अब राजनीति के मैदान मैं भी यही जिज्ञासा बनी रहेगी ? जो भी मंत्रालय की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पुत्री आरती राव को हरियाणा प्रदेश के लिए सौंपी जाएगी , उस क्षेत्र में उनके द्वारा अपनी राजनीतिक विरासत का कैसा और कितना अनुभव के साथ काम किया जाएगा।

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